‘हजार ग्राम हजार धाम-हमरी भाषा हमरी पछ्याण’ का संदेश का दगड़ पजल पंडों जातरियों की पैळि अष्ट पजल धाम जातरा (7 मई, 2025 बिटि 13 मई, 2025) माणा (बद्रीनाथ धाम, चमोली जनपद) बिटि मागथा (यमकेश्वर विकास खण्ड पौड़ी जनपद) अर दुसरी अष्ट पजल धाम जातरा (5 जून बिटि 10 जून, 2025) भागीरथी गंगोत्री धाम (उत्तरकाशी जनपद) बिटि पजल गंगोत्री धाम कोटली (पाबौ विकास खण्ड पौड़ी जनपद) का सुफल होणा बाद तिसरी अष्ट पजल धाम जातरा की परिकल्पना आदलि कुशलि कुमाउंनी मासिक पत्रिका, पिथौरागढ़ की संपादक डॉ सरस्वती कोहली का न्यूता दगड़ शुरू ह्वै।
डॉ सरस्वती कोहली को फोन ऐ- ददा आप आदलि कुशलि का चौथा द्वी दिवसीय कुमाउंनी भाषा सम्मेलन 21-22 जून, 2025 खुणि पिथौरागढ़ मा सादर न्यूत्यां छन, त जगमोरा की सोच मा एक पंथ द्वी काज होण हि छौ। याने कुमाउंनी भाषा सम्मेलन का दगड़ा-दगड़ तिसरी अष्ट पजल धाम जातरा भी। डॉ सरस्वती कोहली पैळि हि कुसुम जगमोरा पजल पारखी सम्मान से सम्मानित छन, इलै पिथौरागढ़ अष्ट पजल धामों मा एक दिव्य पजल धाम निमित्त ह्वै।
पैळि अष्ट पजल धाम जातरा मा भगवान बद्रीविशाल का आशीर्वाद से अर दुसरी अष्ट पजल धाम जातरा मा गंगा मैया गंगोत्री धाम का आशीर्वाद से पजल पंडों जातरा को शुभारंभ ह्वै। इलै तिसरी अष्ट पजल धाम जातरा की सुर्वात जगमोरा के कुटुंब की कुलदेवी जिया रानी माता का आशीर्वाद से होण निमित्त ह्वै, त कुसुम जगमोरा की तरफां बिटि ग्यारह शुब रोट कु प्रसाद अर माता की चुनरी दगड़ दिल्ली बिटि हल्द्वानी खुणि जातरा कु शुभारंभ ह्वै।
तिसरी पजल अष्ट धाम जातरा का वास्ता सभी पजल पंडों जातरी (जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’, श्री जयपाल सिंह रावत ‘छिपूड़ दा’, श्री सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’, श्री भूपेन्द्र सिंह बृजवाल ‘निर्बाध’ और श्री भूपेंद्र सिंह बिष्ट) सुबेर भूपेन्द्र सिंह बृजवाल ‘निर्बाध’ जी का घर हल्द्वानी मा इकठ्ठा ह्वैनि। वाहन चालक का तौर पर इबरी भी दुसरी अष्ट पजल धाम जातरा मा अपणि भलि म्यलाग देणवला श्री विनोद प्रसाद गौड़ अपणि एर्टिगा नंबर – UP 4 GT 9753 का दगड़ रैट-पैट तय्यार छा।
तिसरी अष्ट पजल धाम जातरा, याने कुमाऊं मण्डल विशेष जातरा की सुर्वात दिनांक 20 जून, 2025 जिया रानी माता मंदिर रानी बाग (नैनीताल जनपद) बिटि कुलदेवी की पूजा-अर्चना का दगड़ ह्वै अर दिनांक 23 जून, 2025 आखिरी पड़ाव पीपल पोखरा, नजदीक चार धाम मंदिर, हल्द्वानी, नैनीताल जनपद मा पजल पारखी श्री चंदन सिंह मनराल का घरधाम मा ऐकि सम्पन्न ह्वै। बीच का पड़ाव, पंतनगर रेडियो स्टेशन पजल अतिथि श्री विवेक चौहान बादल बाजपुरी, लालकुआं पजल अतिथि श्रीमती आशा शैल, लोहाघाट (चम्पावत) पजल पंवाण श्रीमती हेमा जोशी, आदलि कुशलि पिथौरागढ़ पजल पारखी डॉ सरस्वती कोहली, दन्या (अल्मोड़ा जनपद) पजल पारखी श्री गोविंद गोपाल का कुशल सहयोग से सुफल ह्वैनि।
