Uttrakhand
माफिया संस्कृति विरोधी जन अभियान” विषयक गोष्ठी आयोजित की उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने अल्मोड़ा में
नरेश चंद्र नौडियाल
दिनांक 19 अक्टूबर को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष के आह्वान पर नगर पालिका सभागार अल्मोड़ा में “माफिया संस्कृति विरोधी जन अभियान” विषयक गोष्ठी आयोजित की गई. Adv. P. C. Tiwari द्वारा चर्चा आरंभ करते हुए विषय के बारे में अवगत कराते हुए..
- माफिया कौन है, 2. कैसे काम करता है, 3. शासन, प्रशासन, पुलिस, राजनेताओं को कैसे प्रभावित करता है,
- माफिया कैसे अपने असामाजिक कृत्यों के बावजूद सामाजिक मान्यता कैसे हासिल करने में सफल हो जाता है, इस पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए उत्तराखण्ड राज्य बनने से पूर्व भी पर्वतीय क्षेत्रों में माफिया की घुसपैठ और उसके विरुद्ध जन अभियान.. “नशा नहीं रोजगार दो”
चिपको आंदोलन, बनाधिकार आंदोलन, भूमाफिया के खिलाफ आंदोलन, खनन माफियाओं के खिलाफ जन आंदोलन के इतिहास और संघर्ष पर भी चर्चा की गई.
राज्य गठन के बाद सरकारों के माफिया प्रेम के प्रति भी ध्यान आकर्षित किया गया कि किस प्रकार सरकारी संरक्षण में स्कूलों, उद्योगों, पर्यटन आदि के नाम पर जमीनों की लूट की जा रही है और सब्सिडी के खेल खेले जा रहे हैं. आम उत्तराखंडी को किस प्रकार पलायन के लिए बाध्य किया जा रहा है और उत्तराखंड को पूरे तरीके से माफियाओं के हवाले किये जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. उन्होंने हालिया घटनाओं में चर्चा में आए नैनीसार,, डानाकांडा, हेलंग और अंकिता हत्याकांड में चर्चित बनन्तरा रिसोर्ट आदि की भी चर्चा की और बताया कि किस तरीके से जनता के साथ छल करके, नियमों की अवहेलना करके या माफिया के लिए नियमों को शिथिल करके राजनेताओं और अधिकारियों द्वारा निजी स्वार्थ के वशीभूत होकर उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है, उनको हर तरह से लूट की छूट दी जा रही है, उनके जघन्य अपराधों पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना था कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक और पटवारी, पुलिस से लेकर सचिव और मुख्यमंत्री तक इस खेल में शामिल हैं.
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए राज्य आंदोलनकारी श्रीमती कमला जोशी ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को आज अफसोस हो रहा है कि हमने ऐसे राज्य के लिए तो लड़ाई नहीं लड़ी थी. उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, महिला सशक्तिकरण जैसे खोखले नारे सरकारें उछालती जरूर हैं लेकिन सर्वत्र भ्रष्टाचार और भाई-भतीजा वाद, नशे का बोलवाला हो गया है. युवाओं के सपने मर रहे हैं. उनके साथ छल किया जा रहा है. सब पैसे बनाने के खेल में लिप्त हैं.
लोक वाहिनी के डी.के.काण्डपाल का कहना था कि समाज में बिखराव है. चेतना का भी अभाव है. गांवों से चेतना का विस्तार किये जाने की आवश्यकता है और लड़ाई के मुद्दे तय किये जाने होंगे. जनवादी ताकतें हमेशा जनता के मुद्दे उठाती तो हैं किंतु चुनाव में भागीदारी न करने के निर्णय से आज वे हाशिये पर हैं. राजनीति एक दिन में नहीं बदलती. संघ परिवार ने किस प्रकार घुसपैठ बनाई और आज समाज उसका किस प्रकार खामियाजा भुगत रहा है.आज संवेदनहीन सरकारों के दौर में नागरिक संगठनों के धरने प्रदर्शन भी विफल हो रहे हैं. राजधानी का मुद्दा, मुजफ्फरनगर कांड में कार्यावाही आज भी लंबित है. समस्याओं के समाधान के लिए सभी को एक मंच पर आना होगा.
Pan Bohra ने अपने विचार रखते हुए बताया कि राजनीतिक परिवेश में निराशा है. लोग लड़ रहे हैं, किंतु सरकार सुनने को तैयार नहीं.
एडवोकेट जीवन चन्द्र ने कहा कि सरकार बरायनाम की है, इसके पीछे माफिया बैठा है. शिक्षा के क्षेत्र में माफिया का हस्तक्षेप बढता जा रहा है. सरकारी शिक्षा हतोत्साहित की जा रही है. सरकार की परिभाषा बदल रही है. “माफिया की सरकार माफिया के द्वारा माफिया के लिए”
उन्होंने दिवाली के बाद खनन, शिक्षा और भूमाफिया के खिलाफ अभियान चलाए जाने पर बल दिया.
शकुन्तला सोलंकी द्वारा जनता की स्थानीय स्तर की छोटी छोटी समस्याओं के भी समाधान न होने का जिक्र किया गया. इस पर सभी ने इस दिशा में साथ मिल कर प्रयास करने का आस्वासन दिया.
परिवर्तन पार्टी की वरिष्ठ प्रतिनिधि आनंदी वर्मा ने भूमाफियाओं की घुसपैठ रोकने के लिए कठोर भू कानून लागू किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया.
बन पंचायत संगठन के गोविन्द सिंह मेहरा ने बताया कि लोग जमीन बेचने के लिए मजबूर हैं. सरकार आम आदमी को सिर्फ वोट और मजदूरी के लिए जिंदा रखना चाहती है. इसके लिए 5 किलो राशन दिया जा रहा है. सरकार स्थानीय स्तर पर महिला समूहों, युवाओं के समूहों को मजबूत नहीं देखना चाहती है. माफियाओं के हित में नियम बनाए जा रहे हैं. सरकारी संरक्षण में पाला जा रहा है माफिया.
मोहम्मद साकिब का कथन था कि सरकार और उसके अधिकारी माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं.
नागरिक मंच पौड़ी से नरेश नौड़ियाल ने भूमियों की लूट से बचाव के लिए गांवों की सार्वजनिक भूमियों को ग्राम सभाओं के सुपुर्द करने और कठोर भू कानून बनाए जाने, अन्य पर्वतीय राज्यों की भांति संविधान के अनुच्छेद 171 के अन्तर्गत विशेष प्रावधान लागू किये जाने पर बल दिया गया. इसके अतिरिक्त उत्तराखण्ड को माफिया/कार्पोरेट/नेता/अधिकारी सिंडिकेट के चरागाह बनने से बचाने के लिए गाँव में कृषि, पशुपालन, बागवानी और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए सहकारिता के विकास पर जोर दिया गया. ग्राम में संचालित किसी भी योजना में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित होना जरूरी है. इस लड़ाई को लडने के लिए नागरिक संगठनों को साथ लेने की आवश्यकता है.
गोष्ठी में परिवर्तन पार्टी की नगर अध्यक्ष हीरा, हेमा पांड़े, अमीनुर्रहमान, यशपाल मेहरा, चंपा सुयाल, मंजू पंत, गोपाल राम, छात्र संघ की दीक्षा सुयाल, Bhawna Pandey आदि ने भी चर्चा में भाग लिया.
गोष्ठी में निर्णय लिया गया कि इस चर्चा को व्यापक किये जाने के लिए जगह जगह गोष्ठी और जनजागरण अभियान चलाया जाकर राज्य में हेलंग में महिलाओं से अभद्र व्यवहार, युवा अनुसूचित नेता जगदीश हत्याकांड, अंकिता हत्याकांड, भर्ती घोटाला, डांडाकांडा प्लीजेंटवैली फाउंडेशन की आपराधिक गतिविधियों और अन्य तमाम माफिया और आपराधिक गतिविधियों को लेकर न्याय के लिए, अपराधियों और उनके सहयोगी अधिकारियों, कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को दंडित किये जाने के लिए हर तरीके से निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी.
प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के इस माफ़िया गठजोड़ पर लग़ाम देनी होगी।