भू क़ानून तुरंत लागू करें मुख्यमंत्री , सुरेश रावत ऊँचे टावर पर चढ़ा , मुख्यमंत्री ने दिया आश्वासन
उत्तराखंड भू क़ानून तुरंत लागू करने की मांग को लेकर एक व्यक्ति सुरेश सिंह रावत आज देहरादून के एक टावर पर चढ़ गए हैं और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग कर रहे हैं की यदि उनके वायदे के मुताबिक वे इस मांग को तात्कालिक प्रभाव से लागू नहीं करेंगे तो यह टावर के कूद कर अपनी जान दे देंगे . वे ऊँचे टावर से इस मांग के समर्थन में जोर जोर से चेतावनी दे रहे हैं की मुख्यमंत्री जब तक यहाँ आकर हिमाचल की तर्ज़ पर भू क़ानून लागू नहीं करते वे टावर से नहीं उतरेंगे और अपनी जान दे देंगे. देहरादून की सिटी मजिस्ट्रेट सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उनसे निवेदन कर रहे हैं की उनकी जान बेशकीमती है और वे नीचे सकुशल उतर जाएँ . सिटी मेजिस्ट्रेट महोदय ने मुख्यमंत्रीजी से बात भी की है और आश्वासन दिया है की उनकी मांग पर अवश्य गौर किया जायेगा . गौर तलब है की मुख्यमंत्री देहरादून से बाहर हैं अपने विधान सभा क्षेत्र चम्पावत में . वे जल्द ही देहरादून लौट रहे हैं. लेटेस्ट खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री के अश्वासन के बाद की ५ तारीख को सुरेश सिंह रावत से बात की आएगी और भू कानून पर ठोस फैसला लिया जाएगा. उन्होंने रावत के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं करने का भी आश्वासन दिया है. अब रावत नीचे उत्तर रहे हैं टावर से. उन्हें १०८ एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया जायेगा.उत्तराखंड क्रांति दाल के नेता उमेश खंडूरी और पूजा चमोली भी उपस्थित थे इस मौके पर जिन्होंने इस मांग के समर्थन में खड़े होने की सबसे अपील की. ध्यान दीजिये की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले चुनाव के दौरान आश्ववासन दिया था की उनकी सरकार के बनने के बाद वे उत्तराखंड की जनता का सम्मान करते हुए प्रदेश में भू कानून लाएंगे १५ दिनों के भीतर ऐसा कहना है आंदोलनकारियों का. उनका ये भी कहना है की अभी तक इस पर बनी समिती का कोई जवाब नहीं आया.
घुसपैठ रोकना हो या अपनी पैत्रिक परिसंपत्ति के प्रति आश्वस्त रखना हो या मोह जगाना हो, नियोजित कृषि या व्यापारिक कृषि करनी हो, या पलायन, अस्मिता की गरिमा पालन और जान माल की सुरक्षा की गारंटी देनी हो, प्रादेशिक राजस्व बढ़ना हो तो भू कानून तत्काल प्रभाव से हिमाचल राज्य की तर्ज पर करना चाहिये।
तर्क सम्मत विषयों पर स्थिति को इस हाल पर नही लाना चाहिये कि किसी शुभकांक्षी नागरिक को जान दांव पर न रखनी पड़े।