Uttrakhand

दून पुस्तकालय में हुआ कहानी संग्रह ‘रिस्पना ‘ का लोकार्पण

देहरादून, 23 दिसम्बर, 2025।
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज शाम सुपरिचित कथाकार शमा खान के सद्य प्रकाशित कहानी संग्रह ‘ रिस्पना’ का लोकार्पण और उसके बाद एक चर्चा का कार्यक्रम केन्द्र के सभागार में किया गया। वक्ताओं ने इस इस कथा संग्रह में शामिल कहानियों के कथानक रचना से जुड़ी प्रक्रिया, बिम्बों तथा सामाजिक परिवेश पर आधारित विविध पक्षों पर अपने विचार व टिप्पणियां दीं.

इस सादे एवं गरिमामय समारोह में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में एडवोकेट रज़िया बेग उपस्थित रहीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार मदन शर्मा ने की।

इस अवसर पर समीक्षक शिक्षाविद विद्या सिंह, कवि राजेश सकलानी, डॉ. राजेश पाल जैसे साहित्यकार लोगों ने कथा संग्रह के विविध आयामों पर प्रकाश डाला।

लेखिका शमा खान ने बताया कि इस संग्रह में 28 कहानियाँ शामिल हैं, जो समाज के आम जनजीवन, विकास और पर्यावरण के विविध बिन्दुओं पर सार्थक सवाल उठाती हैं।

डॉ.विद्या सिंह ने कहा कि रिस्पना साहित्यकार शमा खान का एक संग्रहणीय कथा संग्रह है.जिसमें . कहानी के जरिये समाज की भलाई सामूहिक रूप में परिलक्षित हुई है। कहाती कला लेखक व कवि राजेश सकलानी ने कहा साहित्यकार अपनी सजग दृष्टि से समाज की यर्थातता को कहानी के माध्यम से धरातल पर चित्रित करने का यत्न करता है। शमा खान के संदर्भ में यही बात लागू होती है, उन्होनें अपनी तमाम कहानियों के माध्यम से इस बात को उजागर करने का शानदार प्रयत्न किया है । उनकी कहानियों मानवीय हमदर्दी, संवेदनशीलता की पराकाष्ठा मिलती है ।सामाजिक छुआछूत भेदभाव की चिन्ताएं भी कहानियों में लगातार उभरती रहती हैं। डॉ. राजेशपाल ने शमा खान की कहानियां सोचने को मजबूर करती हैं, जो हमारे बीच से उपजी है। इनकी कहानियों में समाज के भ्रष्टाचार, तथा कथित विकास, आतंकवाद की चिंताओं के साथ ही आदिवासी समाज की पीड़ा भी मुखरित होती है। कहानी का निरंतर प्रवाह सरल सहज कथ्यात्मक शैली प्रभावित करती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मदन चन्द्र शर्मा ने शमा खान की कहानियों को आम जन की आवाज बताते हुए उन्हें महत्वपूर्ण करार दिया. एडवोकेट रज़िया बेग ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए शमाखान को बधाई दी और कहानियों को समाज के लिए प्रेरक बताया.कार्यक्रम का संचालन करते हुए सामाजिक इतिहासकार व लेखक डॉ. योगेश धस्माना ने शमा खान को गंभीर और संवेदनशील लेखिका बताते हुए कहा कि उनका लेखन साफ तौर पर सामाजिक परिवेश और यथार्थ में जिए गए जीवन अनुभवों से उपजा हुआ है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों का हार्दिक स्वागत किया।

इस कार्यक्रम में , जय प्रकाश खंकरियाल, डॉ.लालता प्रसाद,मदन मोहन काण्डपाल, सुन्दर सिंह बिष्ट, जगदीश बाबला, जितेन्द्र भारती, ललित सिंह राणा, भारती पाण्डे, कुलभूषण नैथानी,मनोज पंजानी, अरुण कुमार असफल, नरेन्द्र चौधरी, जितेन्द्र शर्मा, राजेन्द्र गुप्ता, संजीव घिल्डियाल पंत, देवेन्द्र कांडपाल, सहित कई लेखक,साहित्यकार, साहित्यप्रेमी, पाठक गण सहित अन्य कई लोग उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button