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Uttrakhand

पुलिस अधिकारीयों से जिरह करती, हेलंग चमोली की मंदोदरी देवी ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा एस डी एम् ऑफिस में सौंपा

१५ जुलाई को सोशल मीडिया पर हेलंग ,चमोली जिले की मंदोदरी देवी और अन्य महिलाएं जिनके साथ केंद्रीय औद्योगिक पुलिस बल व लोकल पुलिस के जवानों व अधिकारीयों ने दुर्व्यवहार / बत्तमीजी की , उनके घास के पुलों को उनसे छीन लिए और चालान किया और उन्हें जीप में बैठाकर जबरन ले गए , ने आज जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा. एसडीएम महोदय की अतिव्यवस्थता के कारण उन्हें मजबूरन उनके निजी सचिव को ही ज्ञापन सौपना पढ़ा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सम्बोधित ज्ञापन को मंदोदरी देवी और अन्य महिलाओं ने एसडीएम ऑफिस में सौंपा इस उम्मीद और विश्वास के साथ की उनके साथ हुए दुर्व्यवहार की वे जरूर खबर लेंगे और इन अधिकारीयों और पुलिस कर्मियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करेंगे. मंदोदरी देवी , जिन्हे आप वायरल हुए वीडियो में जिरह करते देख रहे ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन में क्या लिखा उसका पूरा मजमून नीचे उपलब्ध है :

सेवा में,
मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड
देहरादून ।

द्वारा : जिलाधिकारी / उपजिलाधिकारी ।

विषय : जोशीमठ प्रखंड के हेलंग गांव में घास ला रही महिला के साथ हुई बदसलूकी की घटना व इसके परिपेक्ष्य में जनता को उनके जल जंगल जमीन के परम्परागत अधिकारों पर हमला करने तथा वंचित करने के संदर्भ में ।

महोदय, उपरोक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि 15 जुलाई 2022 को जोशीमठ प्रखंड के हेलंग गांव में जंगल से घास ला रही महिलाओं से न सिर्फ उनके घास के गट्ठर छीनते पुलिस व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान दिख रहे हैं बल्कि वीडियो में ही दिखता है कि एक महिला रो रही है, दूसरी के साथ छीना झपटी हो रही है । यह दृश्य इस राज्य में, जो कि महिलाओं के आंदोलन व उनकी शहादत व कुर्बानियों के बदौलत बना, देखना बहुत शर्मनाक है दुर्भाग्यपूर्ण है । इसकी कोई सफाई नहीं हो सकती ।
उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर हजारों हजार नाली नाप भूमि, जंगल, चरागाह की भूमि, पनघट, मरघट, पंचायत की भूमि, कम्पनियों को पहले ही दे दी गयी है । इसके बाद भी कम्पनियों की नीयत लोगों की सामूहिक हक- हकूक की भूमि को भी हड़प लेने की है । इससे आम ग्रामीणों के सम्मुख घास चारा लकड़ी का संकट पैदा हो गया है । यह घटना इसी का परिणाम है ।
विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कम्पनी द्वारा खेल मैदान बनाने के नाम पर जहां डम्पिंग ज़ोन बनाया जा रहा है, वह लोगों के पास चारागाह का अंतिम विकल्प बच गया है, वहां लोगों ने वृक्षारोपण कर इस भूमि को हरा भरा बनाया था । डम्पिंग ज़ोन के नाम पर वहां हरे पेड़ काट दिए गए व चारागाह के इस अंतिम विकल्प को भी खत्म किया जा रहा है । जबकि कम्पनी के पास मलबा डम्पिंग के लिए विकल्प उपलब्ध हैं । यहां से तो सारा मलबा सीधे अलकनन्दा नदी में चला जाएगा । जिस तरह की ढालदार भूमि यह है वह यदि भूस्खलन से बची है तो सिर्फ वृक्षारोपण के कारण ही बची है। यह विडंबना ही है कि उत्तराखण्ड के राजकीय पर्व हरेला के अवसर पर न सिर्फ हरियाली नष्ट की गई बल्कि उस हरियाली के रक्षकों पोषकों के साथ भी बदसलूकी की गई, उन्हें गिरफ्तार किया गया और उनका चालान किया गया ।
महोदय, उत्तराखण्ड आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्य है, इसमें चमोली जिला तो और भी संवेदनशील है । साल भर पहले की रैणी आपदा अभी हम भूले नहीं हैं । ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं की मनमानी व अराजक कार्यशैली आपदा को और अधिक भीषण बना देती है ।विभिन्न विशेषज्ञों की रिपोर्ट में पूर्व की आपदाओं में इनकी इस कार्यशैली को चिन्हित किया गया है । अतः डम्पिंग के नाम पर पर्यावरण के मानकों की अनदेखी करते हुए, नदी के ठीक ऊपर आबादी के नजदीक ऐसे कार्य की स्वीकृति देना खतरनाक है ।
महोदय जिला प्रशासन द्वारा कंपनी के साथ मिलकर,
1 वन अधिकार कानून 2006
2 वन पंचायत नियमावली 2012
3 वन सरक्षण अधिनियम 1980
का खुला उल्लंघन किया गया है
अतः आपसे मांग है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की जाये । दोषियों पर तत्काल सख्त से सख्त कार्यवाही की जाय । जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही हो । जलविद्युत परियोजना बनाने वाली कम्पनी के कार्यो की भी जांच हो , उनकी मनमानी पर रोक लगे और उनकी नियमित निगरानी की जाए

भवदीय मंदोदरी देवी , शांति देवी विपिन भंडारी अतुल सती , राहुल भंडारी , आदि.


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2 Comments

  1. विकास व विकास में एक अक्षर का ही अंतर है। जो कि गूढ़ चिंतन व त्यैयारी मागता है।
    स्येथानीय लोगों के हित व सारी समस्यायों के निदान को कार्य अनुबंध मे सम्मिलित होना चाहिये। वरना लय प्रलय में बदलते देर नहीं लगती।

  2. इस बिशप को उजागर बहुत उम्दा काम किया. उत्तराखंड के लोगों की परेशानियों को दरकिनार कर बाहरी कंपनियां Uttarakhand के लोगों का मज़ाक उड़ाते है. उन्हें मूर्खों की श्रेणी में गिनते हैं.
    सादगीपूर्ण ढंग से रहने वाली महिलाओं पर जोर जबरदस्ती करने वाले अधिकारियों को नौकरी से निकाला जाना चाहिए.

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