नजफगढ़ की दामिनी के हत्यारों को फांसी दिलाने हेतु ६ मई को जंतर मंतर पर केंडल मार्च, / अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने की अपील
न्याय की आस में एक गरीब परिवार ने 10 साल गुजार दिए।
लेकिन आज तक दामिनी से भी भीभत्स इस कांड में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित चल रही है। द्वारका कोर्ट और हाई कोर्ट से दोषियों को फांसी की सजा मुकर्रर हो चुकी है। लेकिन कानून के लूप होल्स का फायदा उठाकर दोषियों के वकील न्याय प्रक्रिया को बेवजह खींच रहे हैं।
इससे इस प्रकार के दुर्दांत अपराध करने वाले लोगों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। तथा आम आदमी का वर्तमान न्याय व्यवस्था से भरोसा टूटने का खतरा बना हुआ है, ऐसा सामाजिक संगठनों और दिवंगत दामिनी के पीड़ित और कुंठित माता पिता का मानना है
अतः न्याय के सर्वोच्च मंदिर से दोनों हाथ जोड़कर निवेदन है कि इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट पर चलाकर दोषियों को तुरंत कड़ी से कड़ी सजा सुनाएं। जिससे इस प्रकार के गुनाह करने वालों को एक सख्त संदेश जाए। और आम आदमी का वर्तमान न्याय व्यवस्था पर भरोसा कायम रहे।
जनता को इस प्रकार के अपराधों के प्रति संवेदनशील बनाने व माननीय सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाने के लिए आप सभी जागरूक व संवेदनशील साथियों से विनम्र निवेदन है कि आगामी 6 मई को शाम 5 बजे जंतर मंतर पर अयोजित होने वाले कैंडल मार्च में अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज कराएं।
इस कैंडल मार्च में दिल्ली के विभिन्न सामाजिक संस्था से जुड़े लोग दिवंगत नजफगढ़ की दामिनी के लिए न्याय की गुहार लगाएंगे क्योंकि ये मामला पिछले नौ वर्षों से आधर में लटका है और माननिय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
उत्तराखंड एकता मंच, उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच द्वारा आयोजित इस कैंडल मार्च में दिल्ली के सक्रिय गढ़वाल हितेषिणी सभा, उत्तराखंड पत्रकार फोरम, एवं सभी सामाजिक संगठन जैसे उत्तराखंड चिंतन आदि भाग लेंगे. उनके अलावा कवी लेखक पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता , बुद्धिजीवी , कलाकार और समाज के सभी वर्गों के लोग इस कैंडल मार्च में अपनी भागीदारी निभाएंगे.
गौर करने योग्य बात है की ६ फरवरी २०१२ के मनहूस दिन क़ुतब विहार नजफगढ़ क्षेत्र से सांय ६ बजे तीन बदमाशों ने १९ वर्षीय किरण नेगी का अपहरण किया और वहां से वे उसे इंडिका कार में हरयाणा के रोधई गाँव के सरसों के खेत में ले गए और वहां इन तीनो बलात्कारियों ने न सिर्फ उनका बलात्कार किया बल्कि उनके चेहरे पर एसिड डाला, आंखें फोड़ दी और गुप्तांग में टूटी बोतल से गहरे जख्म किये.
असहाय और पीड़ा से तड़फ रही दामिनी को इन दरिंदों ने उनके शरीर पर गैंग रेप के बाद २१ जख्म किये और तड़पा तड़पाकर मौत के घाट उतार दिया.
ये जघन्य गैंगरेप और मौत वसंत विहार की दामिनी से एक वर्ष पहले की घटना थी लेकिन २०१२ से दस वर्ष के अंतराल के बाद भी पीड़ित पिता कुंवर सिंह नेगी और उनकी पत्नी दर दर की ठोकरें खाने को विवश हैं.
देश के इतिहास में इस प्रकार की असहाय युवती के दुर्दान्त गैंगरेप और हत्या की घटना शायद ही देखने को मिली हो , वसंत विहार की दुखद घटना के बाद.
हमारी, माननीय उच्चतम न्यायालय के विद्धवान न्यायाधीश से अपील है की द्वारका सेसश कोर्ट से मिली फांसी को बरक़रार रखते हुवे इन तीनो हैवानो को तुरंत फँसी के फंदे पर चढ़ाया जाय ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके.
ये बहुत दुखद है कि आज तक अपराधियों को फांसी नहीं दी गयी है . ये ठीक इस बात को प्रमाणित करता है कि न्याय की पालना में देरी अन्याय का एक प्रकार है .
अपराधियों को फांसी में हो रही देरी ने हम सब लोगों में एक बात घर कर गयी है कि न्यायिक आदेश की पालना में देरी सामाजिक असमानता से प्रभावित होती है . पीडिता के परिवार के अत्यंत दीन – हीन होने के कारण भी फांसी में विलम्ब हो रहा है . वरना एक दशक बीत जाने के बाद भी जनता को न्याय की पालना हेतु सामने नहीं आना होता . ये उस बालिका के साथ हुए जघन्य अपराध के साथ – साथ देरी का अपराध भी है .आगामी छ मई को इस प्रदर्शन के साथ – साथ उत्तराखंड में भी इस न्याय की पालना में हो रही देरी के प्रति आक्रोश व दुःख व्यक्त किया जाएगा .