कांग्रेस उन ताकतों के खिलाफ हमेशा खड़ी रही है जो भारत को कमजोर करते हैं : हरीश रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ,कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य हरीश रावत ने उत्तराखंड तीन दिवसीय संकल्प चिंतन शिविर से एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये कहा : 3 दिन का गंभीर चिंतन, चिंतन से हुआ मंथन और मंथन के बाद “भारत जोड़ों” का अमृत निकला है उदयपुर से। कांग्रेस उन ताकतों के खिलाफ हमेशा खड़ी रही है जो भारत को कमजोर करते हैं, जो भारत की एकता, सामाजिक सौहार्द और भाईचारे को तोड़ती है। कांग्रेसी उन ताकतों के खिलाफ हमेशा खड़ी रही है, जिन ताकतों ने संवैधानिक मूल्यों, गांधी, नेहरू व अंबेडकर के सामाजिक न्याय, सद्भावना के सिद्धांतों का हनन किया है, जिन लोगों ने संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का काम किया है, जिन संस्थाओं ने उन लोगों को जिनको मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उन लोगों को और गरीबी की गर्त में धकेल दिया है। कांग्रेस ने तय किया है कि वो “कन्याकुमारी से कश्मीर” तक “भारत जोड़ो यात्रा” निकालेगी। पदयात्रा के रूप में सैकड़ों पदयात्राएं होंगी। कांग्रेस एक नई शक्ति व एक नये इरादे के साथ लोगों के पास जाएगी और आशीर्वाद ग्रहण करेगी। राहुल जी ने कहा है कि ताकत, जनता से ही मांगनी पड़ेगी, उनके साथ संपर्क बढ़ाना पड़ेगा, यह हमारा मूल मंत्र रहेगा और “भारत जोड़ो के संकल्प” के साथ कांग्रेस आगे बढ़ेगी, भारत मजबूत बनेगा और उदयपुर के इस शानदार शहर, महाराणा प्रताप व वीरों की इस धरती से एक चमत्कारिक संदेश निकला है और कांग्रेस आगे आने वाले दिनों में आपको एक नए इरादे के साथ, नए संकल्प के साथ, जिसको हमने नव संकल्प कहा है, काम करते हुये दिखाई देगी।
सोशल मीडिया पोस्ट में रावत ने कई तस्वीरें शेयर कीं जिंसमे कई तस्वीरें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के साथ बैठे स्वयं को बतियाते हुवे दिखाया लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के साथ और चिन्तन शिविर में उपस्थिति को नहीं दिखाया गया. यह वास्तव में बहुत ही अजीब था. क्या राहुल गाँधी कांग्रेस में अप्रासंगिक हो गए हैं ?
आजकल ये तय करना बड़ा कठिन है कि राजनैतिक दल क्रांतिकारी कदम उठा रहे हैं या षड़यंत्रकारी कदम फर मंत्रणा कर रहे है। गिर कर उठना और उठकर गिरना तो एक खेल है जो चलना पुष्ट सोच का प्रतीक है। पर मर कर डंडे के सहारे खड़ा रहना देश को उठने की झूटी दिलासा दिलाना है।
कोई ऐसा कार्य करना जिससे देश गिर जाय वो न तो वैधानिक है व न नैतिक।