देश के 18 राज्यों में इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में उत्तराखंड का 16 रैंक

यह सब पहले नहीं होता था लेकिन अब होने लग गया है। अब खुलेआम प्रदेश के कुछ तथाकथित बड़े लोग हिंसा करते हैं और हिंसा की बात करते हैं। सड़क छाप गुंडे, मवाली किस्म की बॉडी लैंगुएज और एटीट्यूड के साथ सत्ता में हैं और सत्ता के साथ दिखते भी हैं।

इस प्रकार का व्यवहार उत्तराखंड जैसे शांतप्रिय और सभ्य राज्य के लिए बेहद नुकसानदेह है। यह एक खतरनाक संस्कृति को जन्म देती है, जिसमें कानून और न्याय व्यवस्था की जगह हिंसा और भय को बढ़ावा मिलता है।

यह स्वीकारना जरूरी है कि जब वरिष्ठ स्तर से इस तरह की बातें कही जाती हैं, तो इसका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह न केवल लोगों के बीच कानून के प्रति विश्वास को कमजोर करता है, बल्कि राज्य की लोकतांत्रिक और न्यायसंगत छवि को भी धूमिल करता है।

उत्तराखंड का इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 में देश के 18 राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड से भी बदतर 16वें स्थान पर होना यह दर्शाता है कि हमारी न्याय व्यवस्था में सुधार की संभावनाएं हैं और कमियां हैं। जब वरिष्ठ लोग हिंसा की बात करते हैं, तो यह कहीं न कहीं इसी बिगड़ती न्याय प्रणाली का प्रतिबिंब है।

ऐसे बयानों और प्रवृत्तियों की कड़ी आलोचना और सार्वजनिक रूप से निंदा होनी चाहिए। उत्तराखंड को आगे बढ़ने के लिए न्याय, शांति और संवैधानिक मूल्यों को प्राथमिकता देनी होगी न कि डर और हिंसा की संस्कृति को। अगर हमें इंडिया जस्टिस रिपोर्ट जैसे आकलनों में सुधार लाना है, तो हमें सबसे पहले अपने राजनीतिक और सामाजिक व्यवहार में बदलाव लाना होगा।

इस दिशा में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करना, और सामाजिक जागरूकता बढ़ाना, आज की एक बड़ी आवश्यकता है।
अनूप नौटियाल

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