दिल्ली हाई कोर्ट ने एशियाई गेम्स की चयन प्रक्रिया में विनेश फोगट और बजरंग पुनिया को दी गयी रियायत पर उठाये सवाल
हालाँकि हाल ही में जंतर-मंतर पर कुश्ती में अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेताओं बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट द्वारा शुरू किया गया निरंतर संघर्ष आखिरकार समाप्त हो गया है, लेकिन उनकी मुसीबतें अभी भी बनी हुई हैं और उन्हें शांत होने के लिए तैयार नहीं हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गुरुवार को एशियाई खेलों की चयन प्रक्रिया में इन दोनों पहलवानों को रियायतें देने की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के बाद ये दोनों एक बार फिर असमंजस की स्थिति में हैं।
हाई कोर्ट ने भारतीय ओलंपिक समिति की एडहॉक कमेटी पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त इन दोनों पहलवानों को एशियाई खेलों के ट्रायल में चयन प्रक्रिया में किस आधार पर रियायत दी गई।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा को चयन प्रक्रिया में रियायत देने के लिए निर्धारित मानदंडों के साथ अगले शुक्रवार को पूरी तरह से तैयार होकर अदालत में आने के लिए कहा – जैसा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि इसकी वेबसाइट में इसके लिए कुछ मानदंड हैं। याचिकाकर्ता पंघाल और कलकल ने अपनी याचिकाओं में स्पष्ट रूप से 65 किलोग्राम और 53 किलोग्राम श्रेणियों में विनेश फोगट और बजरंग पुनिया के चयन को रद्द करने का अनुरोध किया है क्योंकि उनके अनुसार यह मनमाना और निर्धारित मानदंडों के खिलाफ है। उन्होंने पूरी चयन प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की मांग की और कहा कि किसी भी खिलाड़ी के कद या उत्कृष्ट उपलब्धि की पिछली पृष्ठभूमि के बावजूद किसी भी अनुचित पक्षपात के बिना ट्रायल निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि विश्व कुश्ती महासंघ के अधिकार क्षेत्र में आईओए की तदर्थ समिति ने 22 और 23 जुलाई को होने वाले 65 किलोग्राम और 53 किलोग्राम वर्ग के कुश्ती ट्रायल में बजरंग पुनिया और विनेश फोगट को रियायतें दी हैं। ये दोनों सेलिब्रिटी पहलवान जंतर-मंतर के प्रचारित मीडिया संघर्ष में भी सबसे आगे थे, जिसके कारण अंततः डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष, सांसद और मजबूत नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न कठोर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई।