भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मणिपुर और दिल्ली राज्य परिषद् ने किया मणिपुर मुद्दे पर जंतर मंतर पर धरना
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मणिपुर और दिल्ली राज्य परिषद् ने पिछले 50 दिनों से मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा के खिलाफ जंतर मंतर, दिल्ली में एक विशाल धरना आयोजित किया। साथ ही, वे प्रधानमंत्री की चुप्पी के खिलाफ भी आवाज उठाईं कामरेड सोतिन सिंह ने धरने का सञ्चालन किया ।
इस धरने पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में कामरेड के. नारायण, राष्ट्रीय सचिवों में रामकृष्ण पांडा,पी संदोष कुमार संसद सदस्य राज्य सभा ,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,मणिपुर राज्य परिषद् के सचिव एल.थोइरेन, एन. सिंघाजित, जॉय कुमार सहायक सचिव, मणिपुर एआईटीयूसी (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कॉंग्रेस) के नेता शमुंगो सिंह, मणिपुर एनएफआईडब्ल्यू (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन) के नेता मिस्सेस प्रेमिल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मणिपुर राज्य कार्यकारी सदस्य ने अपना बिचार रखे ।
इसके अलावा इस धरने को प्रोफेसर दिनेश वार्ष्णेय ,सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दिल्ली राज्य परिषद्, सुखजिंदर महेश्वरी (अध्यक्ष, ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन), गुलजार सिंग गोरिया ,महासचिव, भारतीय खेत मजदूर यूनियन ,एन टॉमबिचाम (सीपीआई(एम) आदि ने भी संबोधित किया।
सभी नेताओं ने गरजते हुए कहा कि मणिपुर में मौजूदा संकट राजनीतिक समस्या है, इसलिए समाधान भी राजनीतिक होना चाहिए। उन्होंने तत्काल हिंसा की बंदिश और शांति की स्थापना की मांग की। उन्होंने कहा कि जनजातीय हिंसा मणिपुर में शासित भाजपा सरकार की ओछी राजनीति से प्रेरित है। केंद्र सरकार को मणिपुर में सभी राजनीतिक पार्टियों की तत्काल बैठक बुलानी चाहिए। आपदा प्रभावित लोगों के लिए एक विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाना चाहिए, एनएच2 की ब्लॉकेड को खोला जाना चाहिए, मणिपुर में नार्को आतंकवाद को रोका जाना चाहिए आदि।
वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में चल रही अशांति भाजपा की डबल इंजन सरकार की विभाजनवादी नीति के परिणामस्वरूप है। लोगों के बीच विभाजन और संघर्ष को चुनावी लाभ के लिए बढ़ावा दिया गया है, जो सभी को सताने वाली हिंसा में समाहित हो गई है। यह हिंसा विभाजनों के पिछले इतिहास के साथ जुड़ी हुई है और इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार द्वारा स्थायी रूप से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। बहुत से लोगों की जान चली गई है और अधिक संख्या में लोग को बाहर जाना पड़ा हैं। मकानों और दुकानों की जलने की घटनाएं व्यापक रूप से हो रही हैं। हिंसा इतने चिंताजनक स्तर तक जा पहुंचा है, जो मणिपुर के लोगों की आत्मविश्वास में कमी को दर्शाता है और राज्य के प्रति निराशा प्रतीत होती है।
सीपीआई संघर्ष को एक राजनीतिक और सामाजिक संघर्ष के रूप में समझती है और इसे केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं मानती है। सीपीआई गृह मंत्रालय और मणिपुर राज्य सरकार से मांग करती है कि वे तत्काल हिंसा को रोकने के लिए सभी लोगो और राजनीतिक पार्टियों के पास जाएं। संकट का राजनीतिक समाधान सभी की राय और लोगों को सम्मिलित करके और मणिपुर में शांति बहाल की जानी चाहिए। सीपीआई मणिपुर के सभी वर्गों के लोगो से अपील करती है कि वे शांति बनाए रखें।
इस धरने में सीपीआई दिल्ली राज्य के नेता केहर सिंह, राम राज, अजय मलिक, सभी राज्य सचिवमंडल सदस्य, और कामरेड आर पी अत्री, संजीव कुमार राणा, नीरज कुमार, बबन कुमार सिंह, सीपीआई दिल्ली राज्य परिषद सदस्य और हैदर अली, सेंट्रल दिल्ली जिला सहायक सचिव व् राज्य परिषद सदस्य, मुस्लिम मोहम्मद, दक्षिण जिला परिषद सदस्य ने भी भाग लिया ।