जी-7 शिखर-सम्मेलन व वैश्विक समाधान
प्रो. नीलम महाजन सिंह
50वें जी-7 (G-7: Group of Seven) शिखर सम्मेलन 2024 में वैश्विक, महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए इटली में अंतर्राष्ट्रीय नेता एकत्रित हुए। तीसरी बार प्रधान मंत्री बनने के उपरांत, ये नरेंद्र मोदी का पहला विदेशी दौरा है। इटली की प्रधानमंत्री, जियोर्जिया मेलोनी ने अपुलिया में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के बोर्गो एग्नाज़िया रिसॉर्ट में सभी नेताओं का स्वागत किया। जी-7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा व जापान शामिल हैं। इटली ने, जी-7 देशों के सामूहिक शिखर सम्मेलन की वर्तमान में अध्यक्षता व मेज़बनी करी। इस सम्मेलन के मुख्य मुद्दों में जी-7; यूक्रेन-रूस में संघर्ष, हमास-इज़राइल युद्ध व चीन व पश्श्चिमी देशों के बीच आर्थिक तनाव सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों पर निर्णय लिए गए। उद्घाटन सत्र में अफ्रीका, जलवायु परिवर्तन, विकास मध्य पूर्व और यूक्रेनर पर चर्चा हुई। प्रवासन, हिंद-प्रशांत, आर्थिक सुरक्षा व पोप फ्रांसिस के साथ एआई (AI Artificial Intelligence) चर्चों के मुद्दे थे। कैथोलिक चर्च के 87 वर्षीय प्रमुख पोप फ्रांसिस ने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर जी-7 नेताओं को संबोधित किया। यह पहली बार था, जब पोप जी-7 शिखर सम्मेलन में बोले। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। भारत के अलावा इटली ने अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका व हिंद-प्रशांत क्षेत्र के 11 विकासशील देशों के नेताओं को शिखर सम्मेलन में भाग लिया। जी-7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं। इटली जी-7 (सात देशों के समूह) शिखर सम्मेलन की वर्तमान में अध्यक्षता व मेज़बानी इटली कर रहा है। हालांकि, यूरोपीय संघ (European Union) जी-7 का सदस्य नहीं है, लेकिन यह वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेता है। जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, “21वीं सदी टेक्नोलॉजी की सदी है। मानव जीवन का शायद ही कोई ऐसा पहलु होगा जो टेक्नोलॉजी के प्रभाव से वंचित हो। एक तरफ जहां टेक्नोलॉजी मनुष्य को चांद तक ले जाने का साहस देती है, वहीं दूसरी ओर साइबर सिक्युरिटी जैसी चुनौतियां भी पैदा करती है”। अखिरकार इन अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों की क्या उपयोगिता है? हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि टेक्नोलॉजी का लाभ सभी वर्गों तक पहुंचे, समाज के हर व्यक्ति के सामर्थ्य को उजागर करे, सामाजिक असमानताओं को दूर करने में मदद करे, व मानवीय शक्तियों को सीमित करने की बजाय उनका विस्तार करे। जी-7 शिखर सम्मेलन से पूर्व यूरोपियन पार्लियामेंट के चुनाव हुए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में हुए आम चुनावों की चर्चा की। 2600 से ज्यादा पोलिटिकल पार्टियों ने हिस्सा लिया। 5 मिलियन से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें,15 मिलियन पोलिंग स्टाफ व लगभग 970 मिलियन वोटर्स, जिनमें से 640 मिलियन लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। पीएम मोदी ने कहा, “सबसे पहले, इस सम्मेलन में निमंत्रण के लिए, व हमारे आतिथ्य-सत्कार के लिए मैं प्रधानमंत्री मेलोनी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। मैं चांसलर शोल्ज़ को उनके जन्मदिन पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। जी-7 समिट का ये आयोजन विशेष भी है, और ऐतिहासिक भी है। जी-7 के सभी साथियों को इस समूह की पचासवीं? वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई”।