जारी रहेगा किरण नेगी को न्याय दिलाने का संकल्प और संघर्ष

मदनमोहन ढौंडियाल

दिल्ली की सड़कों पर प्रवासी उत्तराखंडी किरण नेगी के हत्यारों और बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इस केस की दुबारा सुनवाई के लिए जनसैलाब अब अधिक दिखाई देने लगा है। सर्च माई चाइल्ड फाउंडेशन की अध्यक्षा कुसुम कंडवाल भट्ट,( संस्था को माध्यम माध्यम बना कर 2014 से लड़ रही हैं), जागरूक वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड जर्नलिस्ट्स फोरम के अध्यक्ष सुनील नेगी, ( 2012 से विषय पर कलम की लड़ाई और संघर्ष जारी रखे हैं) ,बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्य मंत्री उत्तराखंड त्रिवेन्द्र सिंह रावत , कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्य मंत्री उत्तराखंड हरीश रावत ने विषय को युद्ध स्तर पर उठाया है।लेकिन दिल्ली के आधिकांश नेता और जनप्रतिनिधि इस विषय पर चुप हैं। कहीं कहीं सोशल मीडिया पर सेल्फी लेते देखे जा सकते हैं। गरीबों के तथाकथित मसीहा अरविंद केजरीवाल जी तो इसपर कुछ भी नही बोल रहे हैं, शायद कुर्सी के सामने मानवाधिकारों की कीमत भी राजनीति में लगती है। दिल्ली में इस जघन्य कांड पर न्याय और दुबारा सुनवाई के विषय पर तो नेताओं को बोलने में परहेज नहीं करना चाहिए था।इस पर इन लोगों की क्या मजबूरी हो सकती है?

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