गढ़वाल की ढाईज्यूली पट्टी में नरभक्षी द्वारा बच्चे का शत विक्षत शरीर मिला घने जंगल में , बहुत दुखद
उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के शहरों और गावों में नरभक्षी गुलदारों के आतंक से जनता बेहद असुरक्षित और आतंकित है. हर दूसरे दिन पौड़ी टिहरी , चमोली और देहरादून जिलों में नरभक्षी गुलदारों का आतंक जारी है . अब तो स्थिति इस कदर गंभीर हो गयी है कि गुलदार लोकल टाउनशिप में भी घरों में घुसते नज़र आ रहे हैं. आये दिन सोशल मीडिया में इन खूंखार नरभक्षियों के घर में घुस रहे वीडियो वायरल हो रहे हैं लेकिन मजाल क्या की उत्तराखंड का वन और वाइल्ड लाइफ विभाग इस दिशा में कोई कारगर कदम उठाये और जनता को राहत दिलाये. अगर आप पिछले कुछ दिनों की नरभक्षी गुलदारों के हमलों पर नज़र दौड़ाएं तो पाएंगे की कुछ दिन पहले ही दुगड्डा इंटरकॉलेज में अपने बेटे को छोड़ कर वापस लौट रही एक महिला को गुलदासर ने शिकार बनाया. दो सप्ताह पहले अल्मोड़ा से रामनगर से लौटते वक़्त दो मोटर साइकिल सवारों में से एक को नरभक्षी ने अपना शिकार बनाया और चलती मोटरसाइकिल से घसीट कर जंगल में ले आया जहाँ कई घंटों बाद युवक का हाथ मिला. लगभघ एक माह पूर्व खिर्सू के पास के गांव में दो महिलाओं को नरभक्षियों को अपना निशाना बनाया . गाँव वालों की घोर नाराजगी और गुस्से के चलते एक नरभक्षी बाघ को जला दिया गया जो जंगलात वालों के पिंजरे में कैद कर लिया गया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस गाँव में गए और मृतका के शोक संतप्त परिवार को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. इसी बीच २९ जुलाई को पट्टी ढाईज्यूली बडेथ , गढ़वाल में एक नरभक्षी गुलदार छोटी बच्ची को उटाह कर ले गया. कई घंटो की खोजबीन के बाद वन विभाग के अधिकारीयों को बच्ची का बुरी क्षत विक्षत शरीर जंगलों में मिला. कल्पना कीजिये जिन माता पिता ने अपने लाडले को खोया है उनपर क्या गुजर रही होगी. सवाल ये है की इन निरंतर घट रही उत्तराखंड को महिलाओं पुरुषों बच्चो की नृशंश मौतों पर उत्तराखंड सरकार , सम्बंधित मंत्रीगण , मुख्यमंत्री और पूरा फारेस्ट और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट मौन क्यों हैं , जबकि जैविक खेती को सीखने के लिए मंत्री विधायक और अधिकारी जनता के खर्चे पर इटली जा रहे हैं. इंसान उत्तराखंड में इतना सस्ता हो गया है की उनकी कीमत चाँद लाख रुपये है वह भी उन्हें मिलते हैं की नहीं कोई नहीं जानता . टिहरी गढ़वाल के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष जो अब भाजपा में हैं ने वनाधिकार आंदोलन के बेनर तले तब बड़े जोर शोर से भाजपा सरकार से नरभक्षी द्वारा मारे गए व्यक्ति के परिवार को २५ से ५० लाख के मुआवजे के साथ साथ एक सरकारी नौकरी की मांग की थी. लेकिन भाजपा टिकट पर विधायक बनने के बाद इस दिशा में वे मौन हैं. हमें उनसे काफी अपेक्षाएं हैं. उम्मीद है कि वे इस दिशा में पुनः सक्रीय होंगे और पीड़ित और कुंठित परिवारों के हक़ हुकूक.दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे.
सुनील नेगी , अध्यक्ष उत्तराखंड जर्नलिस्ट्स फोरम