दिल्ली चुनावों में बंटती राजनैतिक रेवढ़ियां
प्रो. नीलम महाजन सिंह
सभी पाठकों को लोहड़ी व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें। बात लोहड़ी की हो, तो रेवढ़ियां तो खाने को मिलेंगी ही! वैस भारत समाजवादी देश है, जिसमें राज्य को जनता के लिए समाजिक-आर्थिक हित के लिए कार्य करना महत्वपूर्ण है। सभी राजनीतिक दल, साम, दाम, दंड भेद लगा कर दिल्ली के चुनाव जितना चाहते हैं। भाजपा ने आम आदमी पार्टी नेता, अरविंद केजरीवाल के लिए कहा था कि उनके मुफ़्त की बिजली, शिक्षा, अनाज आदि; ‘मुफ़्त की रेवढ़ियां’ हैं। अब वही ‘राजनीतिक रेवढ़ियां’ भाजपा भी बांट रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की ‘लाडली बहना स्कीम’ की सफलता ने राजनीतिक दलों को हिला कर रख दिया है। दिल्ली में भाजपा ने चुनावों के लिए कई मुफ़्त योजनाओं की घोषणा कर रही है। महिलाओं के लिए 2,500 रुपये, बुजुर्गों के लिए मैडिकल इलाज, मुफ्त बस यात्रा, पूजा स्थलों के लिए 500 यूनिट तक मुफ़्त बिजली आदि की भी सिफारिश की गई है। भाजपा की घोषणापत्र समिति द्वारा की गई सिफारिशों में, 300 यूनिट तक मुफ़्त बिजली देने की सिफारिश की गई है। 200 यूनिट तो ‘आप’ पहले से कर रही है। समिति ने दिल्ली में वर्तमान में लागू योजनाओं व वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नीतियों की सिफ़रिश की है । पार्टी के घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा जाएगा कि मौजूदा सरकार द्वारा लागू की गई किसी भी योजना को समाप्त नहीं किया जाएगा। इनमें महिलाओं के लिए मुफ़्त बस यात्रा, घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह, 20 किलो लीटर मुफत पानी तथा 200 यूनिट से कम खपत करने वाले परिवारों के लिए मुफ़्त बिजली शामिल है। दिल्ली भाजपा प्रमुख ने कहा, वरिंदर सचदेव ने कहा है, “अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार यह दावा करके दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रही है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो वह सभी ‘मुफ़्त सुविधाओं को खत्म कर देगी, परंतु ऐसा नहीं है”। प्रधानमंत्री मोदी ने परिवर्तन रैली के दौरान पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है व घोषणापत्र भी इस ओर इशारा कर रहा है। भाजपा वरिष्ठ नागरिकों को भी सभी लाभ देगी। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में ‘आप’ की सत्ता में वापसी पर महिलाओं को ₹2,100 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। ‘आप’ ने इस योजना को “गेम-चेंजर” बताया है। वित्त मंत्री के रूप में, सीएम आतिशी ने सबसे पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के 2024-25 के वार्षिक बजट में ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ की घोषणा की थी, जिसके लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसके तहत महिलाओं को ₹1,000 रुपये मासिक दिए गये। भाजपा का मानना है कि इसका जवाब देना महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में भी इसी तरह की योजनाएं लागू की गई हैं व महिलाओं को इससे वास्तविक लाभ हुआ है। पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले, महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ ‘महायुति’, जिसमें भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना व अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं, ने मध्य प्रदेश की ‘लाडली बहना योजना’ से प्रेरित होकर योजनायें शुरू की थीं। जनवरी 2023 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार द्वारा लागू की गई इस योजना को 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को शानदार जीत मिली। दिल्ली में ‘आप सरकार’ 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 201 से 400 यूनिट के बीच खपत पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है, लेकिन इसके विपरीत भाजपा, यदि सत्ता में आई तो 400 यूनिट तक मुफ़्त बिजली देने का वादा कर रही है। भाजपा ने कहा है, कि वे पूजा स्थलों के लिए भी 500 यूनिट तक की खपत पर मुफ्त बिजली देने पर विचार कर रहे हैं। ‘स्वच्छ हवा व पानी’ उपलब्ध कराने की योजनायें भी बनाई जाएगीं। इसके लिए एक शोध दल का गठन किया गया है व एक विस्तृत योजना उपलब्ध कराई जाएगी, प्रदूषण की समस्या का समाधान होगा, जिससे ‘आप निपट नहीं पाई है’। दिल्ली में 1998 से ही भाजपा सत्ता से बाहर है व इस चुनाव को राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हासिल करने को ‘अवसर’ के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, भाजपा दिल्ली में आयुष्मान भारत सहित केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करने का भी वादा कर रही है। