केंद्र या राज्यों की पुलिस आईपीसी की १२४ ए धारा के तहत राजद्रोह ( सेडिशन )की ऍफ़ आयी आर नहीं दर्ज कर सकेगी, जब तक इस धारा में संशोधन नहीं होता धारा
उच्चतम न्यायालय ने आज कहा की जब तक आई पी सी की अंग्रेज़ों के समय से लागू १२४ आ में संशोधन नहीं होता धारा के अंतर्गत सेडिशन ( राज द्रोह ) की कोई ऍफ़ आई आर दर्ज़ नहीं होगी, न किसी को प्रताड़ित या कैद कैद जायेगा राज द्रोह के चार्ज पर..
उच्चत्तम न्यायालय ने आज एक फैसला सुनाया है जिसके तहत अब केंद्र या राज्यों की पुलिस अब ब्रिटिश शाशन के दौरान इजात की गयी आईपीसी की १२४ ए धारा के तहत राजद्रोह ( सेडिशन )की ऍफ़ आयी आर नहीं दर्ज कर सकेगी. सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीशों ने ये भी कहा की जिन लोगों के विरुद्ध विभिन्न राज्यों की पुलिस द्वारा धारा १२४ ए के तहत मुक़दमे दर्ज किये गए हैं वे अपने अपने क्षेत्रों की न्यायालय में बेल की एपील कर सकते हैं . यानी उनकी जमानत हो जायेगी.
गौर तलब है ब्रिटिश रूल के बने इस क़ानून पर इन दिनों काफी बहस हो रही है खासकर इसलिए भी क्योंकि पिछले सालों के दौरान ऐसा देखने को मिला की राजनैतिक भावना से प्रेरित होकर पुलिस अथॉरिटीज ने कथित तौर पर केंद्र और कई राज्यों में पत्रकारों और विरोधियों पर आनन फानन में अपनी पोसिशन्स का दुरूपयोग कर धरा १२४ ए के तहत राजद्रोह के झूठे मुक़दमे दर्ज़ दिए जिनमे कई वरिष्ठ पत्रकार भी नहीं बक्शे गए. नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक पिछले छे वर्षों के दौरान कुल केवल १२ लोगों को ही देश द्रोह के चार्जेज ममें अपराधी पाया गया जबकि २०१५ से २०२० के दौरान 548 लोगों को इस चार्ज में गिरफ्तार किया गया और इनमे से ३५६ मामले सेडिशन के दर्ज़ गए . यानी आई पी सी की. धरा १२४ ए तहत दर्ज़ किये गए ९५ फीसदी मामले फ़र्ज़ी थे.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न व रम्मन्ना न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश हीमा कोहली की बेंच ने फिलहाल धारा १२४ ए के सभी मामला मामले जो कोर्ट में विचाराधीन हैं को पेंडिंग रखा है इस विश्वास के साथ की केंद्र सरकार इन ब्रिटिश काल के कानूनों खासकर १२४ ए धारा पर जल्दी से विचार कर नया संशोदित कानून लाएगी मौजूदा हालातों मध्यनज़र.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न व रम्मन्ना न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश हीमा कोहली की बेंच ने फिलहाल धारा १२४ ए के सभी मामला मामले जो कोर्ट में विचाराधीन हैं को पेंडिंग रखा है इस विश्वास के साथ की केंद्र सरकार इन ब्रिटिश काल के कानूनों खासकर १२४ ए धारा पर जल्दी से विचार कर नया संशोदित कानून लाएगी मौजूदा हालातों मध्यनज़र. विद्वान न्यायाधीशों की बेंच ने ये भी उम्मीद जताई की जब तक धारा १२४ ए का संशोधित कानून नहीं लागू होता राज्य और केंद्र सरकारें न तो कोई ऍफ़ आई आर दर्ज़ करेंगी इस क़ानून के तहत न ही किसी का उत्पीड़न किया जाएगा.
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय की तीन जजों बेंच ने सवाल किया की यदि हम केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे संशोधन को ध्यान में रखकर इसे अड्जॉर्न कर दें उनका क्या होगा जिनपर सेडिशन के केस चलq रहे हैं? इस सॉलिसिटर जेनरल. कहा कल की तरीक दे दीजिये .
इस पर कपिल सिब्बल सीनियर अधिवक्ता ने सवाल उठाया को माननीय न्यायालय को ही इस पर जल्दी फैसला लेना होगा.
गौर talab है की सुप्रीम कोर्ट में धारा 124A की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है अब तक सुप्रीम कोर्ट में सरकार राजद्रोह कानून का बचाव कर रही थी. सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि इस कानून पर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है.
इतना ही नहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ये भी कहा था कि 1962 में संविधान बेंच के फैसले के मुताबिक इस कानून के दुरुपयोग को रोकने के उपाय किए जा सकते हैं. सरकार ने इसके लिए 1962 केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले का जिक्र किया था.