
चारधाम यात्रा में लगातार हो रही हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं – सरकार की लापरवाही ने श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डाली!
उत्तराखंड की पवित्र और ऐतिहासिक चारधाम यात्रा, जो देश और दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, आज हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं, जानलेवा अव्यवस्थाओं और सरकार की घोर लापरवाही का शिकार हो चुकी है।
बीते डेढ़ महीने में 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं!
अब तक 13 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है!
और सरकार के पास ना जवाब है, ना ज़िम्मेदारी लेने का नैतिक साहस!
आखिर कितने शव देखने के बाद सरकार जागेगी?
आज इस गंभीर और संवेदनशील विषय को लेकर देहरादून में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आनंद वर्धन जी से मुलाक़ात की और एक 6 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
हमारी मुख्य मांगें जनता की जान की सुरक्षा के लिए हैं:
- हेलीकॉप्टर संचालन के लिए पारदर्शी, वैज्ञानिक और सख्त उड्डयन नीति बनाई जाए
- DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) और ATC (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) नियमों का कड़ाई से पालन हो
- पुराने, खस्ताहाल ‘खटारा’ हेलीकॉप्टरों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए
- हेलीकॉप्टर उड़ानों की संख्या, लैंडिंग टाइमिंग और उड़ान क्षमता को स्पष्ट मानकों में बांधा जाए
5.लगातार उड़ानों के कारण हो रहे पर्यावरणीय खतरे (ग्लेशियर, वन्य जीव, नेशनल पार्क) पर रोक के लिए दिशा-निर्देश लागू हों - पहाड़ों में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हिल ड्राइविंग के लिए विशेष ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य किया जाए
दरअस्ल, चारधाम यात्रा श्रद्धा और विश्वास की यात्रा है, लेकिन भाजपा सरकार की लापरवाही और हेलीकॉप्टर कंपनियों की मनमानी ने इसे मौत की यात्रा बना दिया है।
सरकार ने अब तक न तो कोई मानक तय किए हैं, न ही कोई नियंत्रण रखा है।
हेलीकॉप्टर कंपनियां मनमानी कर रही हैं — उड़ान भरने के समय, गति, सुरक्षा… सभी नियमों को ताक पर रखकर सिर्फ़ मुनाफा कमाया जा रहा है।
यह कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि सरकार प्रायोजित अपराध है!
15 जून की दुर्घटना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
जिस हेलीकॉप्टर को सुबह 6 बजे उड़ान भरनी थी, वो 5:17 पर ही उड़ गया और 5:20 पर क्रैश हो गया!
क्या यह तकनीकी चूक थी या मुनाफा कमाने की आपाधापी में रची गई लापरवाही?
भाजपा सरकार की आँखें केवल उद्योगपतियों की जेब में हैं, जनता की जान उनके लिए कोई मायने नहीं रखती।
हेलीकॉप्टर अब सेवा नहीं, ‘विक्रम टेम्पो’ बन चुके हैं। नियमों का कोई पालन नहीं, बस हर दिन सवारी भर के उड़ा दो!
सरकार के पास ना तो पारदर्शी नीति है, ना ही कोई जवाबदेही।
● क्या श्रद्धालु केवल टैक्स पेयर हैं?
● क्या जान की कीमत अब हेलीकॉप्टर टिकट जितनी भी नहीं रही?
इसके अलावा पर्यावरणीय खतरे की ओर भी ध्यान दिलाया।
ग्लेशियर, नेशनल पार्क, दुर्लभ वन्य जीव, सब इस बेलगाम हवाई यातायात से खतरे में हैं। अगर समय रहते नीति नहीं बनी, तो उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधन भी बलि चढ़ जाएंगे।
प्रतिनिधिमंडल में श्री सूर्यकांत धस्माना (प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन व प्रशासन), श्री अमरजीत सिंह, श्री शीशपाल सिंह बिष्ट (प्रदेश प्रवक्ता), डॉ. जसविंदर सिंह गोगी (महानगर अध्यक्ष), श्री मदनलाल (अनुसूचित जाति विभाग प्रदेश अध्यक्ष), श्री दिनेश कौशल (श्रम प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष), श्री देवेंद्र सिंह (वरिष्ठ नेता) शामिल रहे।
कांग्रेस पार्टी साफ संदेश देती है की जनता की जान से खिलवाड़ नहीं सहेगा उत्तराखंड!
हमारी आस्था को मुनाफे का बाज़ार नहीं बनने देंगे!
जब सरकार सो जाए, तो विपक्ष की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है और कांग्रेस पूरी ताक़त से जनहित के लिए मैदान में है।
Leave a Reply