दिल्ली राज्य आंदोलनकारी का सम्मान, राज्य का सम्मान है, कल करेंगे हरीश रावत मौनव्रत , उनकी मांग है : दिल्ली के उत्तराखंड आंदोलनकारियों को भी पेंशन मुहैय्या हो
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कल देहरादून निवास पर मौनव्रत और एक घंटे के अनशन पर रहेंगे . उन्होंने कहा कि यदि आवश्तकता पड़ी तो वे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निवास के बाहर भी अपना विरोध प्रकट कर सकते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री रावत का आरोप है की उत्तराखंड सर्कार ने दिल्ली के उन उत्तराखंड आंदोलनकारियों को पेंशन की सुविधा से नज़र अंदाज कर दिया है जिन्होंने दिल्ली और उत्तराखंड में पूरी तनमयता के साथ संघर्ष किया और उत्तराखंड पृथक राज्य की मांग को अंततः फलीभूत किया. सोशल मीडिया में पोस्ट किये गए अपने वक्तव्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा कि जिस वक्त सरकार, #राज्यआंदोलनकारियों की गणना कर उनको “आंदोलनकारी पेंशन” से सम्मानित करने जा रही है। कुछ ऐसे राज्य आंदोलनकारी हैं जो छूट गये हैं और दिल्ली के राज्य आंदोलनकारी जिनके बिना राज्य आंदोलन सफलता के मुकाम तक पहुंच ही नहीं सकता था जिन्होंने देहरादून और दिल्ली, दोनों जगह एक साथ लड़ाई लड़ी। राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति के संयोजक के तौर पर मैंने खुद दिल्ली के राज्य आंदोलनकारियों के एक ऐसे प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिस जुलूस में सम्मिलित आंदोलनकारी ने प्रधानमंत्री आवास के दरवाजे तक पहुंच कर वहां पर एक पेड़ था उस पर काला झंडा बांध दिया था, सारी सरकार में हड़कंप मच गया था। प्रधानमंत्री जी के सुरक्षाकर्मी गोली चलाने को तत्पर हो गए थे, जब उन्होंने मुझे खड़ा देखा तो उनमें जो कुछ लोग पहचानते थे उन्होंने कहा कि इन आंदोलनकारी को जो दरवाजे के निकट तक पहुंच चुके हैं इनको पीछे हटा लीजिए नहीं तो हमारे पास गोली चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। मैं जानता हूं कितनी कठिनाई हुई थी मुझे उन आंदोलनकारी को प्रधानमंत्री आवास के गेट से हटाने में !! जिन लोगों ने राज्य आंदोलन को इतनी शिद्दत व बुलंदी से आगे बढ़ाया उनका सर्वेक्षण भी हो गया है, सूचियां फाइनल तैयार हैं। लेकिन सरकार उनको पेंशन के लाभार्थियों में सम्मिलित नहीं कर रही है, मुझे इस बात का गहरा दुःख है। मैं सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने के लिए कल दिनांक-18 अक्टूबर, 2023 को अपने देहरादून स्थित आवास पर 1 घंटे का, 11 बजे से #मौनव्रत रखूंगा और आवश्यकता पड़ी तो कालांतर में #मुख्यमंत्री_आवास के बाहर भी #उपवास पर बैठूंगा। दिल्ली राज्य आंदोलनकारी का सम्मान, राज्य का सम्मान है, राज्य आंदोलन का सम्मान है और मैं समझता हूं कोई भी राजनीतिक दल मेरी इस भावना से असहमत नहीं हो सकता है। सरकार को राज्य के अंदर राजनीतिक दलों में व्याप्त आम सहमति का आदर करना चाहिए और दिल्ली में जिन आंदोलनकारी को चिन्हित किया गया है उनको भी पेंशन योजना का लाभ देना चाहिए।
।।”जय उत्तराखंड”।।