खरीफ फसलों के लिए बढ़ाई गयी एमएसपी किसानों के साथ फिर धोखा
अखिल भारतीय किसान महासभा ने केंद्र सरकार द्वारा हाल में 14 खरीफ फसलों के लिए बढ़ाई गयी एमएसपी को नाकाफी बताते हुए इसे किसानों के साथ एक धोखा करार दिया है. किसान महासभा ने मोदी सरकार को चेताते हुए कहा कि अगर उसने 2014 में किसानों से किये अपने वायदे ‘स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सी-2+50% की दर से’ एमएसपी घोषित न की और एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी न दी तो उसे आने वाले समय में फिर एक बड़े किसान आन्दोलन का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.
किसान महासभा ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित खरीफ फसलों की एमएसपी को कुल उत्पादन लागत का डेढ़ गुना बताने को देश के किसानों का मजाक उड़ाना बताया. पिछले दस वर्षों से देश में फर्जी आंकड़ों की बाजीगरी करने वाली मोदी सरकार किसानों को भी अपने फर्जी आंकड़े दिखा कर देश की जनता को गलत सूचना दे रही है. जबकि हकीकत यह है कि अभी तक घोषित एमएसपी को इस सरकार ने A2 + FL+50% फॉर्मूला में स्थानांतरित कर दिया है. इसमें C-2 को लागत में जोड़ा ही नहीं गया है. C-2 फार्मूले में किसान की जमीन का किराया जिस पर वह पट्टेदार या बटाईदार को अपनी जमीन जोतने को देता है और बैंक या आढ़ती से लिए कर्ज का व्याज चुकाता है, को भी फसल की मूल लागत में जोड़ा जाता है. जमीन का किराया देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग है. यह पंजाब में जहां 60 से 70 हजार रुपया प्रति एकड़ है, वहीं देश के सूखे वाले क्षेत्रों में 20 हजार रुपया प्रति एकड़ भी है.
बढ़ती मजदूरी, कृषि उपकरणों और अन्य उत्पादन सामग्रियों पर कंपनियों द्वारा लगातार कीमतें बढ़ाने और सरकार द्वारा उन पर 18% से 28% जीएसटी लगाने से किसानों की कृषि लागत पहले ही बहुत बढ़ गयी है. ऐसे में एमएसपी में मात्र 5 से 7% के बीच बढ़ोतरी की यह घोषणा हर वर्ष लागत सामग्री की बढ़ती कीमतों और बाजार में खाद्य कीमतों में वृद्धि (10 से 12% ) की पूर्ति भी नहीं करती है. सच्चाई यह भी है कि एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी न होने के कारण किसानों को बाजार में एमएसपी से काफी कम कीमतों पर अपने उत्पादन को बेचने को मजबूर होना पड़ता है. जबकि देश भर में फैले लगभग 40 प्रतिशत बटाईदार किसानों को जिनकी संख्या बिहार जैसे राज्य में 70 प्रतिशत तक है, न तो एमएसपी पर फसल खरीद की सुविधा है और न ही उन्हें किसान सम्मान निधि या या अन्य सरकारी सुविधा दी जाती है.
देश के किसान और जनता अभी भूली नहीं है कि दो माह पूर्व इस चुनाव में उड़ीसा में और कुछ माह पहले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने किसानों से वोट मांगते वक्त 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का वायदा किया था. हालांकि यह वायदा भी C-2 + 50 % फार्मूले से बहुत कम था. पर इन तीनों राज्यों और केंद्र की सत्ता में आने के बाद वही भाजपा आगामी धान फसल के लिए 2300 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी घोषित कर दी है. जबकि आज C-2 + 50 % स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार धान का एमएसपी कम से कम 3450 रुपए प्रति क्विंटल होना चाहिए. एक तरफ वोट पाने के लिए किसानों में लोकप्रिय पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक डॉ स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करना और दूसरी ओर देश के किसानों को धोखा देकर कारपोरेट की सेवा करना भाजपा के असली चरित्र की पहचान है. देश का किसान इसे समझ चुका है. किसान महासभा देश के किसानों से खेती किसानी को बचाने के लिए और भी बड़े आन्दोलन की तैयारी का आह्वान करती है.
पुरुषोत्तम शर्मा