पड़ाव दर पड़ाव पजल पंडों जातरियों) की कुमाऊं मंडल विशेष तिसरी अष्ट पजल धाम जातरा को विस्तार से विवरण पजल प्रेमियों का वास्ता अग्नै प्रस्तुत च।
दिनांक 20 जून, 2025 सभी पजल पंडों जातरी अष्ट पजल धाम का पैळा पड़ाव-जिया रानी माता मंदिर (रानी बाग, नैनीताल जनपद) मा सुबेर 6 बजि इकट्ठा ह्वैनि, जिया रानी माता मंदिर को पुनर्निर्माण को कारिज चलणु छौ। तभी जिया रानी माता को एक भक्त परिवार मंदिर गुफा की चाबी लेकि ऐ गै छा। माता की चुनरी, अठ्वाड़ पूजा भेंट अर जिया रानी संदर्भित पजल वांचन का दगड़ ही जिया रानी माता की पूजा-अर्चना सम्पन्न ह्वै, त पजल जातरी अगल्या दुसरा पड़ाव पंत नगर रेडियो स्टेशन का निमित्त आयोजन का वास्ता अग्नै बौड़िन।
पंत नगर रेडियो स्टेशन का हि नजीक का एक उडुपी रेस्तरां मा सवदी तरोताजा नाश्ता-पाणि का बाद पजल अतिथि श्री विवेक चौहान बादल बाजपुरी का सान्निध्य मा पजल पंडों द्वारा पजल लोक-साहित्य विधा अर पजल जातरा पर विस्तार से परिचर्चा ह्वै। पजल हजारिका पजल सम्राट जगमोरान पजल की परिकल्पना, पजल की परिभाषा, पजल का काव्यात्मक 32 लैन का फार्मेट पर अपणि सारगर्भित बात रखी । पजल ऋषि श्री सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ जीन पजल जातराओं पर अपणि सारगर्भित बात राखि बोलि कि पजल पंडों जातरियों की अष्ट पजल धाम जातरा पजल की आठ लैनों की काव्यात्मक छंदों का जन हि अठ्वाड़ (याने पंचमेवा, नर्यूल, रोट भेलिकेक) की भेंट स्वरूप फलीभूत होणि छन। सरस्वती माता भी पजल लोक-साहित्य विधा पर दैणि होणि छन, हरेक पजल धाम जातरा मा परोक्ष तौर से 800-1000 पजल प्रेमियों दगड़ सीधा संवाद, चर्चा-परिचर्चा होणि च, फलस्वरूप अपरोक्ष तौर से लाखों लोगों का माध्यम से पजल उत्तराखंड का घर-घर, गांव-गांव तक अपणि पैठ बढ़ाणि च। श्री भूपेन्द्र सिंह बृजवाल ‘निर्बाध’ जीन बोलि कि पजल सम्राट जगमोरा की हि प्रेरणा से वूंन भि अपणि कुमाउंनी जौहारी भाषा मा कत्था आन स्वरूप पजल लिखण शुरू करि। भूपेंद्र बिष्ट जीन बोलि कि पजल जातरा मा पजल सारथी का तौर पर सामिल ह्वैकि वो अपणा सामाजिक सांस्कृतिक अर साहित्यिक मूल जळड़ौं दगड़ जुढ़णा छन, इलै वो अफु तैं धन्य समझदीं। आखिर मा पजल अतिथि विवेक चौहान उर्फ बादल बाजपुरी अर सुप्रसिद्ध कवि अशोक कुमार अवस्थी ‘अनजाना’ का दगड़ पजल पंडों की काव्यगोष्ठी सम्पन्न ह्वै, अर फिर पजल जातरी अग्नै का पड़ाव लालकुआं खुणि अग्नै बौड़िन।
