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Uttrakhand

मुख्यमंत्री धामी ने सच्चाई की राह थामी, दिए भ्रष्ट अधिकारियों के गिरफ्तारी के आदेश

महेश चंद्र

उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष और उनके समय के सचिव डॉ मनोहर सिंह कन्याल एवं परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर आर एस पोखरिया के गिरफ्तारी के लिए अपनी सहमति देकर उत्तराखंड में सरकारी नौकरी दिलाने वाले दलालों को कड़ा संदेश दिया है। निश्चय ही मुख्यमंत्री जी का यह कड़ा संदेश उत्तराखंड में संपूर्ण प्रशासन तंत्र को ईमानदारी की राह पर लाने के लिए संजीवनी का कार्य करेगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी के इस साहसिक निर्णय के लिए और उत्तराखंड में भटकी हुई प्रशासन तंत्र को सच्चाई का मार्ग दिखाने के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में जहां सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एक दूसरे को अच्छी तरह जानने के साथ-साथ एक दूसरे के कार्यकलापों को भी अच्छी तरह जानते हैं, वहां पर पूरा प्रशासन तंत्र किसी पर कार्यवाही करने के बदले उसको बचाने में जुट जाता है, जिसके कारण कोई कार्यवाही नहीं होती। यही कारण है कि जो गिरफ्तारियां 2016-17 में हो जानी चाहिए थी, वह अब हुई हैं। कहावत है देर आए दुरुस्त आए।


उत्तराखंड में इन गिरफ्तारियों के पश्चात निश्चय ही जहां आम नागरिक उत्साहित है वहीं काले कारनामे करने वाले अपने को बचाने की फिक्र में लग गए होंगे और आगे से बुरे कामों को न करने की कसमे खा रहे होंगे। निश्चय ही इस निर्णय से उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर बहुत बड़ा अंकुश लगेगा।
सच्चाई यह है कि जिला पंचायत विकास अधिकारी (बीपीडीओ) परीक्षा, 2016 की अनियमितताओं को चयन आयोग के तत्कालीन दोनों सदस्य आयोग के समक्ष लाए थे, जिनका संज्ञान अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के पश्चात श्री एस राजू ने लिया और जांच समिति को सूचित किया। यह भी सुनने में आया है कि चयन आयोग के अध्यक्ष श्री यस राजू की सहमति से आयोग के सचिव श्री संतोष बडोनी ने 2018-22 के बीच नकल माफियायों के विपरीत चार-पांच आईआर लिखाई हैं और कुछ सूचनाएं पहले एसटीएफ को भी दी जिन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।


वर्तमान एसटीएफ ने मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच में तेजी लाकर अनेक दोषियों को पकड़ा है और आशा है एसटीएफ शीघ्र से शीघ्र जांच पूरी करके जांच रिपोर्ट जमा करके अदालत में केस फाइल कर देगा, जिससे जल्द से जल्द निर्णय आ सकें और दोषी दण्डित हो सकें।इस सफलता के लिये एसटीएफ टीम को हार्दिक बधाई।
आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले श्री यस राजू एवं सचिव श्री संतोष बडोनी ने यदि समय-समय पर अनियमितताओं का संज्ञान लेकर एफ आई आर नहीं लिखाई होती अथवा एसटीएफ को सूचना नहीं दी होती, तो अपराधियों को पकड़ने की इतनी बड़ी कार्यवाही नहीं होती। इन दोनों अधिकारियों की कर्तव्यनिष्ठा के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक आभार।
इस अपराध पर कार्यवाही करने के लिए दबाव बनाने के लिए युवा नेता श्री राजपाल बिष्ट का हार्दिक धन्यवाद, जिनके प्रयासों से प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 2016 में जांच समिति गठित की और केस बंद होने से बचाया। आयोग के भूतपूर्व सदस्य श्री दीवान सिंह भैंसोडा जी ने यदि चयन आयोग में व्याप्त अनियमितताओं के विपरीत कार्यवाही के लिए लगन से काम नहीं किया होता तो यह केस कभी का खत्म हो गया होता और अपराधी अपराध करते रहते। श्री दीवान सिंह भैंसोडा जी की कर्मठता और सच्चाई के प्रति संघर्ष को शत शत नमन।
अंत में आशा है माननीय मुख्यमंत्री जी के दिशा निर्देश में कार्यरत एसटीएफ यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अपराधी बचे नहीं और कोई ईमानदार परेशान ना हो।

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