नहीं रहे,सांध्य टाइम्स के कई वर्षों तक संपादक रहे, सात सोनीजी, कोटि कोटि नमन !
दिल्ली का सर्वाधिक लोकप्रिय और सबसे ज्यादा प्रसार संख्या वाले समाचार पत्र संध्या टाइम्स के लम्बे समय तक मुख्य संपादक रहे , लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार सत सोनी जी का आज लगभग १२ बजे दोपहर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मृत्यु हो गयी. वे ८९ वर्ष के थे. उनके जाने से पत्रकारिता जगत खासकर हिंदी पत्रकारिता को खासा नुक्सान हुवा है जिसकी भरपाई करना असम्भव है . दैनिक प्रताप अखबार से अपना जर्नलिस्टिक क़रीयर शुरू करने वाले लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार सात सोनी को १७ डेसेमबर १९७९ को सांदय टाइम्स का जिम्मा सौंपा गया . ये वही दिन था जब टाइम्स आफ इंडिया का सांध्य टाइम्स शुरू किया गया था. सात सोनी जी के नेतृत्व में बाद में इस अखबार ने दिल्ली में खासी धाक जमाई और कुछ समय बाद राजधानी का सर्वाधिक बिकने वाला सांध्य अखबार बन गया . जब तक सात सोनीजी इसके संपादक रहे इस अखबार के मुकाबले दिल्ली से निकलने वाले सभी अखबार बौने ही साबित हुए और शनै शनै बंद हो गए . सत सोनीजी और उनकी पूरी टीम का कोई जवाब नहीं था. उनके बारे में ये भी अहा जाता था की वे डस्टबिन से कभी कभी कोई छोटी सी खबर निकाल कर उसमे नयी जान डाल कर बड़ी और प्रभावी खबर बना देते थे. उनकी लेखनी का कोई जवाब नहीं था और उनकी टीम का भी जिनमे उनियालजी , महेश दर्पण, नेपालीजी , ललित वत्स ji , अवस्थीजी, मधुर चतुर्वेदीजी आदि कई पत्रकार थे . मैं भी संध्या टाइम्स आफिस जाकर नेपालीजी को मिलने के बहाने उनसे भी मिल लेता था. मुझे अच्छी तरह याद है एक बार जब नयी दिल्ली से राजेश खन्ना चुनाव लड़ रहे थे , सात सोनीजी अपना कैमरा लेकर काका से मिलने आये थे . मैंने काका से मिलाया और फिर खुद उनकी और काका की तस्वीर खींची थी. ये लोधी एस्टेट की बात है शायद १९९२ की.
नवभात टाइम्स वरिष्ठ पत्रकार ललित वत्स के मुताबिक म्यांमार (तब बर्मा) में जन्मे सोनी वहां जापान के आक्रमण के बाद 1944 में परिवार के साथ पंजाब आ गए थे। उन्होंने जालंधर में उर्दू और हिंदी में शिक्षा ग्रहण की। 1951 में उर्दू अखबार ‘मिलाप‘ से पत्रकारिता शुरू की। बाद में टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप के साथ जुड़ गए। उन्होंने नवभारत टाइम्स में काम शुरू किया। वह बताते थे कि उन्होंने तब के संपादकों से पत्रकारिता की बारीकियां सीखीं। फील्ड में जाकर विभिन्न क्षेत्रों की गतिविधियों की गहराई समझी। सोनीजी ने जो कुछ अपने वरिष्ठ लोगों से सीखा, उसे उन्होंने अगली पीढ़ी को और अधिक निखारकर दिया।
सोनी अपने समकालीन अन्य भाषा के पत्रकारों के बीच भी लोकप्रिय थे। अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर वह दूसरी भाषा के पत्रकारों को बहुत कुछ बताते थे। अन्य भाषा के पत्रकार अक्सर उनसे चर्चा करने टाइम्स हाउस आते रहते थे। 17 दिसंबर 1979 को जब ‘सान्ध्य टाइम्स‘ का प्रकाशन शुरू हुआ तो सोनी को उसकी जिम्मेवारी सौंपी गई। कुछ समय में यह समाचार पत्र देश का सर्वाधिक बिकने वाला हिंदी सान्ध्य दैनिक बन गया।
सोनी 24 घंटे पत्रकारिता को समर्पित रहते थे। घर पहुंचकर अगले दिन के प्रकाशन पर काम करते थे। अगले दिन सुबह जब दफ्तर आते थे, तो उनके हाथ में बीसियों अखबारों का बंडल होता था। उनमें अंग्रेजी के विदेशी अखबार भी होते थे, जिन्हें वह जहां-तहां से जुटाते थे। तब इंटरनेट, मोबाइल और टीवी नहीं थे।
वह देश के पहले पत्रकार थे, जिन्हें 1960 के दशक में ‘टाइम्स लंदन फाउंडेशन स्कॉलरशिप‘ के लिए चुना गया था। वहां के अनुभवों को उन्होंने सान्ध्य टाइम्स के लिए इस्तेमाल किया। वह मुझे 1989 में नवभारत टाइम्स से सान्ध्य टाइम्स में लेकर आए थे। क्राइम रिपोर्टर बनाया और कई गुर सिखाए। उनसे रोजाना आम बातचीत में सीखने को मिलता था। आपसी चर्चा और तर्क को महत्व देते थे। कभी तनाव में नहीं दिखते थे। हंसुमुख मिजाज सोनी लतीफों के माहिर थे। सान्ध्य टाइम्स में लतीफों का कॉलम काफी पसंद किया जाता है। कई बार अच्छे लतीफे नहीं होते थे, तो वह खुद लतीफे बनाकर उन्हें ‘मुहम्मद तुगलक‘ के नाम से छापते थे।
कुछ महीनों से उनसे फोन पर बात नहीं हो पा रही थी। संदेश का जवाब भी नहीं आ रहा था। आखिरी बात करीब आठ महीने पहले हुई थी। तब भी पुराने दिनों के अलावा पत्रकारिता पर लंबी चर्चा कर रहे थे। उनके परिवार में पत्नी, पुत्र, पुत्रवधु और दो पौत्र हैं।
संध्संया टाइम्स के वरिष्ठ संपादक सत सोनी जी के निधन पर विनम्र श्रद्धांजली। भगवान दिवंगत आत्मा को अपने चरणों स्थान दें।