कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में छात्राओं के लिए दो दिवसीय ‘सेल्फ डिफेंस कैंप’
25 फरवरी 2023
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज मं कालेज प्रशासन एवं संस्था उदंकार ने मिलकर छात्राओं के लिए दो दिवसीय ‘आत्म-रक्षा प्रशिक्षण शिविर’ लगाया है। इसका उदघाटन करते हुए शहरी मामलों के विशेषज्ञ एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय सह-संयोजक लेखक जगदीश ममगांई ने कहा कि आत्म-रक्षा केवल शारीरिक रुप से सक्षम होना या दांव-पेंच समझना नहीं है, इसमें जब तक संयम, कुशाग्रता और खासकर संकट के दौरान आत्म-नियंत्रण, आपात स्थिति में सही फैसला करने की क्षमता यानी प्रजेंस ऑफ़ माइंड नहीं होगा तो यह शिक्षण अधूरा रहेगा, जी का जंजाल साबित हो सकता है। छात्राओं को प्रो. (डा). संगीता त्यागी, प्रो. शुभम् कोके, प्रो. (डा). सुनील ने आत्म-रक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताया, इस अवसर पर उदंकार एनजीओ के अध्यक्ष आशीष पोखरियाल, शिक्षक मनस्वी पाठक, कार्यक्रम संयोजक सुश्री श्रुति गुप्ता, मानसी तिवारी सहित उपस्थित थे।
जगदीश ममगांई ने कहा कि आत्म व्यक्ति की पहचान, उसका व्यक्तित्व, कृतित्व, आचार-विचार यानि संपूर्णता में एकात्मता है। आत्म-रक्षा में सक्षम होने के लिए व्यक्तित्व निर्माण जरुरी है और इसके लिए आत्म-बल चाहिए जिससे आप अपनी और अपनों की सुरक्षा कर सकते हैं। भारत का संविधान महिलाओं को समानता की अनुमति देता है तथा उनके द्वारा सामना किए जाने वाले सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक भेदभाव को नकारता है। महिलाओं की सुरक्षा हेतु कानूनी प्रावधान किए गए हैं, पुलिस ने कुछ हेल्पलाइन जारी की हुई हैं। इनमें 100 नंबर तो सभी के लिए है लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए 091 एक विशेष हेल्पलाइन है जिसे खतरे में पड़ी महिलाओं के लिए तैयार किया गया है, यह सामान्य 100 नंबर से अलग है, यह तुरंत महिला सेल से जुड़ जाता है और पुलिस को पता चल जाता है कि महिला खतरे में है। इसके अलावा हेल्पलाइन 181 है जिसमें अपहरण, यौन उत्पीड़न, कार्यस्थल पर यौन शोषण, एसिड हमला जैसे गंभीर अपराधों का सामना करना शामिल है। दंड संहिता यानी आईपीसी के तहत भी महिलाओं को कुछ वैधानिक अधिकार हैं, जीरो एफआईआर में किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की जा सकती है, भले ही घटना उस न्यायिक क्षेत्र में न हुई हो।
ममगांई ने कहा कि महिलाओं को यह सब अधिकार आसानी से नहीं मिले हैं, सदियों से झेल रही विभेद का दंश व कुप्रथाओं के नाम पर शोषण के विरुद्ध, नारी को कठोर व लंबा संघर्ष करना पड़ा है। अपनी पहचान साबित करने की लड़ाई लड़नी पड़ी है, और यह संघर्ष अभी भी जारी है। आज महिलाएं अंतरिक्ष में हैं, रक्षा क्षेत्र में हैं, चिकित्सा क्षेत्र में हैं, कॉर्पोरेट क्षेत्र में हैं, राजनीति में हैं, मनोरंजन के क्षेत्र में हैं, विमान उड़ा रही है, शिक्षा के क्षेत्र में तो एक लंबी फेरहिस्त है। अभी उसे और आगे बढ़ना है, घर के किचन में करछी हिलाने से युद्ध के मैदान में हथियार चलाने में खुद को पारंगत के रुप में स्थापित करना है।