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दिल्ली सरकार द्वारा हिन्दी, गढ़वाली कुमाउनी व जौनसारी भाषा एकेडमी द्वारा ग्रीष्म कालीन कार्यशालाओं का आयोजन।

विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी दिल्ली सरकार द्वारा हिन्दी, गढ़वाली कुमाउनी व जौनसारी भाषा एकेडमी द्वारा आयोजित ग्रीष्म कालीन कार्यशालाओं का भव्य आयोजन किया गया। जहां दिल्ली सरकार के विभिन्न स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चों ने हिन्दी भाषा के लघु नाटक, सुगम व शास्त्रीय संगीत की नृत्य शैलियों के गुर सिखा वहीं गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी भाषा एकेडमी की कार्यशालाओं में गढ़वाली व कुमाउनी भाषा के लोक नाट्य, लोकनृत्यों व ऐपण (अल्पना) कला के अतिरिक्त पहली बार चमोली जनपद के पैनखंडा ब्लाक के सिलूड़ गांव के मुखौटा नृत्य का समवेश किया ।ध्यान रहे मुखौटा शैली का यह नृत्य अब यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रुप में संरक्षित किया जा रहा है।

उपरोक्त वर्णित विधाओं का लगभग तीन सप्ताह तक बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया जिसे दिल्ली की चिलचिलाती.व उमस भरी गर्मी में बच्चों ने बड़े चाव से सीखा। तदुपरांत अभिभावकों व अन्य दर्शकों के लिए उनका प्रदर्शन भी रखा गया।

इसी क्रम में 25 जून, 2025 को कात्यायनी सभागार दिल्ली में पुनीत पब्लिक स्कूल विश्वास नगर शाहदरा, विद्या भाल भवन सेकेंडरी स्कुल, मयूर विहार फेस 3, शशि पब्लिक स्कूल मझोली रोड शाहदरा, ग्रेट मिशन स्कूल पश्चिम विनोद नगर, अभिनव भारती मॉडल स्कूल सोनिया विहार के सेंटर्स द्वारा अपनी शानदार प्रस्तुति दी गईं। 27 जून, 2025 को तक्निया सभागार रोहिणी में सेंट गिरी पब्लिक स्कूल, डी.बी. कॉन्वेंट स्कुल बुराड़ी, अभिनव पब्लिक स्कुल प्रीतमपुरा आदि के बच्चों ने हिंदी नाटक नचिकेता, बुधिया फंस गया चक्कर में, भटकती ज़िंदगी का नाटक, गढ़वाली लोक नाट्य जंगल की ओर, भरत नाट्यम शैली पर आधारित गणेश.वंदना, शास्त्रीय वंदना व दशमवतार प्रस्तुत किया गया। इन प्रस्तुतियों में सबसे उल्लेखनीय प्रस्तुति थी मुखौटा शैली का यह नृत्य जिसे अब यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रुप में संरक्षित किया जा रहा है, को डॉ. कुसुम भट्ट के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया।

उपरोक्त प्रतियोगिता में हिन्दी भाषा के अतिरिक्त गढ़वाली व कुमाउनी के निर्णायक मंडल में के.एन.न. पांडे “खिमदा” व डॉ. सतीश कलेश्वरी थे।

दिन में 12 बजे से यह प्रतियोगिता शाम छै बजे तक चलती रही। एकेडमी के सचिव संजय गर्ग यूं तो सभी प्रस्तुतियों से अभिभूत थे परन्तु मुखौटा नृत्य की प्रस्तुति देखकर वह बहुत प्रशन्न हुए । उन्होंने सभी विद्यालयों के स्टाफ अपने निर्देशकों, सहायक निर्देशकों व संयोजकों की भि प्रशंसा कि व उन्हें इतनी अच्छी प्रस्तुतियों के लिए बधाई प्रेषित की।

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