कोचिंग माफ़िया, यूपीएससी विफलता व विद्यार्थी नैराश्य
प्रो. नीलम महाजन सिंह
‘मंडल आयोग’ या ‘सामाजिक और शैक्षणिक रूप से बना पिछड़ा वर्ग आयोग’, भारत में 1979 में स्थापित किया गया था जिसका उद्देश्य भारत के ‘सामाजिक या शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करना था’। इसकी अध्यक्षता बिंदेशवरी प्रसाद मंडल ने की थी और 1980 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसे 1990 में लागू किया गया। विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार द्वारा मंडल आयोग लागू करने के कारण पूरे भारत में आंदोलन हुआ था। आरक्षण; शिक्षा, परीक्षा और सिविल सेवाओं, राज्य सेवाओं और यहाँ तक कि विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के सभी क्षेत्रों में लागू किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में प्रवेश करने वाली युवतियों के पहले बैच में होने के नाते, मुझे पता है कि बहुत से छात्र आईएफएस; आईएएस, आईपीएस और संबद्ध सेवाओं में शामिल होने में सफल रहते थे। उस समय ‘आरक्षण’ नहीं था। स्नातक होने के बाद कई छात्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में शामिल हो गए; जिसे उच्च शिक्षा का गढ़ माना जाता है। जो भी हो, शिक्षा, रोज़गार में मंडल आयोग लागू होने के बाद सब चीजें बदल गईं। इससे कई तरह की उलझनें भी पैदा हुईं, जिन पर किसी का ध्यान नहीं गया। हाल ही में महाराष्ट्र कैडर की आईएएस अधिकारी के रूप में ‘पूजा खेडकर कांड के चयन’ ने यूपीएससी की विफलताओं व भीतर की खामियों को उजागर किया है। यूपीएससी के अधिकांश सदस्य वर्तमान सरकार के पसंदीदा होते हैं व ये राजनीतिक नियुक्तियाँ होती हैं ताकि उन्हें; उनकी सेवाओं या उपकारों के लिए पुरस्कृत किया जा सके, जो उन्होंने तत्कालीन सरकारों को दिये होंगें। पुराने राजिंदर नगर (ओल्ड राजिंदर नगर ORN), में ‘राउ स्टडी सर्किल’ की लाइब्रेरी में तीन छात्रों की डूबने से हुई मौत की आपराधिक व भयावह घटना ने इन कोचिंग माफियाओं, मकान मालिकों, दलालों व अधिकारियों के बीच एक बड़ी सांठगांठ, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सरकारी अधिकारियों के कर्तव्यों का पालन करने में विफलता को उजागर किया है। दो दिन पहले ही यूपीएससी अभ्यर्थी, अंजलि ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि वे पूरी व्यवस्था से आहत हो गईं थीं। तानिया सोनी (25 वर्ष), श्रेया यादव (25 वर्ष) और नवीन डेल्विन (28 वर्ष) कचरे और बारिश के पानी के भरने के कारण, ‘राउ कोचिंग संस्थान’ की बेसमेंट में डूब गए थे। अंजलि ने ओल्ड राजिंदर नगर में ‘एक पी.जी. में छत के पंखे पर लटक कर आत्महत्या कर ली’। उन्हने मरते वक्त लिखा, ‘मुझे माफ करना मम्मी पापा, मैं अपने अवसाद (depression) पर काबू नहीं पा रही हूं। मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन मैं यूपीएससी पास नहीं कर पा रही हूँ। ‘राऊ स्टडी सर्किल’ में हाल ही में हुई घटनाओं के कारण मैं बिल्कुल भी ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही हूँ …’ और उसने आत्महत्या कर ली! उससे दो हफ्ते पहले ओल्ड राजिंदर नगर में एक और लड़की ने इसी तरह से आत्महत्या की थी। यह मनोवैज्ञानिक दबाव के अलावा, आर्थिक उत्पीड़न को भी दर्शाता है। आईएएस अधिकारी सार्वजनिक नीति के निर्माण, विकास पहलुओं के क्रियान्वयन और सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक हैं। यह पद कई लाभ, कार्य सुरक्षा और उच्च मुआवज़ा प्रदान करता