देश के लिए मिसाल बनी ये पहल
गोविन्द गोपाल
विगत तीन दिनों से राजकीय जूनियर हाई स्कूल बागपाली दन्या अल्मोड़ा में चल रही सेना भर्ती तैयारी का समापन हो गया। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक शिक्षक योगेन्द्र रावत के प्रयासों से सफल हुए इस कार्यक्रम में भारतीय सेना से अवकाश प्राप्त प्रशिक्षकों ने युवाओं को इस सम्बन्ध में जहां एक ओर टिप्स दिए वहीं दूसरी ओर शारीरिक क्षमता प्रदर्शन में सुधार के लिए आवश्यक अभ्यास सिखाये।
प्रशिक्षक प्रकाश मिश्रा ने बताया कि वे दो साल से सैकड़ों युवाओं को निःशुल्क सेना भर्ती का प्रशिक्षण देते आ रहे हैं। इसलिए वे शिक्षक योगेंद्र रावत के आग्रह पर आज यहाँ प्रशिक्षण देने पहुँचे हैं। प्रशिक्षक गोपाल नेगी ने बताया कि पहाड़ के युवाओं में सेना में जाने के प्रति जोश पूरे देश में अद्वितीय है। प्रशिक्षक मूलचन्द के अनुसार कार्यक्रम में बेटियों के भाग लेने और पूरे तीन दिन अभ्यास की बारीकियों को सीखने में उनकी ललक सराहनीय रही। प्रशिक्षक दीपक ने दौड़ एवं लम्बी कूद एवं अन्य प्रशिक्षण इवेंट में श्रेष्ठता के साथ प्रदर्शन को प्राप्त करने के टिप्स देते हुए कहा कि संघर्ष के बाद जीत पक्की होती है। अतः अभ्यास के संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिये। प्रशिक्षक टीम के साथ आये समन्वयक हर्ष ने अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति सहयोगी बने रहने की अपील की। एस एम सी अध्यक्ष महेश राम ने शिक्षक योगेन्द्र रावत द्वारा किये कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि हमारे बच्चों के लिए इतना सुनहरा अवसर पैदा करने के लिए पूरा समाज उनका आभारी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता गोविन्द गोपाल ने कहा कि शिक्षक योगेद्र के क्षमता व लगन को देखते क्षेत्र में स्थाई आवासीय सेना भर्ती तैयारी कार्यक्रम भी आयोजित किये जाने की दिशा में काम करने से क्षेत्र के युवाओं की बड़ी सहायता होगी। उन्होंने कहा कि ये प्रदेश में इस तरह का कार्यक्रम अवकाश के समय एक अध्यापक द्वारा अपने निजी खर्चे से आयोजित करना अत्यंत सराहनीय है। तीन दिन चले इस कार्यक्रम में सेना भर्ती की तैयारी के साथ पुलिस भर्ती हेतु लड़कियों की दौड़, शटल रेस,बॉल थ्रो,रस्सी कूद,लम्बी कूद आदि एवं लड़कों की दौड़,लंबी कूद,विम, चिनप एवं सेना हेतु लड़कियों व लड़कों की दौड़,लम्बी कूद, विम, चिन-अप आदि का मानकों के आधार पर प्रशिक्षण दिया गया। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लड़कियों व लड़कों को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में अभियन्ता मनोज पांडे ने विशेष भूमिका निभाई एवं विद्यालय प्रबंधन समिति की दीपा देवी, गीता देवी, अभिभावक सुंदर राम, पूरन राम, प्रहलाद , ग्रामप्रधान भीम राम एवं आस पास के दर्जनों ग्रामीणों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत में शिक्षक योगेंद रावत ने सभी सहयोगियों एवं प्रतिभाग करने वाले युवक एवं युवातियों का आभार व्यक्त किया।
