दिल्ली-एनसीआर वालों को भी भाने लगा है हरेला


इंदिरापुरम, उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला अब दिल्ली-एनसीआर में भी खासा लोकप्रिय होता जा रहा है। उत्तराखंड में हर साल 16 जुलाई को हरेला का त्योहार मनाया जाता है। प्रकृति के पर्व हरेला के दिन पौधे लगाने की परंपरा है। बुरांस साहित्य एवं कला केंद्र हरेला के पर्व को देशव्यापी पर्व बनाने की मुहिम में जुटा है। इसी मुहिम के तहत बुरांस साहित्य एवं कला केंद्र ने इंदिरापुरम के यशोदा मल्टीस्पेसलिटी अस्पताल में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में उत्तराखंड की संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित अन्य समाज के लोगों ने भी भाग लिया। गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए बुरांस साहित्य एवं कला केंद्र के अध्यक्ष प्रदीप कुमार वेदवाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है । हरेला के पर्व पर पेड़ लगाने की परंपरा में उत्तराखंड मूल के लोगों के साथ-साथ अन्य समाज के लोगों को भी सहभागिता निभानी होगी। गढ़वाल हितैषणी सभा दिल्ली के महासचिव पवन कुमार मैठानी ने कहा कि उनका प्रयास है कि हरेला पर्व दिल्ली-एनसीआर में उत्तराखंड के लोकपर्व उतरैणी-मकरैणी की तरह ही लोकप्रिय हो जिससे कि ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण होता रहे।
ट्रांस हिंडन आरडब्ल्यूए फेडरेशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि मिट्टी,पानी और बयार जीवन के आधार हैं और जीवन के आधार के लिए प्रकृति का हरा-भरा रहना बहुत जरूरी है। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी विनोद कबटियाल ने कहा कि 16 जुलाई को मनाया जाने वाला हरेला पर्व हरियाली और खुशहाली का प्रतीक है। गोष्ठी का संचालन करते हुए सुरेश वली ने कहा कि अनेकता में एकता भारत की विशेषता है। सावन में पेड़-पौधे लगाने की परंपरा देशभर में है उत्तराखंड के हरेला पर्व से अन्य राज्यों से आए लोग भी जुड़ रहे हैं वह प्रकृति प्रेम की मिसाल है।
इस अवसर पर डाक्टर रश्मि शुक्ला,मीना बाधवा,कुमार पंकज,प्रवीण शर्मा,सौरव कबटियाल, राजेश अग्रवाल,देव सेंगर,अतुल देवरानी,नवीन भट्ट, श्याम आदि उपस्थित थे।

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