है। यह चुनौतीपूर्ण मुद्दों को हल करने, रचनात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने और लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक मंच है। इसके अलावा, आईएएस राष्ट्रीय सेवा, सरकार और राष्ट्र निर्माण के उच्चतम स्तरों का द्वार है। यही वजह है कि कई लोग इसे एक ‘वांछनीय कैरियर विकल्प’ मानते हैं। आईएएस अधिकारी बनने के लिए आयु मानदंड आमतौर पर 21 से 32 वर्ष के बीच होता है। हालाँकि, एससी/एसटी, ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्ग जैसे विशिष्ट श्रेणियों के लिए आयु में छूट के कारण ऊपरी आयु सीमा बढ़ाई गई है। विशिष्ट विवरणों के लिए, सबसे हालिया यूपीएससी नोटिस की समीक्षा करना उचित है। किसी अधिकृत कॉलेज से स्नातक की डिग्री वाला व्यक्ति परीक्षा दे सकता है। पाठ्यक्रम विविध हैं और उम्मीदवारों द्वारा चुने जाते हैं। उम्मीदवारों को राष्ट्रीय चिंताओं और समसामयिक मामलों पर अपडेट रहना चाहिए। ‘पिछले वर्षों की परीक्षाओं के प्रश्नों और मॉक प्रैक्टिस टेस्ट के पैटर्न’ का अध्ययन करने से छात्रों को मदद मिलती है। छात्रों को उत्कृष्ट लेखन, साक्षात्कार व विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करना होगा। यदि कोई भी किसी दृष्टिकोण से असहमत है, तो धैर्य, इच्छाशक्ति व दृढ़ता बनाए रखना आवश्यक है। पहला भाग ‘प्रारंभिक परीक्षा’ है। यदि उम्मीदवार इसे पास कर लेते हैं, तो उन्हें ‘मुख्य’ परीक्षा देनी होती है, उसके बाद यूपीएससी सदस्यों द्वारा साक्षात्कार होता है। छात्रों को प्रेरित व केंद्रित रहना चाहिए। राष्ट्र की सेवा करने की अपनी क्षमता पर विश्वास रखना चाहिए। सारांशाार्थ ‘कोचिंग सेंटरों की भूमिका गुरुकुल’ के समान होनी चाहिए। अब यह ‘माफिया और कार्टेल’ (Mafia and Cartel) का एक गोरखधंधा बन गया है, जो वित्तीय लाभ के लिए युवाओं की मानसिकत पर प्रभाव डालता है। वास्तविक कोचिंग सेंटरों को मूल्य अभिविन्यास का पालन करना चाहिए था, क्योंकि यूपीएससी परीक्षा में ‘नैतिकता’ (Ethics) पर एक पेपर होता है। उनके योगदान का अवलोकन, नियोजित मार्गदर्शन है। कोचिंग संस्थान एक प्रभावी पाठ्यक्रम, अध्ययन सामग्री व शिक्षित पेशेवरों से विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करके यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं। सिविल सेवक बनने के लिए अनुभवी आईएएस अधिकारियों या ‘मेंटरिंग के माध्यम’ (Mentorship) से अनुभवी पेशेवरों द्वारा यूपीएससी के लिए सर्वश्रेष्ठ ‘मेंटरशिप कार्यक्रम’ प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। ये मेंटर, उम्मीदवारों को सिविल सेवा परीक्षा की जटिलताओं को समझने में मदद करते हैं और व्यावहारिक विश्लेषण, अध्ययन युक्तियाँ व सहायता प्रदान करके सार्वजनिक सेवा की चुनौतियों पर उपयोगी सलाह देते हैं । यूपीएससी आवेदकों को समय-प्रबंधन रणनीतियों, परीक्षा रणनीतियों और उत्तर-लेखन कौशल को महत्व देना होगा जो यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। कोचिंग सेंटर की भूमिका ‘लगातार आधार पर अभ्यास, परीक्षा और मॉक टेस्ट आयोजित करना है’, जिससे उम्मीदवारों को अपने विकास का आंकलन करने व उन क्षेत्रों को इंगित करने का अवसर मिलता है, जिनमें उन्हें सुधार करने की आवश्यकता है। यूपीएससी की तैयारी के लिए वीडियो व्याख्यान आसान और समय बचाने वाला तरीका है क्योंकि यह, सुनने व पढ़ने से बेहतर लगता है और इससे उनकी पढ़ाई आसान हो जाती है। इस संदर्भ में ऐसे कई प्लेटफ़ॉर्म