एनएसडी के डॉ. सुवर्ण रावत सीखा रहे हैं बच्चों को एक्टिंग के ख़ास गुर , तिलु रौतेली का मंचन करेंगे प्यारेलाल औडिटोरियम में २ जुलाई से
दिल्ली सरकार की गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमी प्यारेलाल ऑडिटोरियम नयी दिल्ली में ३ जुलाई से ९ जुलाई तक उत्तराखंड की गढ़वाली कुमाऊनी और जौनसारी भाषा के नाटक प्रस्तुत करेगी. इस एक सप्ताह के नाटकों के प्रदर्शन के दौरान ख़ास बात ये रहेगी की इनमे आठ साल से १८ साल के बच्चे अभिनय करेंगे . बच्चों के भीतर छुपी अभिनय टैलेंट को सतह पर लाने और उन्हें नाटकों के माध्यम से बतौर कलाकार उभरने के अवसर प्रदान करने के दिल्ली सरकार की उत्तराखंड अकादमी के प्रयास की सभी तरफ भूरी भूरी प्रसंशा हो यही है . दिल्ली सरकार के सकारात्मक अभियान से जहाँ एक ओर छात्र इन छुट्टियों में अपने समय का क्रिएटिव उपयोग कर सकेंगे वहीँ गढ़वाली , कुमाऊनी जौनसारी भाषाओँ के प्रति भी उनकी दिलचस्पी बढ़ेगी और उनके भीतर छिपा कलाकार भी बहार निकलेगा . अकादमी ने दिल्ली के १३ विद्यालयों में ८ से १६ वर्ष के बच्चों के लिए स्थान बुक किये हैं जहाँ उन्हें प्रतिष्ठित भाषा विशेषज्ञों, कलाकारों और शिक्षकों द्वारा इन नाटकों में अभिनय करने हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है , 10जून से २ जुलाई एक दिए जाने वाले इन थिएटर वर्कशॉप्स में ३ से ६ बजे तक इन्हे ट्रेनिंग दी जायेगी जो शुरू हो चुकी है . आज रोहिणी सेक्टर तीन में सुविख्यात थिएटर एक्टर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पोस्ट ग्रेजुएट डॉ. स्वर्ण रावत ने इन बच्चों को एक्टिंग के गुर और बारीकियां सिखाई और उनमे आत्मविश्वास का संचार किया . बच्चों ने बहुत ही दिलचस्पी लेकर इस एक्टिंग की कार्यशाला में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया .
ये कार्यशाला अभी २० दिन और चलेगी. डॉ स्वर्ण रावत के साथ रमेश घिल्डियाल , राकेश कंसवाल और श्रुति मैठाणी बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर उन्हें सहयोग दे रही है . इन बच्चों को जहाँ एक ओर डॉ स्वर्ण रावत तिलु रौतेली ऐतिहसिक कहानी पर आधारित नाटक के अलग अलग किरदारों को एक्टिंग सिखाएंगे वहीँ गढ़वाली भाषा में अत्यंत प्रवीण रमेश घिल्डियालजी उन्हें गढ़वाली बोली के प्रनन्सिएशन ( उच्चारण) में प्रवीण बनाएंगे . आज और कल उन्होंने तिलु रौतेली के इतिहास पर प्रकाश डाला और उनके किरदारों से भी वाकिफ कराया .
गौरतलब हैं की दिल्ली सरकार ने अपने वायदे के मुताबिक न सिर्फ दिल्ली में उत्तरखंडियों की वर्षों पुरानी अकादमी की मांग पर अमलीजामा पहनाया बल्कि उत्तरायिनी त्यौहार को भी दिल्ली के कोने कोने तक पहुंचाया जो निसंदेह एक प्रसंशनीय प्रयास है.
सुनील नेगी
अकादमी के सचिव जीत राम भट्ट के मुताबिक दिल्ली के विद्यालयों के विद्यार्थियों की बहुमुखी प्रतिभा के विकास हेतु दिल्ली के १३ केंद्रों में गढ़वाली, कुमाऊनी एवं जौनसारी में बाल नाटक कार्यशाला का आयोजन करने जा रही है. इस कार्यशाला में साहित्यकारों की शिक्षाप्रद कहानियों का नाटक रूपांतर कर विद्यार्थियों को १० जून से २ जुलाई तक नाट्य विद्या की बारीकियों और अभिनय कला से अवगत कराया जाएगा , जिसमे रंगमंच क्षेत्र के प्रशिकषित अनुभवी और उत्तराखंड की बोली भाषाओँ के जानकार निर्देशक और सहायक निर्देशक और भाषाविद छात्रों को उक्त भाषाओं में अभिनय और संवाद अभिव्यक्ति का प्रशिक्षण देंगे. तैयार नाटकों का मंचन ३ से ९ जुलाई को दिल्ली के प्यारेलाल भवन में प्रदर्शन किया जाएगा .