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Uttrakhand

ग्रामवासियों ने वनों को बचाने के लिए शपथ ली, जागरुकता अभियान ने पाया सकारात्मक प्रभाव

सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र द्वारा आयोजित वनाग्नि जागरुकता एवं अध्ययन अभियान का समापन विभिन्न गांवों में गोष्ठियों के माध्यम से हुआ, जहां ग्रामीणों और समाज सेवियों ने वनों को आग से बचाने की मुहिम की सराहना की। इस अभियान ने समय पूर्व जन जागरुकता के महत्व को उजागर किया, जिससे वनों को आग की विभीषिका से बचाने में मदद मिल सकती है।

सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र पिछले एक दशक से वनाग्नि के प्रकोप से लोगों को जागरूक करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम कई स्थानों पर देखे गए हैं। इस दौरान, ग्राम बौला-श्रीकोट में आयोजित गोष्ठी में विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने कहा, “बिना जन सहयोग के हमारे वन सुरक्षित नहीं हो सकते। वनों का संरक्षण और संवर्द्धन हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।”

ग्राम बौला की प्रधान लक्ष्मी रावत ने भी इस अभियान की महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा, “समय पूर्व जन जागरुकता अभियान वनों को आग से बचाने में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।”
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डिप्टी रेंजर मंगल सिंह नेगी ने कहा कि विकास केंद्र द्वारा आयोजित इस अभियान ने स्थानीय समुदाय को जागरूक कर, वनों के संरक्षण में उनके सक्रिय योगदान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं।

दो दिवसीय जन जागरुकता एवं अध्ययन यात्रा के दौरान, दल ने कर्णप्रयाग विकास खण्ड के धनपुर रेंज के दुआ, काण्डा, डाण्डा, बर्तोली, ढमढमा, ग्वाड, देवल, सुनाक, सिदोली, बौला श्रीकोट सहित अन्य गांवों और विद्यालयों में गोष्ठियां आयोजित की। इस दौरान, लोगों को वनाग्नि के खिलाफ जागरुक करने के साथ ही जंगलों को बचाने की शपथ भी दिलाई गई।

इस जागरुकता यात्रा में अलकनंदा वन प्रभाग और केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के कर्मचारियों के साथ ही प्रमुख समाजसेवी बचन सिंह रावत, मंगला कोठियाल, मनोज तिवाड़ी, सुबोध डिमरी, विनय सेमवाल आदि शामिल थे।

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