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गढ़वाल भवन की 102वें स्थापना दिवस पर जौनसारी फिल्म “मैरे गांव की बाट” को  सर्वश्रेष्ठ  उत्तराखंडी फिल्म का सम्मान

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में उत्तराखण्ड प्रवासियों के गौरव प्रतीक गढ़वाल भवन की 67वें स्थापना जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में जौनसारी भाषा की पहली फिल्म “मैरे गांव की बाट” को 2023 और2024  की सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंडी फिल्म घोषित करते हुए इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक को “गढ़ गौरव वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सम्मान–2025” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान जौनसारी संस्कृति की विरासत, सामाजिक संरचना और मूल्यों को सिनेमा के माध्यम से प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रदान किया गया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखण्ड की आंचलिक फिल्मों ने राज्य की विविध लोक भाषाओं, सांस्कृतिक परंपराओं, सामाजिक यथार्थ और क्षेत्रीय समस्याओं को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही इन फिल्मों के विस्तार से लेखकों, गीतकारों, संगीतकारों, कलाकारों, तकनीशियनों तथा सिनेमाघरों से जुड़े कर्मियों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए हैं।
“मैरे गांव की बाट” जौनसारी भाषा की पहली फिल्म है, *जिसे 5 दिसंबर 2024 को उत्तराखंड, दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश के सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया था जो लगभग डेढ़ महीने तक हाउसफुल रही।फिल्म को समाज के सभी वर्गों से व्यापक सराहना मिली है। जौनसार के पर्वतीय परिवेश में बुनी गई इसकी सशक्त कहानी, प्रभावशाली पटकथा, उत्कृष्ट गीत-संगीत और सधा हुआ निर्देशन इसे उत्तराखण्डी लोक भाषाओं के सिनेमा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बनाते हैं। फिल्म में भावनात्मकता, हास्य, नाटकीयता और पहाड़ी संस्कृति की समृद्ध परंपराओं का संतुलित समन्वय देखने को मिलता है। नारी सम्मान और आज भी प्रासंगिक संयुक्त परिवार व्यवस्था का संवेदनशील चित्रण फिल्म की विशेष उपलब्धि है। सुमिकल प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित इस फिल्म के प्रस्तुतकर्ता के. एस. चौहान, लेखक-निर्देशक अनुज जोशी, मुख्य अभिनेता अभिनव सिंह चौहान, गीतकार श्याम सिंह चौहान तथा संगीतकार अमित वी. कपूर हैं।
उल्लेखनीय है कि द्वितीय उत्तराखंडी फिल्म अवार्ड 2025 में भी फिल्म “मैरे गांव की बाट” को उसकी सशक्त विषयवस्तु, भावनात्मक प्रस्तुति और ग्रामीण जीवन के यथार्थ चित्रण के लिए स्पेशल जूरी मेंशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान फिल्म से जुड़ी पूरी टीम की रचनात्मक मेहनत और उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत को सिनेमा के माध्यम से सशक्त रूप में प्रस्तुत करने के प्रयासों का प्रमाण है।
गढ़वाल हितैषिणी सभा, दिल्ली द्वारा निर्माताओं, अभिनेताओं, रंगकर्मियों एवं साहित्यकारों के एक सम्मानित पैनल का गठन किया गया था, जिसने उत्तराखण्डी सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान देने वाली फिल्मों का चयन किया। पैनल ने सर्वसम्मति से जौनसारी भाषा की पहली फिल्म “मैरे गांव की बाट” को इस सम्मान के लिए चुना।
गौरतलब है कि इससे पूर्व इसी मंच से गढ़वाली भाषा की फिल्म “मेरु गौ” को 2023 में सर्वश्रेष्ठ  फिल्म के लिए सम्मानित किया गया था। चुका है। गढ़वाल हितैषिणी सभा ने जौनसारी भाषा की पहली फिल्म को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान कर गौरवान्वित महसूस किया है। यह सम्मान न केवल जौनसारी सिनेमा के लिए, बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखण्डी लोक संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और पहचान की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में स्मरणीय रहेगा।

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