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Uttrakhand

ज्वालपा धाम में स्वर्ण-रजत जयंती समारोह सम्पन्न


श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति, ज्वालपा धाम पौड़ी गढ़वाल में समिति द्वारा संचालित श्री ज्वालपा धाम संस्कृत विद्यालय की स्वर्ण जयंती और श्री ज्वालपा देवी आदर्श महाविद्यालय की रजत जयंती के उपलक्ष्य में 12 मई 2023 को स्वर्ण-रजत जयंती समारोह गरिमामय उत्सव के साथ मनाया गया।
ज्वालपा धाम में श्री ज्वालपा धाम संस्कृत विद्यालय की स्थापना 1973 में और हरि ज्वालपा देवी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना 1996 में श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति द्वारा की गई थी। संस्कृत विद्यालय में कक्षा 6 से 12वीं तक (प्रथमा प्रथम वर्ष से उत्तरमध्यमा तक) संस्कृत शिक्षा के साथ सामाजिक ज्ञान के अन्य विषय भी छात्रों को पढ़ाये जाते हैं।
संस्कृत महाविद्यालय में स्नातक {शास्त्री स्तर} तक संस्कृत शिक्षा दी जाती है। सन 2022 में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से इस महाविद्यालय को परास्नातक (आचार्य स्तर) तक संस्कृत साहित्य और नव व्याकरण विषयों में शिक्षा प्रदान करने की संबद्धता/मान्यता मिली। अब छठी कक्षा में प्रवेश करने वाला छात्र आचार्य स्तर तक निशुल्क संस्कृत शिक्षा ज्वालपा धाम में प्राप्त कर सकता है।
12 मई 2023 को आयोजित स्वर्ण-रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि थे केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के रघुनाथकीर्ति महाविद्यालय परिसर देवप्रयाग के निदेशक प्रो.पी.वी.बी. सुब्रमण्यम, विशिष्ठ अतिथि थे डॉ. वाजश्रवा आर्य, सचिव, संस्कृत शिक्षा परिषद, उत्तराखंड, श्री पद्माकर मिश्रा, सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा , उत्तराखंड, श्री राजेन्द्र , अणथ्वाल, अध्यक्ष, गो सेवा आयोग, उत्तराखंड, श्री ज्वालपा देवी सिद्धपीठ पूजा समिति के अध्यक्ष श्री सतीश अणथ्वाल, श्री अनिल नौडियाल, सहायक निदेशक के.सं. वि. श्री राजेश मिश्रा, अ. अधिकारी, पत्रकार, राजीव थपलियाल उपस्थित थे, समिति के अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल ने समारोह की अध्यक्षता की। समिति की ओर से मंच पर उपस्थित विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री शिव दयाल बौंठियाल ने अतिथियों का अभिनंदन किया, और किन किन परिस्थितियों में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास ज्वालपा धाम में हुए, उसका एक शब्द चित्र भी उन्होंने प्रस्तुत किया। समिति द्वारा ज्वालपा धाम में विभिन्न सुविधाओं और विकास कार्यो की जानकारी दी समिति के मुख्य सचिव श्री रमेश थपलियाल ने। श्री ज्वालपा धाम संस्कृत विद्यालय के कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्री दिनेश लाल ने विद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जबकि महाविद्यालय की प्रगति की आख्या डॉ. ममता महेरा ने प्रस्तुत की। डॉ. ममता महेरा ने अपना संक्षिप्त विवरण संस्कृत भाषा मे प्रस्तुत किया। दोनों ही आख्याओं में शैक्षणिक और शिक्षणेत्तर गतिविधियों का उत्साह वर्धक वर्णन था। ज्वालपा धाम के विद्यार्थियों ने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा आयोजित खेलकूद गतिविधियों में स्वर्ण और रजत पदक सहित अनेक स्पर्धाओं में उत्तम स्थान हासिल किया। 40 महाविद्यालयों/विद्यालयों में से ज्वालपा धाम दूसरे स्थान पर रहा। दोनों शिक्षण संस्थाओं में कुल 72 विद्यार्थी संस्कृत शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
