क्रोधाभिव्यक्ति – बेवफाई छोड़ो, और अपने गाँव के मकान की सुध लो.
RAJIV NAYAN BAHUGUNA
जब तुम पर मेरी सारी धमकियाँ बे असर हो जाती हैँ, तो मैं द्रवित होकर कहता हूँ, अच्छा चल कर लेना बाहर बाहर से.
लेकिन जल्दी लौट आना.
डूब मत जाना उस जगह, जहां बड़े बड़े उज्ज्वल ऋषि और दिग्विजयी शोभन सम्राट गण लापता हो गये.
सुनो उत्तराखण्ड वासियों . तुमसे मेरी मुक्ति नहीं है.
जानते ही हो कि हेमवती नंदन बहुगुणा को इलाहबाद वालों ने, चन्द्रसिंह गढ़वाली को पठानो ने, और मेरे पिता सुन्दर लाल बहुगुणा को यूरोप वालों ने बड़ा नेता बनाया, न कि तुमने.
लेकिन जहां मेरी नाभि नाल गड़ी है, मेरी देह को अग्निजीवहाएं भी वहीँ चाटेंगी.
बहुत हुआ. तुम्हें और मुझे बंगाल, धारवड़ और पालड़ी से यहाँ आये अब एक हज़ार साल होने को आये.
अथवा हो ही चुके हैँ.
अब इस मिट्टी से प्यार कर लो.
बेवफाई छोड़ो, और अपने गाँव के मकान की सुध लो.
तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, लेकिन मेरी धमकी को गंभीरता से लेकर अपना अगला जन्म सुधार सकते हो.