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Uttrakhand

जंतर मंतर दिल्ली के बाद इंदिरापुरम और च्चिदर वाला देहरादून में भी निकला गया कैंडल मार्च . मांग थी माननीय सुप्रीम कोर्ट, किरण नेगी के हत्यारों की फँसी की सजा बरक़रार रखे और उन्हें मौत की सजा दी जाए

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छिद्दर वाला और रायवाला में कुसुम कंडवाल भट्ट( संस्थापिका सर्च माय चाइल्ड फाउंडेशन),ने बीना बंगवाल, अलका छेत्री, गोकुल रमोला
और समस्त संस्थान रायवाला, छिद्दर वाला के नागरीको की मदद से
सुप्रीम कोर्ट से किरन नेगी के हत्यारों को फांसी की सजा और किरन नेगी के लिए तत्काल न्याय की मांग की.

कैंडल मार्च में शामिल थे, सुजाता भारती
अल्का छेत्री, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की जिला सह संयोजक बीना बंगवाल जी, उप प्रथान अंजना, क्षेत्र पंचायत बबीता रावत, दीपा चमोली,गोल्डी कुवर भागीरथी भटट् मानसी डबराल, लक्ष्मी डगंंवाल, लक्ष्मीगुरुगं, ममता पतं, मीना पतं, गोदाम्बरी सुन्दरा ने गी मुन्नी रावत कुमना रावत किरण थापा रितु, थापा शकुन्तला, सरोज कैतुरा, बैशाखी देवी मीरा, रजनी, यशोदा ममगांई, कुशला, शान्ति सेमवाल अनिला ठाकुर, बबीता गिरि, सुमन,सुषमा, सरिता रावत दिव्या, बेलवाल, चन्द्र कान्ता बेलवाल, शोभा कुकरेती बडोला, सुभद्रा कंडवाल,
महेश्वरी देवी, भट्ट सुशीला गौड़, भगवती रतुरी, पूजा जोशी, प्रधान कमलदीप कौर आदि तकरीबन 350 नागरिक.

इस केंडल मार्च से पहले इंदिरापुरम में भी विरोध मार्च के माध्यम से नजफगढ़ की दामिनी के हत्यारो को फांसी की सजा बरक़रार रखने की आंग की गयी जिसमे भरी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं . कैंडल मार्च में कुछ ख़ास नाम हैं : कैंडल मार्च में शामिल सुजाता भारती कल्पना चौहान,
मीना भंडारी,विमला रावत,चन्दन गोसाई, रश्मि ममगई,राजेंद्र चौहान,जगमोहन रावत नरेश देवरानी अनिल पंत ,महेश नहीं, रचना है सुधा मालकोटिअ अनु पांडेय वगैरह.

नजफगढ़ 11 फ़रवरी 2012 की शाम थी। किरण नेगी रोजाना की तरह काम से घर लौट रही थी।
उस दिन दरिंदों की उस पर नजर थी। एक लाल रंग की इंडिका कार में उसे अगवा कर लिया गया। हरियाणा ले जाकर तीन दिन तक उसका 3 हैवानों ने रेप किया गया।बेबस किरण ने अपनी जान बचा कर भागने कि कोशिश की तो उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया गया। उसके नाजुक अंगों से शराब की बोतल मिली थी। पाना गरम करके उसके शरीर को दाग दिया गया था। उसे मरा जान कर उसे उन्होंने खेतों में फेंक दिया चौथे दिन उसका निर्जीव शरीर हरियाणा के खेतों मे पड़ा मिला |
तीनों दरिंदों को हाई कोर्ट ने साल 2014 में ही फांसी की सजा सुना दी थी। लेकिन, फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और लटक गया।
दामिनी केस 9 महीने बाद हुआ था एक दामिनी को न्याय मिला और किरण नेगी केस 11 साल से बिना सुनवाई के है और लाचार माता पिता बेबस है
: किरण नेगी के पिता कहते हैं
विपक्ष वकील घटिया दलीलें दे रहा है 11 साल कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते-लगाते बीत गए। पाँव में छाले पड़ जाते हैं।11 सालो रोते-रोते आँखों के है भी सूख गए है |
किरन नेगी की माँ कहती है मेरी किरण के बलात्कारियों को आज तक सजा नहीं ..मेरी बेटी की आत्मा 11 साल बाद भी न्याय को तरस रही है
कैसे तड़पी होगी वो दर्द से गिड़गिड़ाई होगी अपनी जिंदगी की भीख भी मांगी होगी उसने क्या बेटी होना उसका अपराध था या गरीब होना हमारा???
सर्च माय चाइल्ड फाउंडेशन की अध्यक्षा कुसुम भट्ट का कहना है
हर घर मे बेटी है माँ है बहन है कोई न कोई स्त्री है हम सब मिलकर एक होकर सरकारों व सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाये कि इस केस में जल्द फैसला हो और फांसी की सजा इन हैवानियत से भरे कृत्य के लिए इन दोषियों को मिले। फांसी इसलिए भी कि समाज मे इस हैवानियत वाली मानसिकता को सबक मिले और कोई भी इस तरह के जघन्य अपराध की सोच से पहले ही काँप उठे|
ऐसे हैवानों लिए उम्र मायने नहीं रखती , पैदा हुई, 1 साल, 3 साल 5 साल 12……,15,..20….. या 80 साल होना|
आइये उनकी आवाज़ बने जो बेबस है और खुद अपने लिए आवाज़ नहीं उठा सकते.
कैंडल मार्च में शामिल सभी संस्थाओं और जनमानस की मांग है सुप्रीम कोर्ट किरन नेगी के हत्यारों
को फांसी की सजा दी जाय.

इस केंडल मार्च से पहले इंदिरापुरम में भी विरोध मार्च के माध्यम से नजफगढ़ की दामिनी के हत्यारो को फांसी की सजा बरक़रार रखने की आंग की गयी जिसमे भरी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं .

गौर तलब है इन दोनों कैंडल मार्च से पहले जंतर मंतर दिल्ली में कई सामाजिक संगठन द्वारा कैंडल मार्च निकाला गया था और पुरजोर तरीके से किरण नेगी के हत्यारों को फँसी की सजा दिए जाने की मांग की गयी.

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