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ब्रिक्स सम्मेलन का ग्लोबल वैश्विक मह्त्व

प्रो. नीलम महाजन सिंह

‘ब्रिक्स’ (BRICS) प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह के बीच सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। ब्रिक्स में 9 देश शामिल हैं – ब्राज़ील, चीन, मिस्र, इथियोपिया, भारत, ईरान, रूसी संघ, दक्षिण अफ्रीका व संयुक्त अरब अमीरात। 2025 में अगला ‘ब्रिक्स शिखर’ सम्मेलन ब्राज़ील में आयोजित किया जाएगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ‘गश्त समझौते’ का समर्थन किया। भारत के लिए पांच वर्षों की तटस्थता व बॉर्डर झगड़ों के उपरांत, चीन से पुनः राजनयिक मित्रता, ब्रिक्स सम्मेलन का मुख्य बिंदु है। भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों, की इस मुद्दे के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका रही है और उन्होंने जल्द से जल्द मिलने का निर्णय किया, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अक्टूबर, 2024 को रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मिले। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अक्टूबर, 2024 को रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय मीटिंग् हुई। पीएम मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में परिपक्वता व आपसी सम्मान प्रदर्शित करके “शांतिपूर्ण और स्थिर” संबंधों की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने सीमा संबंधी मामलों पर मतभेदों को एल.ए.सी. (Line of control) पर शांति और स्थिरता को बाधित न करने देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। ब्रिक्स समूह के 16वें शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन यह बैठक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर, उनकी सेनाओं द्वारा गश्त करने के मामले में एक बड़ी सफलता है।पीएम मोदी ने शिखर सम्मेलन के पहले दिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के साथ द्विपक्षीय बैठकें की। व्लादिमीर पुतिन ने भारत को, रूस-यूक्रेन संकट को समाप्त करने के लिए “हर संभव सहायता” प्रदान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।पुतिन, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मिले। पीएम मोदी व राष्ट्रपति शी ने विशेष प्रतिनिधियों, अजीत डोभाल और वांग यी, को सीमा मुद्दे पर जल्द चर्चा करने का निर्देश दिया है। रूस ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्रालय पर ‘अभूतपूर्व’ साइबर हमला हुआ। प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा, “बुधवार (23 अक्टूबर, 2024) को रूसी विदेश मंत्रालय पर एक गंभीर साइबर हमला हुआ, जो देश में हो रहे प्रमुख ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाता है।” इससे पहले सुश्री ज़खारोवा ने कहा कि मंत्रालय को बड़े पैमाने पर ‘वितरित डिनायल-ऑफ-सर्विस’ हमले (DDOS) द्वारा निशाना बनाया गया था। सुश्री ज़खारोवा ने कहा, “आज सुबह आधिकारिक वेबसाइट, रूसी विदेश मंत्रालय के पोर्टल के बुनियादी ढांचे पर विदेश से एक बड़ा साइबर हमला शुरू हुआ।” उन्होंने कहा कि मंत्रालय को नियमित रूप से इस तरह के हमलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन आज का हमला “पैमाने पर अभूतपूर्व” था। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने, ब्रीफिंग के दौरान, कहा कि भारत और चीन संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में, हम महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे और इसे आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न द्विपक्षीय तंत्रों का आयोजन करेंगें। उन्होंने कहा, “समझौते से एलएसी पर तनाव कम होगा। भारत और चीन एक बार फिर कई प्रारूपों पर बातचीत करेंगें।” पीएम मोदी ने सीमा के सवाल पर मतभेदों को सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को भंग करने की अनुमति नहीं देने के महत्व को रेखांकित किया।”


