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Uttrakhand

भारत से 2030 तक टीबी उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री के प्रमुख कार्यक्रम पर आईएचएलडी द्वारा आईआईसी नई दिल्ली में सेमिनार आयोजित

SUNIL NEGI

डॉ. राहुल चंदोला और उनके प्रतिष्ठित संस्थान “इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट लंग्स डिजीज रिसर्च सेंटर” द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, लोधी एस्टेट, नई दिल्ली में एक अत्यंत उपयोगी सेमिनार का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक देश से क्षय रोग को पूरी तरह से समाप्त करना है, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रमुख कार्यक्रम है।

डॉ. राहुल चंदोला के नेतृत्व में क्राफ्टन कोरिया और कोरिया के श्री सौन के साथ आईएचएलडी की इस स्वस्थ पहल की सभी ने सराहना की। सेमिनार में हंस फाउंडेशन की माता मंगला जी मुख्य अतिथि, संत त्रिलोचन सिंह जी विशिष्ट अतिथि और दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष तथा पांच बार के विधायक मोहन सिंह बिष्ट मुख्य अतिथि थे।

सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों के डॉक्टर, सर्जन, चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ, पत्रकार, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी शामिल हुए।

उपस्थित सम्मानित जनसमूह को संबोधित करते हुए धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेता माता मंगला जी ने डॉ. राहुल चंदोला और उनके संस्थान आईएचएलडी तथा कोरियाई कंपनी के प्रमुख श्री सौन को 2030 तक देश से क्षय रोग के उन्मूलन के महान उद्देश्य के लिए उनके अद्भुत संयुक्त उद्यम के लिए हार्दिक बधाई दी।

उन्होंने कनाडा में अपना आकर्षक पेशा छोड़कर भारत वापस आकर अपने देशवासियों और अपनी जन्मभूमि उत्तराखंड के लोगों की सेवा करने के लिए प्रख्यात हृदय शल्य चिकित्सक डॉ. चंदोला को भी बधाई दी।

माता मंगला माई ने कहा कि डॉक्टर, सर्जन सच्चे अर्थों में भगवान हैं, जो अपने उदार और दयालु प्रयासों से मृत्युशैया पर पड़े रोगियों को नया जीवन देते हैं।

हम समाज में सत्य और पवित्रता का प्रचार करने के लिए धार्मिक कार्यों और अध्यात्म में शामिल होते हैं, लोगों को अपराध, हिंसा से मुक्त समाज बनाने, भाईचारा, सौहार्द और सहिष्णुता का प्रसार करने के लिए सही रास्ते अपनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं, लेकिन चिकित्सक ही हमारे वास्तविक रक्षक हैं, जो व्यावहारिक रूप से हमें ठीक करते हैं, हमें नया जीवन देते हैं, जब हम गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में होते हैं, जब अध्यात्म भी काम नहीं करता, सिवाय इन डॉक्टरों और सर्जनों के, जो व्यावहारिक रूप से भगवान के रूप में हमारे जीवन को बचाते हैं।

हंस फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए माता मंगला ने कहा कि सतपुली में नवीनतम उपकरणों और चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित एक विशाल अस्पताल के अलावा अनुभवी डॉक्टरों की अच्छी टीम के साथ देश के विभिन्न राज्यों में ग्रामीणों के बीच हमारी दस अन्य स्वास्थ्य परियोजनाएं चल रही हैं। हम हृदय रोगियों और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए चिकित्सा उपचार, देखभाल और मुफ्त सर्जरी प्रदान करते हैं, हमारी बारह वैन पूरी तरह से चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित हैं और दूरदराज के विभिन्न गांवों में जाकर किडनी रोगियों को उनके घरों में डायलिसिस करने में मदद कर रही हैं।

इसके अलावा हमारा लक्ष्य देशभर में 25000 मरीजों को किडनी, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों के उपचार सहित निशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करना है।

शुरुआत में हम देशभर में निशुल्क गंभीर हृदय शल्य चिकित्सा करेंगे और सैकड़ों मरीजों को सफल शल्य चिकित्सा के माध्यम से आर्थिक और चिकित्सकीय सहायता दी जा चुकी है। मातांगला ने कहा कि हंस फाउंडेशन उत्तराखंड सहित पूरे भारत में जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवा पहलों के विस्तार की गारंटी देता है, ताकि कोई भी व्यक्ति पीछे न छूटे। उन्होंने डॉ. राहुल चंदोला को गुरुग्राम में तीन सौ बिस्तरों वाले अस्पताल के उनके नए आगामी प्रोजेक्ट में आर्थिक और अन्य प्रकार से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

हृदय और फेफड़े के रोग अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ. राहुल चंदोला, जो एक प्रसिद्ध हृदय शल्य चिकित्सक और पल्मोनोलॉजिस्ट हैं, ने अगस्त में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए हंस फाउंडेशन की माता मंगला जी का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने उत्तराखंड के लगभग सोलह मरीजों के ऑपरेशन का पूरा खर्च वहन करके उन्हें वास्तविक सहायता प्रदान की है, जिससे गरीब मरीजों को नया जीवन मिला है। उन्होंने कहा कि आईएचएलडी सहित सभी को 2030 तक भारत से टीबी को खत्म करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करना चाहिए।

