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क्या केजरीवाल सचमुच नई दिल्ली में घिर गए हैं?

VIVEK SHUKLA, SR.JOURNALIST

पहले करोल बाग और फिर नई दिल्ली विधान सभा सीटों की खाक छानने के बाद शाम को थक-हार कर मैं और हिन्दुस्तान टाइम्स के दिनों के साथी हेमेन्द्र सिंह बर्थवाल कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर के महंत सुरेश से मिले। मोहन सिंह प्लेस के बाहर चाय पर चर्चा lके दौरान दिल्ली के चुनावों पर लंबी बात हुई। सुरेश जी बहुत पुराने दोस्त हैं।
नई दिल्ली क्षेत्र के कांग्रेस के एक्टिविस्ट भी रहे हैं। हनुमान मंदिर के काम-काज से फुर्सत मिलने के बाद सियासत करते रहे हैं। हनुमान मंदिर की पीछे ही रहते हैं। हालांकि इस बार कांग्रेस के लिए एक्टिव नहीं हैं। कह रहे थे कि हनुमान मंदिर में अरविंद केजरीवाल से लेकर कांग्रेस और बीजेपी के सब नेता मन्नत मांगने आ रहे हैं।महंत सुरेश से कुछ टी वी चैनलों के पत्रकार भी मिलने आ रहे थे। सब उनकी चुनावों पर राय जानना चाहते थे। वे सबको टाल रहे थे।

नई दिल्ली सीट में इस बार सच में बहुत कांटे की टक्कर हो रही है। फिलहाल अरविंद केजरीवाल से कुछ आगे ही चल रहे हैं बीजेपी के प्रवेश वर्मा। संदीप दीक्षित की कैंपेन भी अब सही दिशा में चल रही है। प्रवेश वर्मा की कैंपेन में उनकी मनी पॉवर झलकती है। वे हर तरह से अपने हक में माहौल बना रहे हैं। गोल मार्केट, पेशवा रोड और सरोजनी नगर में कई लोगों से बात करने पर यही लगा कि प्रवेश वर्मा बड़ी उलट-फेर कर सकते हैं। हालांकि केजरीवाल को खारिज तो नहीं किया जा सकता। सरोजनी नगर के पिंलजी गांव में अधिकतर वोटर प्रवेश वर्मा के हक में थे। ये गुर्जर बिरादरी का गांव है।

अलग-अलग जगहों पर ऑटो रिक्शा ड्राइवरों से भी बात हुई। पिछले चुनाव में ये सब केजरीवाल के साथ खड़े थे। इस बार ये केजरीवाल को पानी पी-पीकर कोस रहे थे। गोल मार्केट की भगत सिंह मार्केट में बंगला स्वीट हाउस के बाहर ऑटोरिक्शा ड्राइवर राठौर मिले। वे अपने को ड्राइवरों का नेता भी बता रहे थे। कह रहे थे, केजरीवाल ने हम लोगों को बर्बाद कर दिया। डीटीसी में महिलाओं की टिकट माफ कर दी। अब उनके पास कोई महिला सवारी करीब या दूर जाने के लिए नहीं आती। कम दूरी के लिए लोग ई- रिक्शा पर सफर करने लगे हैं और लंबी दूरी पर जाने वाली सवारियों को ओला पसंद आने लगी है। राठौर से हमने पूछा कि वे और उन के साथी किसे वोट दे सकते हैं? उन्होंने फौरन कहा- हम शीला दीक्षित की कांग्रेस पार्टी को वोट देंगे। शीला जी को वोटर याद करते हैं। राजधानी पर उनके एहसान हैं।
करोल बाग सीट में हवा किसके हक में बह रही है, इससे जानने के लिए एक बार फिर वहां जाना होगा।

इस बीच, महंत सुरेश की तरह हनुमान मंदिर के अधिकतर महंत मंदिर कैंपस ही में ही कई पीढ़ियों से रहते हैं। इनका संबंध जयपुर से है। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और श्रीमती इंदिरा गांधी भी इसी हनुमान मंदिर में आकर हनुमान चालीसा पढ़ते थे। इधर 1 अगस्त, 1964 से ‘श्रीराम जयराम जय-जयराम’ मंत्र का अटूट जाप आरंभ हुआ था। यहां पर स्वयं भू हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई थी। इसमें हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर देख रहे हैं।
पहली फोटो में Hemendra Bartwal , Mahant Suresh Sharma और आपका दोस्त।

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