पुलिस ने बनाया आत्महत्या निकला पति द्वारा पत्नी की हत्या का मामला
उमाकांत लखेड़ा
(Late Smt Rita Devi ( 34) . The photo was taken few hours she was allegedly killed by her husband Rajesh Kumar)
करीब एक महीने पहले श्रीनगर गढ़वाल में एक विवाहिता महिला रीता देवी की उसके पति द्वारा की गई हत्या को आत्महत्या का जामा पहनाने के लिए स्थानीय पुलिस थाने की ” बहादुरी” की दाद देनी चाहिए। हत्यारे पति को बचाने के लिए थानेदार और उनकी टीम ने सारे हथकंडे अपनाए लेकिन सफल नहीं हुए। यह कहानी और भी दर्दनाक है कि मृतका के पिता शिव लाल उत्तराखंड पुलिस के रिटायर्ड हेड कांस्टेबल है। शिवलाल ने थानेदार से गुहार भी लगाई कि 10 साल का उनका नाती बता रहा है कि पिता ने रात को मां के सिर पर क्रिकेट का बैट मारकर हत्या की। चूंकि वह दलित समुदाय से हैं इसलिए कई लोगों का मानना है कि थानेदार ने इंसानी सहानुभूति दिखाने के बजाए शिवलाल की दो तहरीरें फाड़ी। दबाव डाला और धमकाया कि हत्या नहीं आत्महत्या की शिकायत लिखो। मृतका के पिता और परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने हत्यारे पति को हिरासत में लेने के बजाय खुला छोड़ दिया ताकि वह कुछ और “इंतजाम ” करे और सबूत मिटा सके। पुलिस की इसी दरियादिली का लाभ उठाकर वह नैनीताल हाई कोर्ट जा सके। वह गया भी लेकिन अग्रिम जमानत नहीं मिली। तीन सप्ताह बाद जब जिले की पुलिस की चाल बेनकाब हो गई तो उसे बढ़ते दबाव से मजबूरन पौड़ी में मजिस्ट्रेट के सामने मृतका के बेटे के बयान के लिए बाध्य होना पड़ा जिसमे पुलिस थाने और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की पोस्टमार्टम टीम की सांठगांठ से पर्दा उठा। आगे की कहानी इस पर टिकी है कि इस हत्याकांड की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बाहर आने में 26 दिन क्यों लगे? क्या श्रीनगर मेडिकल कालेज इसलिए बना था? बहरहाल जो काम बड़े अखबारों और टीवी चैनलों को करना था, वह काम श्रीनगर में ” रीजनल रिपोर्टर ” की संपादक गंगा असनोड़ा ने कर दिखाया। उन्हें निष्ठा , निडरता और ईमानदार पत्रकारिता करने के लिए अनेक साधुवाद। राजेश पोल खोल बहुगुणा ने सबसे पहले बच्चे का इंटरव्यू किया। उस वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस झूठ की असली पोल खुली।