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Uttrakhand

पक्षियों का सुंदर संसार बसाये / अनमोल कविता

डॉ. पीताम्बर अवस्थी



कितना अच्छा होता प्रकृति में।।
अगर दसों दिशाएं हमारे सामने।।
पेड़ों से आच्छादित धरती होती।।
आसान पक्षियों का होता बैठना।।
उनका चहचहाना और फड़फड़ाना।।
उन्हीं से सिखा हमने भी उड़ना।।
दुर्गम वनों और ऊंचे पर्वतों पर जीना।।
और अन्तिम ऊंचाई को छू लेना।।
उनमें और हममें कोई अन्तर नहीं।।
शाम,सवेरे सुनते हैं हम।।
पक्षियों के मधुर गान।।
तभी बहुत खुबसूरत लगता है।।
अपना यह सारा जहां।।
चहक चहक कर जब गाती हैं।।
भोर की तन्द्रालस दूर भगाती हैं।।
उनके ही कलरव में छिपे हैं।।
जगत में कुछ संचित ज्ञान।।
प्रातः काल कर देते हैं सबको।।
देखो, कितना उर्जावान।।
हमें बचाना होगा उनके वंशजों को।।
उजड़ने नहीं देना होगा उ नके घरोदों को।।
हमें बचाने होंगे धरा के पेड़।।
देना होगा पक्षियों को दाना पानी।
।जन जन में यह भाव जगाये।।
प्रकृतिमय यह जीवन बनाये।।
आओ हम सब पेड लगाये।।
पक्षियों का सुंदर संसार बसाये।।

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