माता मंगला एवं भोलेजी महाराज तथा उनके हंस फाउंडेशन के परोपकारी स्वभाव की सराहना करते हुए डॉ. राहुल ने घटना का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार उत्तराखंड के एक दर्जन से अधिक गरीब मरीजों को उनके द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई, जिससे हम उनके हृदय संबंधी जटिलताओं के लिए ऑपरेशन कर सके, जिससे गरीब मरीजों को नया जीवन मिला।

भारत से क्षय रोग के उन्मूलन के लिए कोरियाई कंपनी के साथ अपने संस्थान की पहल के बारे में बताते हुए उन्होंने कोरिया के श्री सौन को इस नेक कार्य के लिए उनके समर्थन एवं चिंता के लिए धन्यवाद दिया तथा कहा कि यदि हम वास्तव में भारत से टीबी को पूरी तरह से समाप्त करना चाहते हैं, तो हमें गांवों में जाकर लोगों के सीने का एक्स-रे करने के लिए नवीनतम उपकरणों का उपयोग करना होगा तथा उन्हें व्यापक स्तर पर नियमित उपचार देना होगा।

उत्तराखंड के विभिन्न भागों में टीबी की मौजूदगी के बारे में बताते हुए डॉ. चंदोला ने कहा कि हाल ही में उन्होंने हरिद्वार में पांच हजार लोगों का परीक्षण किया, जिनमें से दस प्रतिशत लोग क्षय रोग से संक्रमित पाए गए।

हमने उनका उपचार शुरू कर दिया है और उत्तराखंड के अंदरूनी इलाकों में अपनी नवीनतम एक्स-रे मशीन के साथ अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं, जो कुछ ही मिनटों में परिणाम दे सकती है कि मरीज क्षय रोग से पीड़ित है या नहीं।

डॉ. चंदोला ने कहा कि हमें टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को व्यापक पैमाने पर और समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने की जरूरत है।

डॉ. चंदोला ने जोर देकर कहा कि जब तक हम जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में सुधार नहीं करते और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मदद से टीबी को टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य चिकित्सा सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकृत नहीं करते, तब तक हम लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे।

इसलिए टीबी विरोधी अभियान को व्यापक, प्रभावी बनाने, जमीनी स्तर तक पहुंचाने और लोगों को समय पर, नियमित रूप से और समयबद्ध तरीके से दवाइयां देने सहित उन्हें शिक्षित करने की व्यापक जरूरत है।

इसके लिए प्रशिक्षण, लामबंदी, जिम्मेदारी, जवाबदेही और निश्चित रूप से चिकित्सकों और पैरामेडिक्स द्वारा टीबी रोगियों की बहुत अच्छी तरह से जिम्मेदारी से देखभाल करने की जरूरत है।

डॉ. राहुल चंदोला ने माता मंगला जी को उनके निरंतर समर्थन, आशीर्वाद और सहयोग के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुए उनसे भविष्य में उनके प्रयासों में अपना आशीर्वाद बनाए रखने का आग्रह किया, ताकि वे हृदय, फेफड़े, गुर्दे और तपेदिक से संबंधित गंभीर बीमारियों से पीड़ित अधिक से अधिक रोगियों को ठीक कर सकें, खासकर समाज के निचले तबके के लोगों को। इष्टतम स्वास्थ्य की दिशा में प्रयासरत दुनिया में, तपेदिक एक कठिन चुनौती बनी हुई है, विशेष रूप से वंचित समुदायों में। हमारा अग्रणी कार्यक्रम घर-घर जाकर जांच करने, टीबी के छिपे हुए मामलों की पहचान करने और उनका इलाज करने के लिए हैंडहेल्ड डिजिटल एक्स-रे तकनीक की शक्ति का उपयोग करता है। इस अभिनव दृष्टिकोण के माध्यम से, हमारा लक्ष्य न केवल तपेदिक के बोझ को मिटाना है, बल्कि स्वस्थ भविष्य के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को भी मूर्त रूप देना है, डॉ. राहुल चंदोला ने जोर दिया। उन्होंने कोरियन कंपनी के सहयोग की सराहना करते हुए कहा: यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2025 तक टीबी मुक्त भारत के महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण के अनुरूप है। क्राफ्टन के अमूल्य समर्थन से, हम सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देकर और अभूतपूर्व प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदल सकते हैं।

माता मंगला ने हंस फाउंडेशन की ओर से आईएचएलडी की इस पहल को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया।

सिख गुरु त्रिलोचन सिंह ने माता मंगला की सेवाओं और गरीबों को वित्तीय तथा चिकित्सा सहायता के लिए बहुत प्रशंसा की तथा गंभीर बीमारियों से पीड़ित गरीबों के उपचार के क्षेत्र में डॉ. चंदोला के अद्भुत योगदान की सराहना की। उन्होंने 2030 तक देश से टीबी रोग को समाप्त करने के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए उनका आभार व्यक्त किया तथा भविष्य में भी उनके सभी प्रयासों में व्यक्तिगत सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वे भी निकट भविष्य में एक अस्पताल खोल रहे हैं तथा माता मंगला के सहयोग और आशीर्वाद की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

कार्यक्रम का संचालन श्री चौहान ने कुशलतापूर्वक किया। सेमिनार की शुरुआत में आईएचएलडी की ओर से अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट किए गए।

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