दलित साहित्य एवं वर्तमान परिपेक्ष्य में दलितों की स्थिति ” पर Seminar / Henwal Ghati, Garhwal में
ARANYA RANJAN , HENWAL GHATI
एक संवाद “दलित साहित्य एवं वर्तमान परिपेक्ष्य में दलितों की स्थिति ” के आयोजन में बोलते हुए यह बात साहित्यकार और लेखक आलोक प्रभाकर ने कहीं। उन्होंने ने कहा कि कविता गोली की तरह लगनी चाहिए और मोहन मुक्त ऐसा ही साहित्य रच रहे हैं। हिमालय सेवा संघ, नई दिल्ली एवं सहयोगी संगठनों की पहल पर दलित साहित्य एवं वर्तमान परिपेक्ष्य में दलितों की स्थिति ” पर एक दिवसीय संवाद का आयोजन किया गया। इस अवसर हेंवल घाटी के गुरु द्वय आलोक प्रभाकर और गांधीवादी कार्यकर्ता धूम सिंह नेगी ने दलित समाज की स्थिति और साहित्य की दलित संघर्ष में भूमिका पर अपने वृहद् अनुभवों और गहरे विचारों से उद्वेलित किया।
इस अवसर पर श्रीदेव सुमन विवि में हिंदी प्रवक्ता डा. Srijana Rana ने कहा कि मोहन मुक्त ने दलित शब्द की बहुत विराट व्याख्या नए ढंग से की है। उन्होंने कहा कि स्त्रीयों को छोटे अवसरों के लिए बड़े संघर्ष करने पड़ते हैं इस लिहाज से स्त्री ज्यादा दलित है। सामाजिक कार्यकर्ता और समाज की रूढ़ियों को तोड़कर जाति से ब्रह होने के बावजूद दलित परिवार में अपना जीवन साथी बनाने वाली Anita Binjola ने अपने संघर्ष और अनुभवों को खुलकर सबके सामने रखा। उन्होंने ने कहा कि हमें संविधान ने अधिकार दिए हैं और संविधान ही हमारा धर्म ग्रंथ है। वरिष्ठ अधिवक्ता Rajendra Aswal ने दलित समाज के साथ सदियों से हो रहे अन्याय का ऐतिहासिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। सामाजिक कार्यकर्ता Phool Dass Doundiya ने समाज के अपने अनुभवों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि किस तरह से सरकारी योजनाओं में दलित समाज के साथ भेदभाव होता है। जनप्रतिनिधि और अधिकारी कर्मचारी दलित बस्तियों को विकास और कल्याण की योजनाओं से वंचित कर देते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता Dhoom Singh Mandrwal ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि दलित समुदाय में सामाजिक योजनाओं के प्रति जानकारी नहीं पंहुच पाती है। वे योजनाओं से वंचित ही रह जाते हैं। हिमालय सेवा संघ के Manoj Mukt ने अपनी बात रखते कहा कि मोहन मुक्त हिम्मत और साहस के साथ दलित संघर्ष को अपनी कविताओं के द्वारा मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोहन मुक्त की पैनी नजर और स्पष्टवादिता से हमें भी स्वयं को देखने-परखने व विश्लेषित करने का अवसर मिला है। सर्वोदयी कार्यकर्ता Sahab Singh Sajwan ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि समाज में पूरे जीवन काम करने के बाद भी स्थितियां ज्यादा नहीं बदल पाई हैं। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, आमपाटा की छात्राओं के द्वारा मोहन मुक्त की रचनाओं का पाठ करके सभी की प्रशंसा पाई। युवा साथी दिग्विजय सजवाण ने भी अपने अनुभवों व विचारों को रखते हुए इस तरह के कार्यक्रमों को अपना सहयोग देने का आश्वासन दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक Archana Raturi Nautiyal ,पूर्व प्रधान व सामाजिक कार्यकर्ता यशपाल नेगी,गांधी सेवा केंद्र, मेंढर से किरन बंगोत्रा, कस्तूरी लाल बंगोत्रा, Noor Ahmed Choudhary Serpanch , हिमकान, साबली से राकेश बहुगुणा, ओमप्रकाश बहुगुणा, कमलेश्वर डबराल एवं सैकड़ों की संख्या में लोगों के द्वारा प्रति भाग किया गया।