प्रख्यात लेखक एवं NDMC के पूर्व निदेशक (जनसंपर्क) मदन थपलियाल हमारे बीच नही रहे
Parthasarthy Thapliyal
यह समाचार दुखद है कि अपने प्यार और व्यवहार के कारण कई लोगों के दिलों में बसे मदन थपलियाल हमारे बीच नही रहे। पौड़ी गढ़वाल की असवाल स्यूं पट्टी के तंगोली गांव में जन्मे मदन जी अजातशत्रु थे। उन्होंने लगभग 79 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल की रात्रि दिल्ली के एक हॉस्पिटल में अपनी अंतिम सांस ली। आज सुबह उनके अग्रज श्री गोवर्धन थपलियाल जी से इस समाचार की जानकारी मिली।
मदन थपलियाल जी के जीवन का अधिकतर समय NDMC में जनसंपर्क कार्य से जुड़ा रहा। वे निदेशक जनसम्पर्क के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे निरंतर लेखन कार्य मे संलग्न रहते थे। मदन थपलियाल जी ने डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी और अनेक पत्रपत्रिकाओं का संपादन भी उन्होंने किया । “राजधानी दिल्ली का एक सदी का सफर” उनकी चर्चित पुस्तक रही। “यादें पहाड़ों की” पुस्तक उनका शब्दचित्र है। ज्वालपा धाम के विकास कार्यों में उनकी गहरी रुचि रही। श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति की स्वर्णजयंती पत्रिका दिव्य ज्योति का संपादन भी उन्होंने किया था। उनके निधन पर मंदिर समिति के अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल ने अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। बड़े भ्राता श्री गोवर्धन थपलियाल ने रुंधे गले से कहा आज मेरा मजबूत हाथ चला गया। मदन जी पत्रकारिता बिरादरी के चहेते इंसान थे। नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से उनका गहन प्रेम था।
स्वर्गीय मदन थपलियाल का अंतिम संस्कार आज दोपहर बाद 2 बजे निगमबोध घाट पर किया जाएगा।
मैं मदन भाई साहब को इनसाइक्लोपीडिया कहता था। उनसे जब भी बातें होती दिल से होती थी। मुझे उनका आशीर्वाद बराबर मिलता रहा। मैंने अपना पथप्रदर्शक खो दिया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को वैकुण्ठ लोक में स्थान दें। परिवार जन इस क्षोभ से बाहर निकले, ईश्वर धैर्य प्रदान करे। ॐ शांति। शांति। शांति। नमन।