गंदगी के कारण ऋषिकेश की दुर्दशा
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अनूप नौटियाल
पिछले दिनों मैंने आज तक चैनल पर श्री अंकित शर्मा की एक रिपोर्ट देखी जहां पर ऋषिकेश में कचरे के ढेर के कारण आम नागरिकों को हो रही परेशानी को विस्तार से दिखाया गया था। ये बेहद विचलित करती, चौंकाने वाली रिपोर्ट थी। दरअसल, यहां गोविन्द नगर में कचरा डंपिंग जोन बनाया गया है। कचरे का ढेर लगातार बढ़ रहा है। इससे फैलती गैस और बदबू के कारण आसपास के लोग कैंसर सहित कई दूसरी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। कई लोगों का रिपोर्ट में कहना था कि कचरे के कारण लोगों की मौत भी हो चुकी है।
यह कैसी योग नगरी?
इस रिपोर्ट को देखते हुए मैं सोच रहा था कि यह वही ऋषिकेश तो है, जहां पतित पावनी गंगा पर्वतों के आंचल से आकर पहली बार मैदान में प्रवेश करती है। हमारी सरकार इसी ऋषिकेश को तो विश्व की योग नगरी होने का दावा करती है। यही ऋषिकेश तो है, जहां से उत्तराखंड के चारों धामों और हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होती है। यही ऋषिकेश है जहां देश-विदेश से लोग आते हैं और गंगा की लहरों पर राफ्टिंग का लुत्फ लेते हैं। ऋषिकेश की गंदगी के कारण ऐसी दुर्दशा होना सचमुच में विचलित करता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण में बुरा हाल
इस रिपोर्ट से अलग ऋषिकेश में गंदगी की बानगी स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणामों में भी देखी जा सकती है।
2023 के स्वच्छ सर्वेक्षण में निर्धारित 9500 अंकों में से ऋषिकेश को सिर्फ 3078 अंक मिले थे। गार्बेज फ्री सिटी के लिए निर्धारित अधिकतम 1375 अंकों में ऋषिकेश को शून्य मार्क्स मिले थे। 1 लाख तक की आबादी वाले देश के 446 शहरों में ऋषिकेश को 304वां स्थान मिला था। यानी की देश के शुरुआती 300 साफ शहरों में भी ऋषिकेश शहर शामिल नहीं हो पाया था।
क्या हैं कारण
सवाल यह उठता है कि ऋषिकेश जैसी पवित्र नगरी का ये हाल क्यों है? इसके कारण क्या हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
इन सवालों का सबसे पहला और सबसे बड़ा उत्तर यह है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। दरअसल ऋषिकेश में साफ-सफाई का कोई मजबूत सिस्टम नहीं है। न तो अभी तक डोर टू डोरा कचरा कलेक्शन की कोई उचित व्यवस्था है, न कचरा सेग्रीगेशन की और न ही प्रोसेसिंग की। यही वजह है कि गोविन्द नगर में कचरे का ढेर बड़ा होता चला जा रहा है। समझा जा सकता है कि इस कचरे से रिसने वाला दूषित पानी आखिर गंगा में ही तो जा रहा होगा।
उत्तराखंड में ये समस्या सिर्फ ऋषिकेश की नहीं है, कई अन्य शहरों में भी हालात बेहद खराब हैं। हमारी हालिया उत्तराखंड स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 रिपोर्ट जिसे हमने 6 दिसम्बर, 2024 को लॉन्च किया था, उसमें भारत सरकार के तथ्यात्मक आंकड़ों के साथ हमने देखा था कि प्रदेश के शहरों का सालाना साफ सफाई के इम्तिहान स्वच्छ सर्वेक्षण में स्कोर कार्ड बेहद चिंतनीय और निराशाजनक रहा ही। इसमें व्यापक और मिशन मोड पर त्वरित सुधार की जरूरत है।
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दूसरों से प्रेरणा ले ऋषिकेश
ऋषिकेश नगर निगम प्रशासन को चाहिए कि वह अपने आसपास के शहरों से ही कुछ प्रेरणा ले और शहर कोे साफ-सुथरा बनाने की दिशा में आगे बढ़े।
रुद्रपुर में भले ही कचरे को लेकर तमाम चुनौतियां हैं लेकिन उन्होंने अपने लीगेसी वेस्ट को साफ किया है। बागेश्वर और हल्द्वानी शहरों में किस तरह से महिला समूह कचरा निस्तारण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे हैं, इससे भी सबक लिया जा सकता है। जोशीमठ नगर पालिका ने कबाड़ से जुगाड़ अभियान चलाया और 3 टन कचरा कलेक्ट करके 1 करोड़ रुपये कमाये।
ऋषिकेश नगर निगम चाहे तो इससे और देश और प्रदेश के अन्य शहरों से प्रेरणा ले सकता है।
उम्मीद अभी बाकी
इस सबके बावजूद ऋषिकेश में हाल के समय में आशा की कुछ किरणें नजर आती हैं। यहां कुछ समय पहले ही एक वेस्ट टू वंडर पार्क बनाया गया है, जो कुछ हद तक कचरे के निस्तारण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसे और विस्तार देने को जरूरत है।
यह उम्मीद भी अवश्य की जानी चाहिए कि आगामी नगर निगम चुनाव में ऐसे लोग चुनकर नगर निगम में आएंगे, जो शहर की सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता दें।
उत्तराखंड में संपूर्ण स्वच्छता का आह्वान और निकाय चुनाव
ऋषिकेश से बाहर निकल कर देखें तो राज्य के अन्य शहरों की स्थिति भी स्वच्छता के मामले में संतोषजनक नहीं है।
अगले दो हफ्तों में उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं। अभी तक देहरादून और राज्य में कचरे को लेकर वो सेंस ऑफ अर्जेंसी नहीं दिख रही है जो चुनावी फिज़ा में होनी चाहिए थी।
ऐसे में जरूरी है कि सभी 100 नगर निकायों में जहां चुनाव होने हैं, वहां पर स्वच्छता पर वृहद स्तर पर बात हो। समस्त शहरों और नगरों के मेयर और चैयरमैन पद के उम्मीदवार अपने अपने शहरों के कचरा निस्तारण रोड मैप प्रस्तुत करें कि चुनाव जीतने के बाद वे कैसे अपने शहर को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में काम करेंगे।
इसी तर्ज पर चुनाव में हिस्सेदारी करने वाले राजनीतिक दल अपने मेनिफेस्टो में स्वच्छता को प्रमुख मुद्दा बनाएं और चुनाव जीतने पर किस तरह से इस दिशा में काम करेंगे, इस बात को अवश्य रेखांकित करें।
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