लालकुआं का पजल पड़ाव मा शैलसूत्र पत्रिका की संपादक श्रीमती आशा शैली जीन पजल पंडों जातरियों कु भव्य स्वागत करि। चाय-पाणि का दगड़ साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न ह्वै। पजल अतिथि आशा शैली, संपादक शैल सूत्र, डॉ लोकेषणा मिश्रा, कविवर मित्र विवेक चौहान उर्फ बादल बाजपुरी अर अशोक कुमार अवस्थी ‘अनजाना’ तैं शाल, पाणि-पिठै, स्मृति चिन्ह का साथ पंच मेवा नर्यूल रोट भेलिकेक की अठ्वाड़ भेंट देकी सम्मानित कियै गैनि। आखिर मा पुस्तकों का आदान-प्रदान का दगड़ पजल जातरा अगल्या पड़ाव लोहाघाट खुणि अग्नै बौड़ि।
लंबी जातरा कैरिक पजल पंडों द्वी घंटे की देरी से लोहाघाट पौंछिन, जख पजल पंवाण श्रीमती हेमा जोशी जीका सान्निध्य मा ग्यारह पजल धियाणि बड़ी बेसब्री से अपणा जगमोरा भैजी की जातरियों समेत जग्वाळ कन्नि छै। जख मैती भयों की चैत बटण ह्वा, वख अबेर भि बल सबेर जनी उज्यळि सजळि अर भळि होंदि। यख भी अठ्वाड़ भेंट, प्रशस्ति पत्र, पुस्तक, शाल पाणि-पिठै भेंट का दगड़ साहित्यिक संगोष्ठी अर काव्य पाठ सम्पन्न ह्वै। उपस्थित दिशा धियाणियोंन एक से बड़ीक एक उत्कृष्ट कविता को वांचन करी, लोहाघाट की कवियत्रियों की कविता अपणा लोहा मण्यैकी दम लेंदी बल, वूंकी उत्कृष्ट कविताओं की बानगी देखा धौं-
प्राण न्यौछावर कर देते हैं।
भारत मां के पूत जहां।
आंच नहीं आने देते हैं।
हम पर कभी नहीं यहां।।
- हेमा जोशी, स्वाति
कई युगों से खड़ा हिमालय
देखो देखो खड़ा हिमालय।
बर्फ़ से ढका हिमालय
डिगता कभी नहीं हिमालय।
- सुमन पांडेय
काले गोरे का भेद नहीं, हर हृदय से हमारा नाता है, कुछ और न आता हो हमको,हमें कर्तव्य निभाना आता है
- प्रियंका रजवार
बात याद रहे या ना रहे .याद रह जाते हैं उस बात से जुड़े भाव…
- हेमा राय
कतुक मिठी मिसरी जसि मयाली छु यो दुधबोली
नांतिना ओ इजाबाज्यू छोड़िया जन आपणी बोली।
- दीपा पांडे
वो सावन मुझे बहुत भाता है।
वो सावन की रिमझिम फुहारें मुझे बहुत भाती है।।
- बीना जोशी
बुध के दो रूप (विज्ञान व आध्यात्म)
सबसे प्यारा सबसे छोटा
सूर्य के सबसे पास है रहता
- अंजलि कार्की
बोलदा छन कि दीसा-धियाणियों की बिदै खुदेड़ कुयेड़ी जन होंद, जो आसमानी आख्यूं बिटि बरखीक, गाड-गदिनौं की तरां अपणा भौसागर मा समाणु खुणि अग्नै बौड़ि जंदन। एक समलौण्या धरोहर का दगड़ पजल जातरा देर राति पिथौरागढ़ पौंछी। वख आदलि कुशलि संस्था की तरफां बिटि तीन दिनै रैणै-खाणै उचित व्यवस्था छै।
पिथौरागढ़ मा आदलि कुशलि का माध्यम से द्वी दिवसीय कुमाउंनी भाषा सम्मेलन मा सामिल होणौ सौभाग्य पजल जातरियों तैं मिलि। मुख्य अतिथि डॉ दिवा भट्ट, विशिष्ट अतिथि डॉ प्रभा पंत, बीडी कसनियाल, वरिष्ठ पत्रकार, संरक्षक अशोक पंत, नेपाली साहित्यकार कर्णदयाल और गढ़वाली साहित्यकार जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’ के द्वारा दिनांक 21 जून 2025 का आयोजन को दिया-बाती का दगड़ शुभारंभ ह्वै। यांका बाद सुखवासी संगीत वाटिका, फुलदेई नाट्य दल समिति का कलाकारोंन फाग गीत, सरस्वती बंदना, स्वागत गीत की प्रस्तुति दे। द्वी दिन का सम्मेलन मा कुमाऊंनी गढ़वाली अर नेपाल का भाषाविदों, साहित्यकारों, लेखक अर कवियों द्वारा कुमाऊंनी भाषा का विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा ह्वै, सुंदर व्यापक काव्यगोष्ठी ह्वै। सम्मेलन मा पजल जातरियों का अलावा दिल्ली से हि अयां साहित्यिकार कवि दगड़िया श्री चंदन प्रेमी, श्री दिनेश ध्यानी, श्री रमेश हितैषी, श्री रोशन लाल, और मदन राम सामिल ह्वैनि। यांका अलावा आयोजन मा डॉ पीतांबर अवस्थी, मोहन जोशी, श्री भूपेन्द्र देव ताऊ, श्री पवनेश ठकुराठी, श्री शिव दत्त पांडे, श्री कृपाल सिंह शीला, श्री घनश्याम अंडोला, श्री रत्न सिंह किर्मोलिया श्री नवीन पंत, श्री प्रकाश पुनेठा, डॉ दीप चंद्र चौधरी, डॉ आशा जोशी, श्री दिनेश भट्ट, श्रीमती हेमा जोशी, प्रोफेसर सरोज वर्मा, श्रीमती मंजुला अवस्थी, डॉ नीरज चन्द्र जोशी, श्री तीर्थ राज पांडे, गणेश बहादुर नेपाली, श्री महेश बराल ओमश्री, श्री केशव दत्त भट्ट, श्री भुपाल सिंह लसपाल, श्री होशियार सिंह ज्याला उपस्थित रैनि। दुई दिन श्री चिंतामणि जोशी मुख्य संचालक की भूमिका मा रैनि।
आखिर सत्र मा पजल ऋषि श्री सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ की अध्यक्षता मा पजल संगोष्ठी सम्पन्न ह्वै। पजल ऋषि श्री सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ जीन पजल साहित्य विधा अर पजल धाम जातराओं पर अपणि सारगर्भित बात रखी। पजल सम्राट द्वारा एक पजल को वांचन ह्वै, सै उत्तर देण वला चार पजल प्रेमियों डॉ मंजू बाला, डॉ दीप चंद चौधरी, श्री रमेश हितैषी इत्यादि तैं पुरस्कार दिये गेनि। यांका बाद पजल पंडों जातरियोंन प्रशस्ति पत्र, पाणि पिठै शाल पुस्तक भेंट का साथ पंचमेवा नर्यूल रोट भेलिकेक को अठ्वाड़ उत्सव उर्यैकि पिथौरागढ़ तैं पजल धाम का तौर पर स्थापित करी। आखिर मा आयोजन का आयोजक डॉ सरस्वती कोहली जीन बड़ा विनम्र भौ से अपणा धन्यवाद वक्तव्य मा पजल जातरियों को विशेष आभार व्यक्त करी, वूंन बोलि कि द्वी ददा, पजल सम्राट जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’ ददा अर कुमाऊंनी पजलकार श्री भूपेन्द्र सिंह बृजवाल ‘निर्बाध’ ददा, वींका वास्ता घैऽण-सब्बल छन, जो हर किस्मै मौ-मदद की गारंटी भी देंदन।
दिनांक 22 जून सुबेर पजल जातरी डॉ आशा जोशी, पूर्व प्रधानाचार्य का दिव्य धाम इजा-बा संस्कार कुटीर बजेटी, पिथौरागढ़ मा पौंछिन। डॉ आशा जोशी जीन दिशा धियाणि जनी पजल जातरियों को फूल-माला रामायण की पुस्तक का साथ चाय-नाश्ता पर भव्य औ-भगत करी। पजल लोक-साहित्य का बारा मा जगमोरान पजल साहित्य विधा पर अर श्री सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ जीन पजल जातरा पर अपणि सारगर्भित बात रखी। यांका बाद डॉ जोशी जी तैं शाल पाणि-पिठै स्मृति चिन्ह का साथ पजल पारखी सम्मान दियै गै। डॉ आशा जोशी जीन बोलि कि पजल जातरियों का आण से वूंका पितरों की इजा-बा संस्कार कुटीर धाम का रूप मा स्थापित ह्वैगि, कुसुम जगमोरा पजल लोक-साहित्य सम्मान वूंका वास्ता राष्ट्रीय शिक्षा पुरस्कार से भी बड़ो सम्मान च। कुसुम का नौ से सम्मान पैकी अर कुसुम का शुब हाथों का बण्यां रोट खैकी डॉ आशा जोशी जीन गदगद ह्वैकी कुसुम का वास्ता वामांगी स्वरूप पिछोड़ा जगमोरा का बैं कंधा मा ओढ्यैकि सम्मानित करी। संगोष्ठी मा डॉ पीतांबर अवस्थी, डॉ नीरज चंद्र जोशी, डॉ हिमांशु पांडे, श्रीमती ममता पांडे अर सुश्री गार्गी पांडे उपस्थित रैनि। आखिर मा शाल, पाणि-पिठै, पंचमेवा, नर्यूल, रोट, भेलिकेक का अठ्वाड़ भेंट का दगड़ पजल जातरियों की समलौण्या अश्रुपूर्ण बिदै ह्वै, त पजल जातरी पजल अतिथि डॉ पीतांबर अवस्थी का मार्गदर्शन मा सीधा वूंका दिव्य धाम ज्ञान प्रकाश संस्कृत पुस्तकालय, पिथौरागढ़ मा पौंछिन। वख मा पैळि बिटि नेपाली साहित्यकार कवि मित्र श्री तीर्थ राज पांडे, श्री गणेश बहादुर नेपाली अर डॉ अवस्थी जी की धर्मपत्नी श्रीमती मंजुला अवस्थी भी उपस्थित छा। वख पौंछण पर पजल जातरियों को शाल माला पुस्तक भेंट से भव्य औ-भगत ह्वै। साहित्यिक संगोष्ठी मा गढ़वाली कुमाऊंनी और नेपाली भाषा का शब्दों, संस्कृति अर साहित्य पर विस्तार से परिचर्चा ह्वै। पजल सम्राट जगमोरान पजल लोक साहित्य विधा पर अपणि सारगर्भित बात रखी अर बोलि कि डॉ अवस्थी कुमाऊंनी, गढ़वाली, जौनसारी, नेपाली अर हिंदी भाषा का जणगुरु छन, वूंकी यूं सभी भाषाओं पर अच्छी साहित्यिक पकड़ च, वूंन सोर्याली भाषा मा पंच प्रिय खंड काव्य, परछाई काव्य संग्रह, बोध कथा, रोगनांशी जड़ी-बूटियों का दगड़ हि द्वी दर्जन पोथियां प्रकाशित कैरि यैनि, इलै वो कुसुम जगमोरा पजल लोक-साहित्य सम्मान से सम्मानित होणा छन। पजल ऋषि सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ जीन पजल जातरा पर अपणि सारगर्भित बात रखी बोलि कि डॉ अवस्थी लोक साहित्य का सच्चा साधक छन। डॉ अवस्थी जीन बोलि कि पजल उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत छन, यूं तैं संरक्षण देणै महती आवश्यकता च; डुट्याल संदर्भित पजल नेपाल मा भी भलिकै भाणि छन। आखिर मा पजल जातरियोंन उपस्थित सभी पजल प्रेमियों तैं शाल स्मृति चिन्ह पाणि-पिठै अर पुस्तक भेंट का साथ सम्मान करी।
पिथौरागढ़ मा द्वी दिन का हैक्टिक साहित्यिक भाषाई अर सम्मान समारोह का बाद पजल जातरी पिथौरागढ़ की सोर घाटी मा सुनींद स्यैनि। अगल्या दिन सुबेर बीजिक पजल जातरी अगल्या पड़ाव दन्या धाम (अल्मोड़ा जनपद) का वास्ता अग्नै बौड़िन।