हैं जो प्रतियोगियों को परीक्षाओं के लिए, कई शीर्ष संस्थानों में विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं। प्लूटस आईएएस, योजना आईएएस, वाजीराम और रवि, एनालॉग आईएएस अकादमी, एलीट आईएएस अकादमी, दृष्टि, खान सर आदि, धीरे-धीरे व्यावसायिक कारखानों में बदल गए हैं, जो देश के सभी निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते रहे हैं। अब दिल्ली उच्च न्यायालय के, एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन व जस्टिस तुषार राव गडेला न सीबीआई को ये जाँच सौंप दी है। छात्रों के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आईएएस बनने के लिए अनुशासन व दृढ़संकल्प की आवश्यकता होती है। उन्हें धैर्य रखने की भी ज़रूरत होती है, क्योंकि यूपीएससी परीक्षा कठिन होती है व इसे पास करने के लिए गहन अध्ययन करना पड़ता है, जहाँ उम्मीदवारों को न केवल परीक्षा पास करनी होती है ब्लकि कई चुनौतियों का सामना भी करना होता है। इस घटना ने ‘ओल्ड राजिंदर नगर’ के कोचिंग हब में खलबली मचा दी है, जहाँ हर साल हज़ारों उम्मीदवार अपने सिविल सेवा के सपनों को पूरा करने के लिए आते हैं। अपने सुसाइड नोट में, अंजलि ने बताया कि वह “जीवन की समस्याओं” को संभाल नहीं पाती थी और “शांति की कमी” महसूस करती थी। 21 जुलाई को उसने आत्महत्या कर ली। अंजलि अपने कमरे के लिए 15,000 रुपये दे रही थी, लेकिन अचानक किराया बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया गया, उसकी दोस्त श्वेता ने ‘इंडिया टुडे टीवी’ को बताया। “मुझे माफ़ करना मम्मी पापा। मैं अब ज़िंदगी से तंग आ चुकी हूँ, और मेरे पास सिर्फ़ समस्याएँ और मुद्दे हैं, जिनसे मुझे शांति नहीं मिलती। मुझे शांति चाहिए। मैंने इस तथाकथित अवसाद से छुटकारा पाने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन मैं इससे उबर नहीं पाई,” आकांक्षी ने अपने सुसाइड नोट में लिखा।
उसने यह भी बताया कि उसने डॉक्टर को दिखाया, लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ। “उसके बाद से मेरा एकमात्र सपना यूपीएससी था, पहले प्रयास में। मैं इतनी अस्थिर हो गई हूँ कि सभी जानते हैं,” उसके सुसाइड नोट में लिखा है। अंजलि ने बताया कि उसे पता था कि उसकी मौत “ब्रेकिंग न्यूज़” बन जाएगी। महाराष्ट्र की छात्रा दिल्ली में सिविल सेवा कोचिंग के लिए एक प्रमुख केंद्र ओल्ड राजिंदर नगर में किराए के कमरे में रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। उसने सरकार से अनुरोध किया कि “कृपया सरकारी परीक्षाओं में घोटाले कम करें और रोज़गार पैदा करें। बहुत से युवा नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।” अंजलि के सुसाइड नोट में ‘पेइंग गेस्ट’ (पीजी) सुविधाओं और हॉस्टल की महंगी दरों पर प्रकाश डाला गया है। उसने मरने से पहले अपनी दोस्त श्वेता से पीजी किराए में वृद्धि के बारे में बात की थी।
उसने लिखा, “पीजी और हॉस्टल का किराया भी कम किया जाना चाहिए। ये लोग छात्रों से पैसे लूट रहे हैं। हर छात्र इसे सहन नहीं कर सकता।” दिल्ली पुलिस ने कहा है, कि उन्होंने इस मामले में एफआईआर, दर्ज कर लिया है और मामले की जाँच कर रही है। ओल्ड राजिंदर नगर के सभी मकान-मालिक पर शोषण के आरोप लगाए जाने चाहिए। अब यह एक राष्टीय विषय है, तथा सभी को अपनी-अपनी जाहिर में झांकने की आवश्यकता है कि हम अपनी युवा पीढ़ी के साथ क्या अन्याय कर रहे हैं?
(लेख में व्यक्त विचार लेखिका प्रोफेसर नीलम महाजन सिंह के व्यक्तिगत विचार हैं )