google.com, pub-9329603265420537, DIRECT, f08c47fec0942fa0
India

जब अमरीकी राष्ट्रपती निक्सन को झुका दिया इंदिराजी ने

श्याम सिंह रावत , वरिष्ठ पत्रकार , चिंतक

कल 31 अक्टूबर को देश की लौह महिला दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथि थी। मोरबी (गुजरात) में मच्छु नदी पर बने पुल के अचानक टूटने से हुई सैकड़ों लोगों की आकस्मिक मृत्यु से मन में बड़ी उद्विग्नता के कारण इंदिरा प्रियदर्शिनी को श्रद्धांजलि देना भूल गया था।

इंदिरा गांधी दो बार हमारे गांव में आई थीं। पहली बार 1977 में सत्ताच्युत होने के बाद अल्मोड़ा से रामनगर जाते हुए हमारे गांव भतरौंजखान में कुछ देर के लिए रुकी थीं। आपातकाल से नाराज़गी के कारण मैं उनसे मिलने नहीं गया जबकि वे हमारे घर से सौ मीटर से भी कम दूरी पर थीं। कुछ देर तक ग्रामीणों से बहुत ही सहजता और आत्मीय भाव से बातचीत करने के बाद वे आगे बढ़ गईं।

दूसरी बार 1980 के लोकसभा चुनावों के दौरान वे रानीखेत से रामनगर जाते हुए हमारे गांव आईं।

गांव की पूर्वी सीमा पर उन्हें मवेशियों के नीचे बिछाने के लिए जंगल से पिरूल (चीड़ की सूखी पत्तियां) के बड़े-बड़े गट्ठर लाती कुछ महिलाएं दिखीं तो उन्होंने कार रुकवा कर बड़े सहज भाव से उनसे बातचीत की। जैसे ये सूखी पत्तियां किस काम में लाई जाती है? कितनी दूर से लाई और अभी कितना दूर चलकर गांव पहुंचोगी? मुख्य व्यवसाय क्या है? परिवार में कमाने वाले कितने लोग हैं और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था कैसी है? आदि-इत्यादि। फिर उन महिलाओं के साथ उनके पिरूल के गट्ठरों के बीच खड़े होकर फोटो खिंचवाई और मुस्कुराते हुए विदा ली।

इंदिरा गांधी का व्यवहार आमजन के प्रति जितना सहज, सरल और प्रेमपूर्ण था, उससे कहीं अधिक कठोर वे खुद को अनुशासित करने का प्रयास करने वाले के विरुद्ध हो जाया करती थीं। लेकिन स्वयं बड़े अनुशासित ढंग से काम करना उन्हें बेहद पसंद था।

उनसे दबाव डालकर कोई भी काम नहीं कराया जा सकता था। यहां तक कि दुनिया के सर्वशक्तिमान अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को भी उन्होंने बांग्लादेश युद्ध के दौरान बंगाल की खाड़ी में पाकिस्तान की मदद में अपना सातवां बेड़ा भेजने की स्पष्ट धमकी का भी ऐसा करारा प्रत्युत्तर दिया कि निक्सन को चुप बैठना पड़ा था।

सिक्किम को भारत में बिना शर्त एक नये राज्य के रूप में शामिल करना, पाकिस्तान का विभाजन करा कर बांग्लादेश का निर्माण और तमाम तरह के अंतरराष्ट्रीय दबावों और प्रतिबंधों के बावजूद भी परमाणु परीक्षण जैसे अत्यंत गंभीर विश्व राजनीति सम्बंधी निर्णय लेकर क्रियान्वित करना इंदिरा गांधी जैसी लौह महिला के लिए ही सम्भव था।

विपक्षी दलों के तमाम नेता भी उनके प्रति आदर का भाव रखते हुए उन्हें ‘जी’ या दीदी कहते थे।

ऐसी महान हस्ती को सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि! ■

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button