बिधूड़ी द्वारा अतिशी, प्रियंका पर अभद्र टिप्पणियां निंदनीय
प्रो. नीलम महाजन सिंह
भाजपा के भौंपू, जो कि मोटर माउथ हैं, शिक्षित होने के बावजूद भी एक अनपढ़ का आचरण, रमेश बिधूड़ी को शर्म आनी चाहिए, उसे मनोचिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता है व उसे भाजपा द्वारा निष्कासित किया जाना चाहिए। ‘नारी का सम्मान याद करेगा हिंदुस्तान”; ऐसा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से उद्घोषणा की थी। गाली-गलौज करने वाले रमेश बिधूड़ी ने दो चौंकाने वाले बयान दिये; प्रियंका गांधी के खिलाफ, म.प्र. व दूसरा आतिशी, सी.एम. दिल्ली के खिलाफ। “मैं कालका जी की सड़कों को प्रियंका गांधी के चेहरे की तरह बना दूंगा”; बिधूड़ी ने कहा। “अरे अतिशी तो, मार्लेना से सिंह हो गईं, चुनाव में अपना दूसरा बाप बना लिया”, रमेश बिधूड़ी चिल्लाते हैं। प्रतिष्ठित महिला राजनीतिक नेताओं के खिलाफ ये दोनों टिप्पणियाँ बेहद निंदनीय हैं। यह बताना अवश्यक है कि आतिशी के पिता डॉ. विजय सिंह और माँ, डॉ. तृप्ता वाही हैं। दोनों प्रसिद्ध शिक्षाविद इतिहासकार हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में मेरे परास्नातक के दौरान डॉ. विजय सिंह, रूसी इतिहास के मेरे प्रोफेसर थे। डॉ. विजय सिंह व डॉ. तृप्ता वाही दोनों कट्टर सीपीआई (एमएल) सदस्य थे। वामपंथी विचारधारा का एक वर्ग कार्ल मार्क्स और लेनिन का अनुसरण करता है। अपनी बेटी आतिशी के प्रति स्नेहपूर्ण उन्होंने उनके नाम ‘मार्लेना’ (मार्क्स व लेनिन का मिश्रण) रखा। लालू यादव ने भी अपने पहली बच्ची का नाम ‘मीसा’ रखा, यानी आंतरिक सुरक्षा अधिनियम का रखरखाव (MISA), जो 1975 की इमरजेंसी में लागू था। लालू यादव जेल में थे व उन्होंने उनका नाम ‘मीसा’ रखा।
हर माता-पिता को अपने बच्चों का नाम अपनी मर्ज़ी से रखने का अधिकार है। आतिशी, सेंट स्टीफंस कॉलेज से मेरी जूनियर हैं और उन्होंने भी इतिहास की पढ़ाई की है व शेवनिंग स्कॉलरशिप पर मास्टर करने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गई थीं। 2006 में उन्होंने एजुकेशनल रिसर्च में रोड्स स्कॉलर के रूप में ऑक्सफोर्ड से अपना दूसरी मास्टर डिग्री हासिल की। रमेश बिधूड़ी, आप उनके आसपास भी नहीं खड़े हो सकते। दूसरी, प्रियंका गांधी पर उनके घृणित बयान के लिए तो यही कहा जा सकता है कि वे अपने ही समुदाय पर एक धब्बा हैं। ये सारी बातें वाकई महिलाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं। भाजपा महिलाओं को सम्मान करने का दावा करती है, सच में? जो व्यक्ति इतना नीचे गिर सकता है, वह जनप्रतिनिधि होने के योग्य नहीं है। रमेश बिधूड़ी के निंदनीय बयान, उनकी परवरिश और चरित्र को दर्शाते हैं। वैसे भी अनुमान है कि वे चुनाव में 100% हारने वाले हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड से 640000 वोटों के अंतर से जीतीं। शर्म से डूबो रमेश भिदूरी!
(इस लेख में व्यक्त विचार पूरी तरह से वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक व सालिसिटर, प्रोफेसर नीलम महाजन सिंह के निजी विचार हैं)