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका व भूमध्यसागरीय पर जी-7 आउटरीच सत्र वर्तमान में महत्वपूर्ण मुद्दे रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक से बातचीत की। दूसरी तरफ़ रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने एक शांति प्रस्ताव पेश किया है। इसमें यूक्रेन को गुट निरपेक्ष रहने की सलाह है व यूक्रेन के क्षेत्रों को रूस के क्षेत्र के तौर पर मान्यता की मांग की गई है। सेमीकंडक्टर सहित कई मुद्दों पर ऋषि सुनक के साथ पीएम की चर्चा हुई। पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “मैंने एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल में भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने की अपनी7 प्रतिबद्धता दोहराई। सेमीकंडक्टर, प्रौद्योगिकी और व्यापार जैसे क्षेत्रों में संबंधों को गहरा करने की काफी गुंजाइश है। हमने रक्षा क्षेत्र में संबंधों को और मजबूत करने पर भी बात की। इमैनुएल मैक्रॉन ने इन मुद्दों पर हुई बात हुई है”। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने ट्वीट किया, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के अपुलिया में 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन के मौके पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने रक्षा, परमाणु, अंतरिक्ष, शिक्षा के क्षेत्रों सहित साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। जलवायु कार्रवाई, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, कनेक्टिविटी व संस्कृति पर भी उन्होंने प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इन राजनेताओं का मिलकर बातचीत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा करना आवश्यक है, ताकि शांति के हल ढूंढ़ने में मदद मिले। मजे की बात है कि अपुलिया के एक भारतीय रेस्तरां में उत्साह का माहौल था, जहां रेस्तरां के कर्मचारी पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रतिनिधिमंडल के व्यंजन संबंधी ‘ऑर्डर’ को पूरा करने में तेज़ी से लगे रहे। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने G-7 युद्धग्रस्त यूक्रेन के लिए समर्थन बढ़ाने के लिए इटली में शिखर सम्मेलन के दौरान शीर्ष एजेंडों में से एक रहा। जी-7 के नेताओं ने इटली शिखर सम्मेलन में, यूक्रेन के लिए 50 अरब डॉलर के नए ऋण पर सहमित दी है। ‘नमस्ते’ भी वैश्विक हो गया है। पीएम मेलोनी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जापान के पीएम फुमियो किशिदा सहित कई नेताओं को नमस्ते करती हुईं दिखीं। वैश्विक चुनौतियों के समाधान व उज्जवल भविष्य के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने के वास्ते जी-7 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं ने सार्थक चर्चा की। इस दौरान एक बार फिर से खालिस्तानी आतंकी गुरुपवंत पन्नू (Khalistani Gurapwant Pannu) का मुद्दा भी उठाया गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फिलिस्तीन में हो रहे इज़रायल के साथ युद्ध पर पूर्णविराम लगाने पर सहमति बनी। सारांशार्थ यह कहना उचित है कि लगातार पांचवीं बार जी-7 में पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है व यह
भारत की 11वीं भागीदारी है। एक बार फिर डॉ.एस. जयशंकर विदेश मंत्री बने, तथा विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने सभी बिंदुओं को विश्व पटल पर भारत की विश्वसनीयता पर ध्यान केंद्रित किया। जहाँ एक ओर साइंस व टेक्नोलॉजी तेज़ी से विकसित हो रहे हैं, वहीं दूसरी और युद्घक हथियारों, परमाणु बम, विश्व शांति में मानवीयता को तार-तर रहें हैं। कुछ आआलोचक इन अन्तरराष्ट्रीय शिखिर सम्मेलनों को मात्र ‘कुछ देशों के राजनेताओं की पिकनिक पार्टी’ मानते हैं! यद्यपि कि यह सत्य है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर अनेक युद्धों व अशान्ति को समाप्त कर विश्वशांति का संदेश दिया गया है व विश्व को विकासशील व सामरिक मुद्दों को चर्चा द्वारा निपटाते हुए, हल निकालना अनिवार्य है। अखिरकार सभी विश्व नेता बहुत ही सुलझे हुए हैं जो मिलजुलकर विश्व को शान्ति पथ पर अग्रसर करने में सक्षम हैं।
प्रो. नीलम महाजन सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, अंतर्राष्ट्रीय सामरिक विशेषज्ञ व सालिसिटर)
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