डॉ. मुरली मनोहर जोशी हिमालय की बिगड़ती पारिस्थितिकी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। हिमालय बचाओ पर काम करने का आग्रह

पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी 91 वर्ष की आयु में भी पहले की तरह सक्रिय और स्वस्थ हैं। हालाँकि उम्र संबंधी सावधानियों के कारण वे थोड़े दुबले-पतले हैं, फिर भी उन्होंने आज शाम अपने 6, रायसीना रोड स्थित आवासीय लॉन में वरिष्ठ पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत की और समूचे हिमालयी राज्यों, खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और यहाँ तक कि पंजाब में मानव-जनित आपदाओं पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। एक तरह से सेवानिवृत्त जीवन जी रहे भाजपा संस्थापक डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने उत्तराखंड की बारहमासी सड़कों, ग्लोबल वार्मिंग, हिमालय के बिगड़ते पारिस्थितिकी तंत्र, बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और पिघलते ग्लेशियरों जैसे मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेरा, अनिल त्यागी, पंकज वोहरा और मेरे साथ दो घंटे से भी ज़्यादा समय तक लगातार बातचीत की। वे हिमालय और हिमालयी राज्यों के बिगड़ते पारिस्थितिकी पहलुओं के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उठाते हुए बहुत चिंतित दिखे। उन्होंने बढ़ती हुई पारिस्थितिकी आपदाओं, हिमालय की बिगड़ती पारिस्थितिकी, बढ़ते प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और निश्चित रूप से हिमालय के प्रति उदासीन सरकार, इसकी निरंतर बिगड़ती पारिस्थितिकी, अव्यावहारिक पर्यावरण के अनुकूल विकास के माध्यम से पहाड़ियों की पारिस्थितिकी को वस्तुतः नुकसान पहुंचाने से निपटने के लिए एक केंद्रीय हिमालयी प्राधिकरण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. जोशी ने हिमालय के मुद्दे पर गहराई से चर्चा करने, बढ़ती आपदाओं और उसके संभावित विलुप्त होने पर ज़ोर दिया और इसके परिणामों को कम करने के लिए एक विश्वसनीय उपाय खोजने की आवश्यकता जताई, खासकर इसलिए क्योंकि उत्तराखंड ज़ोन 5 में है, जो एक अत्यधिक भूकंपीय क्षेत्र है और भविष्य में भूकंप आने का संकेत देता है, ईश्वर उन्हें न आने दे। इस बातचीत के दौरान पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के कैबिनेट मंत्री परवश वर्मा, हरीश अवस्थी, जगदीश ममगाईं, पूर्व पार्षद, भानु भाई, सेमवालजी, राज्य मंत्री खादी उत्तराखंड सरकार, ज़की हैदर, संपादक और कई अन्य लोग मौजूद थे।
इस दौरान Dr.जोशी द्वारा कश्मीर के पूर्व राजा एवं केंद्रीय मंत्री रहे, दर्शन शास्त्र के विद्वान डॉ कर्ण सिंह एवं 55 अन्य विद्वतजनों का हस्ताक्षर किये हुए पत्र को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका के लिए भेजा ताकि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उत्तराखंड की चार धाम वाली सड़कों को चौडा न किया जाये।
पहले से ही नाजुक हिमालय की धरती पर गत 25 वर्षों में अंधाधुंध विस्फोट किया जा चुका है जिसके परिणाम स्वरूप बार बार बादलों का फटना, गाँव के गाँवों का बहना, जान माल की तबाही हो रही है। —- इस गंभीर मुद्दे को लेकर जोशी जी द्वारा उठाये गये इस मुद्दे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।