मेरी हार्दिक इच्छा थी की मैं काका को गले लगाकर उनसे मॉफी मांगू लेकिन मुझे बेहद अफ़सोस है की ये हो न सका : शत्रुघ्न सिन्हा
बॉलीवुड एक्टर्स जो दोनों ही बाद में राजनेता बने हिंदुस्तान के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना और शत्रुगण सिन्हा करीबी दोस्त रहे. कड़क मिज़ाज़ और आवाज़ वाले शत्रुघ्न राजेश खन्ना की बहुत इज़्ज़त करते थे क्योंकि वे काका को न सिर्फ एक सुपर स्टार के तौर पर चाहते थे उनसे बहुत प्रभावित भी थे . वे उनसे घबराते भी थे और चाहते हुए ही मिलने से कतराते भी थे.
आखिर उन दिनों काका का औरा बहुत व्यापक था लिहाज़ा शत्रुघ्न सिन्हा स्वयं एक बेहतरीन स्टार होने के बावजूद उन्हें मिलने से घबराते थे. लेकिन अब वे उनसे पहली आर मिले और राजेश खन्ना से दोस्ताना बढ़ा तो उन्होंने उनने क ग़ज़ब का दोस्त पाया. उनके रिश्तों में आगे बहुत घनिश्ष्टा आयी. जो आगे भी जारी रही. लेकिन जब शत्रुघ्न सिन्हा १९९२ में काका के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी से संसदीय चुनाव लडे तो दोनों फ़िल्मी सितारों की दोस्ती में दरार आ गयी जिसका आसनसोल से दो लाख से अधिक मतों से जीते शत्रुघ्न सिन्हा आज तक अफ़सोस है.
बिहारी बाबू या शाटगन सिन्हा के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा की ये इच्छा पूरी नहीं हो पायी की काका के दिवंगत होने से पहले वे उन्हें मिलकर गले लगाकर माफ़ी मांग सकें. उन्हें इसका ताउम्र अफ़सोस रहेगा .
हिंदुस्तान के पहले सुपरस्टार से २८००० वोटों से १९९२ में हारे शत्रुगण सिन्हा के मुताबिक जब वे भाजपा टिकट पर अडवाणीजी के कहने पर चुनाव लडे जो वो नहीं चाहते थे , कांग्रेस के टिकट पर नयी दिल्ली से चुनाव लड़ रहे काका उनसे बहुत नाराज़ हुए. आडवाणी जी ने ये सीट छोड़ कर गांधीनगर सीट अपना ली थी जहाँ से वह दिल्ली के अलावा चुनाव जीते थे. काका तब अडवाणी से मात्रा १५०० वोट से पराजित हुए थे. अडवाणी चाहते थे की काका को शत्रुघ्न सिन्हा ही बतौर एक स्टार टक्कर दे सकते थे.
शत्रु ने मन किया लेकिन अडवाणीजी यही माने लिहाज़ा शत्रु अपने ही पुराने दोस्त और बड़े भाई काका के विरुद्ध डम ख़म से चुनाव लडे. काका नाराज़ हो गए. शत्रुघ्न सिन्हा ने लाख सफाई दी लेकिन काका नाराज़ थे. उन्होंने कहा तुम्हे नहीं लड़ना चाहिए था , काका का कहना था दोनों भाई लड़ेंगे तो ये स्टार वॉर हो जाएगी. शत्रु ने माफ़ी मांगी और कहा वे दबाव में ये चुनाव लड़ रहे हैं. खैर काका और शत्रु की आपस में बातचीत बंद हो गयी. वर्षों ki दोस्ती टूट गयी. शत्रु बताते हैं की जब काका बीमार थे लिवेर्सिरहोसिस से तब उनकी हार्दिक इच्छा थी की वे उनसे मिले गले लगाकर माफ़ी मांग सकें लेकिंन ऐसा न हो सका.
सदी का पहला सुपरस्टार इस दुनिया से रुक्सत हो गया. इसका शत्रुघ्न सिन्हा के दिल पर आज तक मलाल है. नयी दिल्ली के इस बहुचर्चित चुनाव ने विलेन वर्सेस हीरो का रूप ले लिया था. दोनों फ़िल्मी सितारे काफी मेहनत कर रहे थे. शत्रुघन सिन्हा के साथ उनकी पत्नी जो पहले मिस इंडिया भी रह चुकी थी कॉंधे से कांधा मिलकर अपने पति का साथ दे रही थी जबकि काका अकेले चुनाव प्रचार में थे. डिंपल और काका अलग अलग रह रहे थे.
चुनाव में आर के धवन जो उस वक़्त काका के सब कुछ थे तब उन्होंने ही जयदाद बिठाकर डिंपल कपाडिया खन्ना और उनकि दोनों बेटियों ट्विंकल और रिंकी को दिल्ली बुलाया और तब आकर कहीं काका के इलेक्शन केम्पेन में जोश खरोश आया क्योंकि फिर डिंपल काका ट्विंकल रिंकी मिलकर खुली जीप में सवार होकर प्रचार करते थे और हज़ारों की तादाद में लोग उनके पीछे होते थे. ये यादगार चुनाव हमेशा याद रहेगा जब अक ने शत्रुघ्न सिन्हा को २८००० मतों से पराजित किया था.
आज काका नहीं हैं लेकिन उनसे हारे शत्रुघन सिन्हा आसनसोल से २ लाख मतों से जीत गए हैं. शत्रुघ्न सिन्हा चार आर सांसद और दो मर्तबा केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. यह उनका पॉंचवा टर्म बतौर सांसद रहेगा.