आज पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार परक और रोजगार से सम्बंधित परामर्शीय शिविर लगाने की बहुत आवश्यकता है . ऐसे शिविरों में कम सम्पन्न युवाओं एवं युवतियों को बाहर से आये विषय विशेषज्ञों से बिना किसी शुल्क के सलाह मिला करती जिसकी इन दुर्गम स्थानों में उपलब्धता शून्य है . उत्तराखंड सरकार का विशेष रूप से शिक्षा विभाग ऐसे कार्यक्रमों से कन्नी काटता है जो असल में सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में आयोजित होते हैं . सूचनानुसार इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के अधिकारी नदारद थे जबकि उन्हें आमंत्रित किया गया था. शिक्षा व्यक्ति को रोजगार से जोड़ती है और यहाँ शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसे कार्यक्रमों से दूरी बनाते हैं .शिक्षा मंत्री और मुख्य मंत्री महोदय को इसे गंभीरता से लेना चाहिए . ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि आयोजनों में शिक्षा विभाग से जुड़े कन्नी काटते रहे हों . संकुल स्तर के कार्यक्रम तो छात्र भागीदारी के अनुसार बड़ी ही लापरवाही से आयोजित किये जाते हैं जिसमें सरकार का पैसा खर्च तो होता है पर छात्र वंचित रह जाते हैं .
प्रधान मंत्री महोदय को भी इस समाचार का संज्ञान लेना चाहिए कि जहां एक और अग्निवीर योजना को लेकर देश के अन्य हिस्सों में तोड़फोड़ हुई है दूसरी और पर्वतीय क्षेत्र में सेना में जाने को लेकर आयोजित किये गए तीन दिवसीय आयोजन में जहां सैंकड़ों युवाओं और युवतियों ने शिक्षा विभाग के अधिकारी उत्साह बढाने मंच तक में नही आये . जबकि ये आयोजन अभिभावकों , शिक्षक योगेन्द्र एवं सेना के अवकाश प्राप्त प्रशिक्षकों ने अपने स्वयं के खर्चे से आयोजित किया था ताकि वंचित समाज एवं निर्धन समाज के युवा एवं युवतियों को सम्यक परामर्श एवं भारती तैयारी के टिप्स मिल सके . हमें देखना होगा की प्रधान मंत्री रात दिन काम कर रहे हैं तो ये लोग सोये क्यों हैं ? और पहाड़ के द्र्गम स्थानों में सुविधा जुटानें के कामों में अनिच्छुक ये लोग कैसे समय पास कर रहे हैं ?
प्रधान मंत्री कार्यालय को भी केंद्र की योजना को लेकर उदासीन कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर भी कार्यवाही करने चाहिए क्योंकि योजनाओं के सही क्रियान्वयन न होने से निर्धन और साधन हीन जनता को देश में हो रहे विकास का लाभ नहीं मिलता है .
चारों और उदाहारण हैं, अभी नमूना सामने है पिछले वर्ष इसी विद्यालय में मध्याह्न भोजन पानी ना होनेके कारण नहीं बन पाया था जिसके लिए उपवास में बैठना पड़ा और विद्यालय के खुलने के लगभग दस वर्षों बाद भी बिजली का कनेक्शन नहीं मिला है है जिसके चलते प्रोजेक्टर या कंप्यूटर की कक्षायें नहीं चलायी रही हैं . जिले के आला अधिकारी भी इस विद्यालय का भ्रमण कर चुके है पर हालत आगे दौड़ पीछे छोड़ की बनी हुई है . और सरकारी स्कुल के गरीब छात्र – छात्राएं अभावों की समस्या झेलने को विवश हैं . आज तक इस विद्यालय को भाषा का शिक्षक नहीं मिला है जबकि यहाँ के बच्चे अग्निवीर बनने को लेकर उत्साहित हैं .ये मासूम बच्चों के साथ अन्याय है . सरकार जो बच्चों का हक़ उसे शीघ्र दे . कृपया सरकार संज्ञान ले.