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Uttrakhand

परिसम्पतियों के बंटवारे को लेकर उत्तराखंड से सौतेला व्यव्हार कर रही है उत्तर प्रदेश सरकार : कांग्रेस


देहरादून 5 मई:
प्रमुख चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी एवं उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेन्द्र शाह ने उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के बीच परिसम्पत्तियों के व्यवहारिक बंटवारे को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के उत्तराखण्ड दौरे के दौरान पत्र के माध्यम से दोनों राज्यों के बीच परिसम्पत्तियों का न्यायसंगत बंटवारा करवाये जाने का अनुरोध किया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में राजेन्द्र शाह ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश से अलग हुए 22 वर्ष का लम्बा समय व्यतीत हो चुका है परन्तु अभी तक दोनों राज्यों के बीच परिसम्पत्तियों का बंटवारा नहीं हो पाया है। इस 22 वर्ष की अवधि में हुए आधे-अधूरे बंटवारे चलते उत्तराखण्ड राज्य को करोड़ों रूपये का नुकसान उठाना पडा है। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के बीच परिसम्पत्तियों के बंटवारे में उत्तर प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड राज्य के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। बडे भाई उत्तर प्रदेश के समक्ष उत्तराखण्ड की सरकार ने राज्य की सम्पत्तियों व राज्य के हितों का समपर्ण कर दिया है।

राजेंद्र शाह ने आगे कहा की टिहरी बांध परियोजना से मिलने वाली बिजली तथा अन्य हितों को भी गम्भीरता से नहीं देखा गया। उत्तराखण्ड परिवहन निगम का भी लगभग 100 करोड़ रूपये राज्य के हितों के साथ समझौता किया गया है। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए उत्तराखण्ड राज्य के हितों के साथ कुठाराघात किया जाना राज्य वासियों के साथ अन्याय है।

राजेन्द्र शाह ने कहा कि 2000 में अलग राज्य गठन के उपरान्त टिहरी बांध जल विद्युत परियोजना में वर्ष 2005 से विद्युत उत्पादन शुरू हो गया था तथा टिहरी बांध परियोजना में राज्य की हिस्सेदारी निर्धारित करने के बदले कुल विद्युत उत्पादन का मात्र 12.50 प्रतिशत मुआबजे के रूप में देकर राज्य के हितों का वहां पर भी समर्पण किया गया है जबकि टिहरी बांध जल विद्युत परियोजना के लिए उत्तराखण्ड राज्य ने अपना शहर, अपने गांव, अपनी जमीन और बहुत कुछ खोया है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है कि उत्तराखण्ड राज्य को 25 प्रतिशत की सब्सिडी दी जानी चाहिए जिसके विरूद्ध आपके नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा न्यायालय में पुर्नविचार याचिका दायर की गई है। यही नहीं उत्तराखण्ड राज्य की जल सम्पदा के लिए 6 राज्यों का जल बोर्ड बनाकर राज्य पुर्नगठन विधेयक में 26 संशोधन करते हुए पहले ही उत्तराखण्ड के हितों को कैद कर दिया गया है। पाला-मनेरी (भैरों घाटी) उत्तरकाशी की तीन महत्ताकांक्षी विद्युत परियोजनाओं जिन पर 700 करोड रूपये खर्च हो चुके थे केन्द्र सरकार द्वारा उन पर भी रोक लगा दी गई।

राजेन्द्र शाह ने कहा कि इसके अलावा 11वें वित्त आयोग से मिलने वाली 5000 करोड़ की धनराशि, उत्तर प्रदेश रिवॉल्विंग फंड में उत्तराखंड के 13 जिलों की जिला पंचायतों की जमा धनराशि पर अर्जित ब्याज। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग को अनुबंध के अनुसार बकाया ब्याज के 15 करोड़ से अधिक की धनराशि। तराई बीच एवं तराई विकास परिषद को उत्तर प्रदेश से मिलने वाली 8.80 करोड़ की धनराशि का भुगतान। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास विकास निगम और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का वर्ष 2000 की बैलेंस शीट के आधार बंटवारा तथा लखनऊ एवं दिल्ली स्थित राज्य अतिथि गृह की परिसंपत्तियों पर भी उत्तर प्रदेश कब्जा जमाये हुए है। विगत वर्ष केन्द्र सरकार के दबाव के चलते उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड की सरकारों के मध्य गुपचुप ढंग से आनन-फानन में परिसम्पत्तियों के अव्यवहारिक बंटवारे से उत्तराखण्ड राज्य के हितों पर भारी कुठाराघात किया गया है जिससे उत्तराखण्ड के निवासी आहत हैं।

राजेन्द्र शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि उत्तराखण्ड राज्य का हितैशी एवं पैत्रिक राज्य के मुखिया होने के नाते राज्यवासी आपसे दोनों राज्यों के बीच परिसम्पत्तियों का न्यायपूर्ण बंटवारा करने तथा न्यायालय में विचाराधीन पुर्नविचार याचिका वापस लेने की विनम्रतापूर्वक अपेक्षा करते हैं।

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