इस अवसर पर विद्यालय और महाविद्यालय के छात्रों ने आचार्य पवन नौडियाल के दिशानिर्देशन में स्वस्तिवाचन, स्वागत गीत, सरस्वती वंदना, लघु सिद्धांत कौमुदी संज्ञा प्रकरण की प्रस्तुति, शिवसंकल्प सूक्त सस्वर पाठ, संस्कृत संभाषण, योगप्रदर्शन व गढ़वाली संस्कृति का जागर गीत प्रस्तुत किया। सम्मानित अतिथियों और दर्शकों ने सभी प्रस्तुतियों का आनंद लिया और प्रस्तुतकर्ताओं का ताली बजाकर उत्साह भी बढ़ाया। वक्ताओं में श्री अनिल नौडियाल, श्री राजेन्द्र अणथ्वाल, और श्री सतीश अणथ्वाल भी थे जिन्होंने दोनों संस्थाओं के माध्यम से संस्कृत को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की और अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की। विशिष्ट अतिथि श्री पद्माकर मिश्रा ने विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सभी कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मंदिर समिति के संचालकों की निष्ठा और उद्देश्य स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि इन छात्रों को NCC और NSS से भी जोड़ा जाना चाहिए। यदि विद्यालय/ महाविद्यालय की ओर से ऐसी पहल की जाती है तो यह सुविधा प्रदान की जा सकती है। विशिष्ठ अतिथि डॉ. वाजश्रवा आर्य का सुकोमल मन संस्कृत भाषा और संस्कृति के प्रति समर्पित रहता है। उनका सहयोग पहले से ही समिति और विद्यालय को मिलता रहा है। उन्होंने कहा मैं आपसे दूर नही हूँ। मुझ से जो भी सम्भव बनेगा मैं अवश्य साथ दूंगा।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर पी वी बी सुब्रमण्यम ने अपनी बधाइयां विद्यालय और महाविद्यालय के छात्रों और अध्यापकों को दी। प्रोफेसर सुब्रमण्यम ने मंदिर समिति की सराहना की कि समिति द्वारा जनसहयोग से भोजन आवास व अन्य सुविधाएं निशुल्क हैं। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में कौशल विकास और व्यक्तित्व विकास शामिल है। संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। जिस तरह दुनिया मे परिवर्तन हो रहे हैं, वे साफ संकेत देते हैं कि संस्कृत भाषा का भविष्य बहुत अच्छा है। विद्यार्थियों को रटंत विद्या की जगह तार्किक और विश्लेषण करते हुए पढ़ाई करनी चाहिए। उन्होंने अपने आशीर्वचनों से सबका मन मोह लिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में समिति के अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विद्वदजनों ने इस कार्यक्रम में आकर इस समारोह को उत्सव में बदल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व छात्रों का सम्मेलन, मंदिर समिति की स्वर्ण जयंती, हमारे महाविद्यालय को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की परास्नातक मान्यता और अब संस्कृत विद्यालय और संस्कृत महाविद्यालय के क्रमशः स्वर्ण जयंती और रजत जयंती उत्सवों का मनाया जाना हम सभी के लिए कुछ संतुष्टि का विषय है। उन्होंने कहा कि आमंत्रित अतिथियों ने जो सराहना की उसके लिए उनका धन्यवाद। हमारी पूरी कोशिश होगी कि जो दिशानिर्देश आपने दिए हैं हम उनकी अनुपालना में कोई कसर नही छोड़ेंगे। हमारे विद्यालय, महाविद्यालय के छात्रों के लिए जो भी उत्तम होगा हमारा प्रयास दुगुना होगा।
अंत मे अतिथियों का आभार व्यक्त किया मंदिर समिति के उपसचिव श्री उमेश नौडियाल ने।
इस आयोजन में स्वर्ण जयंती और रजत जयंती को यादगार बनाने के लिए स्मारिका ज्वालपा जोत की प्रथम प्रति हस्ताक्षर कर समिति के मुख्य सचिव को प्रदानकर लोकार्पित की। स्मारिका के संयोजक व मुख्य संपादक हैं पार्थसारथि थपलियाल, सह संपादक (विद्यालय) श्री दिनेश लाल,सह सम्पादक (महाविद्यालय) डॉ ममता महेरा, संपादक सुमन कुमार थपलियाल व अरविंद थपलियाल। संपादकीय सलाहकार गोवर्धन थपलियाल।
कार्यक्रम का संचालन किया पार्थसारथि थापलियाल ने।

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One Comment

  1. नेवी जी आपने स्वर्ण जयंती समारोह की खबर उजागर करके महती कृपा की. ज्वाला जी की वही महिमा है जो माँ वैष्णव देवी की है या माँ नंदा देवी की है.
    समारोह में मैं भी जाने वाला था लेकिन किसी कारण बस नहीं जा सका.

    स्टोरी बहुत ही उम्दा है और साबित करती है कि पहाड़ पर आपकी कितनी पकड़ है.

    आपकी नजर से कोई भी घटना छूट नहीं सकतीं.

    मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई.

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