फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के सुझावों के प्रति केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतरामनने दिखाया सकारात्मक रुख
सी.ए. राजेश्वर पैन्यूली, राष्ट्रिय प्रवक्ता एवं कोषाध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया व्यापार मंडल का कहना है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतरामन द्वारा, एम.एस.एम.ई. से जुड़े अधिनियम 2023 की धारा 43बी खंड (एच) के संसोधन के प्रभाव स्वरूप एम.एस.एम.ई. में रजिस्टर्ड व्यापारीयों को होने वाली दिक्कतों को स्वीकार किया है| संसोधित अधिनियम 2023 की धारा 43बी खंड (एच) कहता है कि MSME व्यापारियों का भुगतान, खरीद के 45 दिन के अंदर अगर खरीदार ने नहीं किया तो उसे “खरीद” नहीं माना जाएगा इसका परिणाम ये होगा कि खरीदार को लगभग 30% टैक्स का अतरिक्त भुगतान करना होता था|
वित्त मंत्री सीतरामन के मुताबिक यदि एम.एस.एम.ई. 45 दिनों से अधिक भुगतान में देरी से सहमत है तो हम मूल नियम पर वापस लौटेंगे |
वित्त मंत्री सीतरामन ने कहा की एम.एस.एम.ई. द्वारा प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन के अनुसार, यदि कोई परिवर्तन होगा तो उसे नई सरकार के तहत जुलाई में पूर्ण बजट में करना होगा |
केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतरामन अपने व्यक्तव्य में कहा है की इससे जुड़े मौलिक अधिकार के नियम (भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी)) जो की स्पष्ट कहता है की किसी भी नागरिक को व्यवसाय का अधिकार है” पर वापस लौटने के स्पष्ट संकेत देते हुवे कहा है इसमे परिवर्तन जुलाई में नई सरकार द्वारा पूर्ण बजट की प्रस्तुति के दौरान किया जा सकता है | फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल माननीय केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतरामन के इस आशय का स्वागत करता है|
इस संदर्भ में ध्यान दिलाना उचित होगा की, अपने सभी हितधारकों के लिए “आयकर अधिनियम” से उत्पन्न होने वाले मुद्दों को हल करने के लिए फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल, अलग अलग स्तरों पर प्रयास अपने जारी रखे हुवे था|
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयेन्द्र तन्ना, इस विषय को लेकर लगातार भारत सरकार व वित्त मंत्रालय के संपर्क mein रहे, और लगातार यह सिद्ध करते रहे की “आयकर अधिनियम संसोधन” नागरिकों के व्यापार करने के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध होने के कारण “असंवैधानिक” है| साथ ही अव्यवहारिक भी, कैसे “यह संसोधन” कुछ समय बाद ही तमाम आर्थिक जटिलताओं के साथ व्यापार में नुकसान का कारण बनेगा | श्री आर.के.गौर, जनरल सेक्रेटरी FAVIM व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयेन्द्र तन्ना जी तय रणनीति के तहत अपने सभी हितधारकों के लिए अलग अलग स्तरों पर तेजी विचारपूर्वक काम करते हुवे “आयकर अधिनियम की धारा 43बी खंड (एच)” के विरुद्ध माननीय न्यायालय – में व्यापारियों के मौलिक हितों के लिए केस भी फाइल किया |
अंततः इन तमाम प्रयासों के बाद आये, केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतरामण जी के वर्तमान व्यक्तव्य से हम सभी को यह उम्मीद है की जल्द ही नई सरकार बनने पर सकारात्मक सोच के साथ इस समस्या से उबरने के लिये “कारगार संवैधानिक उपायों” को लागू किया जायेगा कहा पैन्यूली ने I |