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने देश भर में गरीबों को मुफ्त घर और आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ़्त इलाज की सुविधा दी है, उससे पता चलता है कि वे इसे दिल्ली में भी कार्यान्वित कर रहे हैं। मुख्य मुकाबला ‘आप’ और भाजपा का है। अनेक ‘आप’ के अनेक नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। आया राम – गया राम का सिलसिला तो हर चुनाव में होता है। जहां एक और मनीष सिसोदिया, पूर्व उप मुख्यमंत्री की शिक्षा नीति को सफल माना जाता है वहीं भाजपा ने यह भी कहा है कि अनेक विद्यार्थी 11वीं मे फैल हो रहे हैं। सरकारी स्कूलों में, आज भी अर्थिक रूप से सक्षम परिवार, अपने बच्चों को दाखिल नहीं करते। फ़िर कॉंग्रेस पार्टी तो दिल्ली चुनाव में हाशिये पर ही है। नई दिल्ली विधानसभा से संदीप दीक्षित के जितने की प्रबल संभावना है। अरविंद केजरीवाल का आकर्षण, दिल्ली-वासियों में समाप्त सा हो गया है। परवेश वर्मा की अभद्र भाषा को लोग पसंद नहीं करते। सतीश उपाध्याय, डॉ. हर्षवर्धन, अरविन्दर सिंह लवली आदि की विजय भी सम्भव है। भाजपा की छवि को अभद्र भाषी, रमेश भिदूड़ी से बहुत नुकसान हुआ है। भाजपा के भौंपू, मोटर माउथ, रमेश बिधूड़ी को शर्म आनी चाहिए, उसे मनोचिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता है व उसे भाजपा द्वारा निष्कासित किया जाना चाहिए। ‘नारी का सम्मान याद करेगा हिंदुस्तान”; ऐसा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से उद्घोषणा की थी। गाली-गलौज करने वाले रमेश बिधूड़ी ने दो चौंकाने वाले ब्यान दिये; प्रियंका गांधी के खिलाफ, व दूसरा आतिशी, सी.एम. दिल्ली के खिलाफ। “मैं कालका जी की सड़कों को प्रियंका गांधी के चेहरे की तरह बना दूंगा”; बिधूड़ी ने कहा। “अरे अतिशी तो, मार्लेना से सिंह हो गईं, चुनाव में अपना दूसरा बाप बना लिया”, रमेश बिधूड़ी चिल्लाते हैं। यह बताना अवश्यक है कि आतिशी के पिता डॉ. विजय सिंह व माँ, डॉ. तृप्ता वाही, दोनों प्रसिद्ध शिक्षाविद इतिहासकार हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में मेरे परास्नातक के दौरान डॉ. विजय सिंह, रूसी इतिहास के मेरे प्रोफेसर थे। डॉ. विजय सिंह व डॉ. तृप्ता वाही दोनों कट्टर सीपीआई (एमएल) सदस्य थे। वामपंथी विचारधारा का एक वर्ग कार्ल मार्क्स व लेनिन का अनुसरण करता है। अपनी बेटी आतिशी के प्रति स्नेहपूर्ण उन्होंने उनके नाम ‘मार्लेना’ (मार्क्स व लेनिन का मिश्रण) रखा। लालू यादव ने भी अपने पहली बच्ची का नाम ‘मीसा’ रखा, यानी आंतरिक सुरक्षा अधिनियम का रखरखाव (MISA), जो 1975 की इमरजेंसी में लागू था। लालू यादव जेल में थे व उन्होंने उनका नाम ‘मीसा’ रखा। आतिशी, सेंट स्टीफंस कॉलेज से मेरी जूनियर हैं व उन्होंने भी इतिहास की पढ़ाई की है। ‘शेवनिंग स्कॉलरशिप’ पर मास्टर करने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गई थीं। 2006 में उन्होंने एजुकेशनल रिसर्च में ‘रोड्स स्कॉलर’ ( Rhode Scholarship) के रूप में ऑक्सफोर्ड से अपना दूसरी मास्टर डिग्री हासिल की। रमेश बिधूड़ी उनके आसपास भी नहीं खड़ा हो सकता। प्रियंका गांधी पर उनके घृणित ब्यान के लिए तो यही कहा जा सकता है कि वे अपने ही समुदाय पर एक धब्बा हैं। ये सारी बातें वाकई महिलाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड से 640000 वोटों के अंतर से जीतीं। अब परवेश वर्मा के ‘पैसे व नोट बांटते हुए वीडियो’ सामने आने पर, चुनाव आयोग ने उसका संज्ञान लिया है। कहीं गालियां, कहीं पैसे, कहीं माता-पिता का अपमान, तो कहीं जनता को लुभाने के वायदे! मुझे तो इन ‘चुनावी रेवड़ीयों’ में कोई मिठास का स्वाद नहीं आ रहा। बस झूठे प्रचार, झूठे वायदे, ‘रेवड़ियां खिलातीं’, सभी राजनीतिक पार्टियां, आम जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही हैं। भारत की राजधानी होने के कारण, ‘डबल इंजन की सरकार’ से दिल्ली को फ़यदा तो होगा। शीला दीक्षित की 15 वर्षों की कॉंग्रेस सरकार को केंद्र की यू.पी.ए. सरकार का समर्थन था। अब चुनावी बटन तो जनता ही दबायेगी। इस दिल्ली के दंगल के परिणाम 08 फ़रवरी को स्पष्ट होंगें, तब तक कशमाकश जारी रहेगी।
प्रो. नीलम महाजन सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, परोपकारक व सालिसिटर फाॅर ह्यूमन राइट्स संरक्षण)
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