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Uttrakhand

मैंने तुम्हे कभी येड़ा नहीं समझा. वक़्त ने मजबूरन समझा दिया . मुझे तुम पर गर्व है कहा हरीश रावत ने अपने बेटे आनंद को जवाब में !

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पूर्व उत्तराखंड युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे पुत्र ने जब एक दिन पहले एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये अपने पिता पर आरोप लगाया की उन्होंने बतौर एक राजनेता उन्हें कभी समझा नहीं और न ही तवज्जु ही दिया और येड़ा समझा तो ये विवादस्पद पोस्ट खबर में तब्दील हो गयी और खासी वायरल भी हुई सोशल मीडिया पोस्ट पर. दरअसल आनंद रावत द्वारा लिखी इस पोस्ट में उन्होंने न सिर्फ अपने पिता पर उन्हें येड़ा ( इडियट) समझने का आरोप लगाया बल्कि भाजपा के नेता और स्पीकर ऋतू खंडूरी , किशोर उपाध्याय ( उनके पिता के पारम्परिक विरोधी ), विनोद कंडारी ( विधायक, भाजपा) सुमित हृदयेश ( कांग्रेस विधायक) भाजपा को भी नहीं बक्शा और इनपर आरोप लगाया की इनकी सोशल मीडिया पर सभी पोस्ट गुड मॉर्निंग , जन्म दिन की बधाई या शोक सन्देश की होती हैं जबकि इन्हे जनता की कोई चिंता नहीं है . फेसबुक पर इन नेताओं से चिंतन पर कुछ नहीं मिलेगा. अपने पिता को ही आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने लिखा : मेरे पिताजी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते है, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा । अपने विस्तृत फेसबुक पोस्ट पर अपनी गहरी चिंता युवाओं के रोजगार के प्रति जताते हुए उन्होंने बहुत गहरी बातें लिखी और साथ साथ भाजपा और कांग्रेस के चुनिंदा नेताओं खासकर अपने पिता को भी नहीं बक्शा. इसके जवाब में उनके पिता ने इस पोस्ट का संज्ञान लेते हुए अपने बेटे पर गर्व करते हुए उन्हें जवाब दिया लेकिन अपनी सफाई में ये भी कहा की वे स्वयं गर्व सफाई में किस्मत के मारे हुए हैं . अपने नाटकीय जवाब में फेसबुक पोस्ट के जरिये हरीश रावत ने पुत्र आनंद रावत को लिखा : #आनंद मैंने तुम्हें कभी येड़ा नहीं समझा। वक्त ने मजबूरन समझा दिया। चाहे 2012 में लालकुआं हो या 2017 में जसपुर। मुझे गर्व है, तुमने नशे से लड़ने के लिए उत्तराखंड के परंपरागत खेलों को प्रचारित-प्रसारित किया। कितने युवा नेता हैं जो तुम्हारी तरह युवाओं तक “रोजगार अलर्ट” के लिए रोजगार समाचार पहुंचाते हैं। कितने नेता है जो लड़के और लड़कियों को सेना या पुलिस में भर्ती हो सके इस हेतु प्रारंभिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हैं। तुम्हारी सोच पर मुझे गर्व है। आज जब सारी राजनीति हिंदू-मुसलमान हो गई है। रोजगार, महंगाई, सामाजिक समता व न्याय, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे प्रश्न खो गए हैं। मैंने रोजगार, शिक्षा को प्रथम लक्ष्य बनाकर काम किया। मैं ही खो गया। मैं रोजगार को केरल मॉडल पर लाया। तुलनात्मक रूप में सर्वाधिक तकनीकी संस्थान जिसमें नर्सिंग भी सम्मिलित हैं, हमारे कार्यकाल में खुले और सर्वाधिक भर्तियां हुई। आज शहर का मिजाज बदला हुआ है। परंतु तुमने बुनियादी सवाल और हम जैसे लोगों की कमजोरियों पर चोट की है। डठे रहो।
बाप न सही-समय तुम जैसे लोगों के साथ न्याय करेगा लिखा हरीश रावत ने अपने पुत्र आनंद को.

आनंद रावत द्वारा लिखी गयी फेसबुक पोस्ट ये है :नौजवानों की रोजगार की समस्याओं के लिए नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने लिखा : नौजवानों की रोजगार की समस्याओं के लिए नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने लिखा : skill+ communication सफलता का मूलमंत्र है । प्रदेश के आईटीआई, पॉलीटेकनिक व सॉफ़्टवेयर इंजीनीयर लड़के और लड़कियाँ, उत्तराखंड के आधूनिक शिल्पकार है, और इनकी दक्षता पूरे विश्व में बुलंदी के झण्डे गाड़ सकती है ।

सवाल है कि “ ये कैसे सम्भव हो “ ?

हमारे नेताओं ने प्रदेश में 72 पॉलीटेकनिक व 48 आईटीआई
तो खोल दिए, जो पूरे भारत में सबसे अधिक किसी राज्य में है, और प्रति वर्ष 20 हज़ार स्किल्ड (skilled ) लड़के और लड़कियाँ बाज़ार में नौकरी के लिए तयार हो भी रहे है ।

सिडकुल (sidcul) में अनुभवी पॉलीटेकनिक पास युवा को प्रतिमाह रुपे 12974 (बारह हज़ार नौ सौ चौहतर मात्र )और अनुभवी आईटीआई पास युवा को प्रतिमाह रुपे 10340 (दस हज़ार तीन सौ चालीस मात्र) मिलते है ।

जबकि केरल में पॉलीटेकनिक की संख्या 42 और आईटीआई 35 के आसपास है और वहाँ की न्यूनतम आय दक्ष कारीगर के लिए 22 हज़ार है । क्योंकि वहाँ का युवा विदेश में नौकरी करने का इच्छुक अधिक होता है, इसीलिए वहाँ माँग अधिक है ।

केरल की सरकार skill + communication पर ज़ोर देती है और अपने अनुभवी कारीगरी में दक्ष युवाओं को अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में भी रोज़गार उपलब्ध कराती है । जैसे उत्तराखंड सरकार ने उपनल एजेन्सी सरकारी विभाग में नौकरी देने के लिए बनायी है, ऐसे केरल सरकार ने नोरका रूट्स एजेन्सी बनायी है, जो विदेशों में स्किल्ड (skilled ) युवाओं को रोज़गार दिलाती है ।

कनाडा में स्किल्ड युवा मतलब पॉलीटेकनिक व आईटीआई पास युवा साल के 46800 डॉलर कमाता है जो प्रतिवर्ष बत्तीस लाख के आस पास होता है और इसी अनुपात में जापान, ताइवान व खाड़ी देशों में भी कमाता है ।

अब फिर सवाल वही है कि “ करेगा कौन “

आपके नेता तो अपने समर्थकों को उनके जन्मदिन पर बधाई या किसी परिचित के शोक संदेश वाले पोस्ट करने में व्यस्त है, और आप लोग उनके क्रियाकलाप से ख़ुश हो ?
चाहे हरीश रावत जी हो या किशोर उपाध्याय जी या फिर युवा नेता विनोद कंडारी, सुमित हृदेश, रितु खण्डूरी सबके Facebook पर आपको इसी तरह की पोस्ट मिलेगी, लेकिन राज्य चिन्तन पर कुछ नहीं मिलेगा ?

मेरे पिताजी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते है, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा ।

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