झुणमुण हल्की-फुल्की बरखा का बीच लगभग 9 बजि पजल जातरी दन्या पौंछिन। वख एक रेस्तरां मा चाय-नाश्ता कन्ना बाद पजल जातरी दन्या का आयोजन स्थल मा पौंछिन, वख पजल पारखी श्री गोविंद गोपाल अर शिक्षक श्री योगेन्द्र रावत जीन पजल जातरियों की औ-भगत करी। साहित्यिक संगोष्ठी मा श्री गोविन्द गोपाल जीन विस्तार से पजल लोक साहित्य पर अपणि सारगर्भित बात रखी, वूंन बोलि कि पजल पैन उत्तराखंड हि नि बल्किन नेपाल खंड क्षेत्र मा अपणु प्रभुत्व रखण मा कामयाब छन; पजल गढ़वाली कुमाऊंनी अर नेपाली शब्दों का साथ-साथ तिनि भाषाओं का साहित्य अर संस्कृति तैं एकजुट एकमुठ कन्नै काम करणि छन, जो भारत नेपाल मैत्री संबंधों तैं हौरि प्रगाढ़ बणाण मा सार्थक सिद्ध होलि। शाल पाणि पिठै स्मृति चिन्ह अर पंचमेवा नर्यूल रोट भेलिकेक अठ्वाड़ का साथ सम्मान समारोह ह्वै। आखिर मा शानदार भोजन का बाद लगभग एक बजि पजल जातरी अगल्या आखिरी पड़ाव हल्द्वानी धाम जनै अग्नै बौड़िन।
सै बाटु भटकणा का कारण, दन्या बिटि हल्द्वानी तकै जातरा काफी लंबी ह्वै, कारणवश तीन घंटे की देरी से लगभग 9 बजि रात पजल जातरी पजल पारखी श्री चंदन सिंह मनराल जी का दिव्य घरधाम पीपल पोखरा, नजदीक चार धाम मंदिर (हल्द्वानी नैनीताल जनपद) पौंछिन, जख मा सप्तनीक श्री मनराल जीन पजल जातरियों की औ-भगत मा क्वी कोर-कसर नि छोड़ि। हरेक पड़ाव की तरां यख भी साहित्यिक संगोष्ठी ह्वै, शाल पाणि-पिठै, स्मृति चिन्ह का साथ कुसुम जगमोरा पजल लोक-साहित्य सम्मान दिये गै, पंचमेवा नर्यूल रोट भेलिकेक को अठ्वाड़ उत्सव भी उर्यै गै। आखिर मा पजल जातरी अपणा सह-जातरी श्री भूपेन्द्र सिंह बृजवाल ‘निर्बाध’ जी का निवास स्थान हल्द्वानी मा पौंछिन, वख भी हरेक पड़ाव जन ही सम्मान समारोह अठ्वाड़ उत्सव उर्यैगै।
देर रात होणा कारण अर लंबी जातरा की थकान का कारण पजल जातरियों तैं हल्द्वानी का हि एक होमस्टे मा थौ बिसौण पड़ि। लगभग पांच घंटे की नींद लेणा बाद न्है-धुयैकी पजल जातरी सुबेरलै दिल्ली खुणि पैटिन। बीच गजरौला मा कुछेक साहित्यिक दगड़ियों दगड़ हवेली रेस्तरां मा चाय-नाश्ता पर साहित्यिक संगोष्ठी सम्मान समारोह उर्याणा बाद आखिरकार सभी पजल जातरी पौन-पंछी की तरां अपणा-अपणा घोळ पर वापस बौड़िन, ये हि आशा से कि आसमंद ब्वारि का खुट्टा बेशक भारी होंदा छन, मगर अग्नै की जातरा का वास्ता तंगत्यांदा नि छन।
तिसरी अष्ट पजल धाम जातरा अपणा आप मा इलै भी खास च किलैकि तिसरी पजल अष्ट धाम जातरा कुमाऊं मंडल विशेष आधारित रै, जो पजल लोक-साहित्य विधा तैं पैन उत्तराखंड का दगड़ा-दगड़ मित्र राष्ट्र नेपाल क्षेत्र मा स्थापित कन्न मा कामयाब ह्वै। डुट्याल संदर्भित पजल नेपाल का साहित्यकारोंन खूब पसंद करी। वूंन पजल का माध्यम से भारत नेपाल मैत्री संबंधों का प्रगाढ़ होणै बात स्वीकारी। यनि बोलि सकदौं कि य कुमाऊं मंडल विशेष तिसरी पजल जातरा पजल लोक-साहित्य खुणि “गेटवे ऑफ नेपाल साबित होलि”।
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