शी ने कहा कि चीन-भारत के ‘संचार व सहयोग को मज़बूत रना चाहिए’। सरकारी प्रसारक सीसीटीवी ने राष्ट्रपति शी के हवाले से यह बताया गया। “चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यताएं, प्रमुख विकासशील देश और वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं”: राष्ट्रपति शी ने कहा। पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, “कज़ान में आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई। पांच साल के समय में यह पहली बार है जब हम औपचारिक बैठक कर रहे हैं। हमारे दोनों देशों के लोग व अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारी बैठक पर बहुत ध्यानपूर्वक देख रहे हैं। चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यताएं, प्रमुख विकासशील देश और वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हम दोनों अपने-अपने आधुनिकीकरण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण चरण में हैं। यह हमारे दोनों देशों और लोगों के मौलिक हितों की सर्वोत्तम सेवा करता है”। सारांशाार्थ, चीन व भारत के मतभेदों को ठीक से सुलझाना चाहिए: राष्ट्रपति शी ने पीएम मोदी से कहा। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा, “दोनों पक्षों को अपनी अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारियाँ लेनी चाहिए और अन्य उभरती अर्थ व्यवस्थाओं के विकास के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए,”। अपने हिमालय सीमा पर चार साल के सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए बीजिंग के साथ भारत एक समझौते पर पहुँच गया है। ब्राज़ील के राष्ट्रपति, ‘लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा’, ने कहा कि ब्रिक्स देशों के लिए अपने बीच वैकल्पिक भुगतान पद्धतियाँ बनाने का समय आ गया है। ब्रिक्स समूह के न्यू डेवलपमेंट बैंक को ब्रेटन वुड्स संस्थानों के विकल्प के रूप में डिज़ाइन किया गया था। व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिक्स, विनिमय प्रस्ताव की रूपरेखा प्रस्तुत की
बुधवार को शिखर सम्मेलन के उद्घाटन भाषण के दौरान, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिक्स विनिमय के निर्माण का प्रस्ताव रखा, जिसे बाद में अन्य प्रमुख वस्तुओं के व्यापार के लिए विस्तारित किया जा सकता है। श्री पुतिन ने नेताओं से कहा, “ब्रिक्स देश दुनिया के सबसे बड़े अनाज, फलियाँ और तिलहन उत्पादकों में से हैं। इस संबंध में, हमने ब्रिक्स अनाज विनिमय खोलने का प्रस्ताव रखा है।” खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपनी विशेष भूमिका को देखते हुए, उत्पादों और कच्चे माल के लिए उचित और अनुमानित मूल्य संकेतकों के निर्माण में योगदान देगा”। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “सभी ब्रिक्स देशों में बुनियादी ढांचे पर विशेष जोर दिया जा रहा है।” ब्रिक्स 30 ट्रिलियन डॉलर से बड़ी अर्थव्यवस्था है। ब्रिक्स बिज़नेस काउंसिल व ब्रिक्स महिला बिज़नेस संघ ने हमारे आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाई है। “इस साल डब्ल्यूटीओ सुधारों, कृषि में व्यापार सुविधा, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं, ई-कॉमर्स और विशेष आर्थिक क्षेत्रों पर ब्रिक्स के भीतर बनी आम सहमति हमारे आर्थिक सहयोग को मज़बूत करेगी।”


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “अपने नए स्वरूप में ब्रिक्स दुनिया की 40% मानवता और लगभग 30% अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। हमें वित्तीय और आर्थिक सहयोग को गहराना चाहिए। हमें वैश्विक दक्षिण देशों की प्रस्तुति और आवाज को बढ़ाने की जरूरत है। दुनिया अशांत परिवर्तन के एक नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। हमें शांतिपूर्ण ब्रिक्स बनाने की ज़रूरत है। गाज़ा और लेबनान संकट पर हमें युद्धविराम के लिए प्रयास करने की जरूरत है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब दुनिया युद्ध, संघर्ष, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी कई चुनौतियों से घिरी हुई है। में उत्तर -दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन की बात हो रही है…और, तकनीक के युग में साइबर सुरक्षा, फेक डी.प. , गलत सूचना जैसी नई चुनौतियां सामने हैं। ऐसी स्थिति में ब्रिक्स से बहुत उम्मीदें हैं। एक विविध और समावेशी मंच के रूप में, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, सभी मुद्दों पर सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। इस संदर्भ में यह दृष्टिकोण जन-केंद्रित होना चाहिए। हमें दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं बल्कि जनहित समूह है।

प्रो. नीलम महाजन सिंह

(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, अंतर्राष्ट्रीय वैश्विक विशेषज्ञ, दूरदर्शन व्यक्तित्व व परोपकारक)

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