एक लाचार पिता की अपने बीमार पुत्र के लिए मार्मिक अपील

विनोद तकियावाला

आज मै अपनी लेखनी से समाचार या समसमायिक घटना पर समाचार या आलेख आप के समक्ष नही ला रहा हुँ बल्कि मै एक लाचार व असहाय पिता व पुत्र की असहनीय पीड़ा की करुण कहानी से रूबरू कराने जा रहा हूँ।यह कारुणिक कथा उत्तर प्रदेश के वाराबंकी जिले के निवासी मोहम्मद फजल यासीन किदवई व उनके पुत्र यूनुस फजल यासीन किदवई की हदयस्पर्श कहानी है।पिता पुत्र की इस कहानी मुझे एक चिर परिचित से मो ० पर देते हुए कहा कि – भाई मानवता के नाते किसी ईसान की मदद अगर हो जाय तो क्या होगा ।मैने भी उनके बातें पर अपनी बिना किसी प्रतिक्रिया के ही अपनी सहमति प्रदान कर दी। खैर बिना किसी विलम्ब के मै किसी पीडित पुत्र के पिता के शब्दो के माध्यम से जोड़ने का प्रयास करते है।
मेरा नाम मोहम्मद फजल यासीन किदवई निवासी मसौली जनपद बाराबंकी जिला उत्तर प्रदेश।मेरे पुत्र का नाम यूनुस फजल यासीन किदवई है।जिसका जन्म 06 सितम्बर 2018 को हुआ था, वर्तमान में यूनुस 5 वर्ष 5 महिने का है।आप को बता दें कि जब मेरा बेटा 4 साल का था तब हमें ज्ञात हुआ कि वह चल नहीं पा रहा और न ही सीढिया चढ़ पा रहा है एवं प्रयास करने पर गिर जा रहा है। माह सितम्बर 2023 में हमने उसे बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाया जिस पर ज्ञात हुआ कि वह एक दुर्लभ और अनुवासिंक विकार डचेन मस्कुलर डिस्टॉफी (डीएमडी)नामक बीमारी से ग्रसित है।डाक्टर ने यह भी बताया कि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर की माँस पेसियाँकमजोर हो जाती है जिससे वह चल फिर नहीं सकता और इससे शरीर अत्यन्त कमजोर हो जाता है।अन्त में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।तदोपरान्त हम उसे एम्स नई दिल्ली )ले गये जहाँ डाक्टरों द्वारा बताया गया वह डीएमडी नामक बीमारी से ही ग्रसित है और इसका एक मात्र इलाज जीन थेरेपी है,डाक्टरो के अनुसार इस बीमारी का ईलाज केवल अमेरिका और यूएई में ही उपलब्ध है,जिसमें लगभग 3.2 मिलियन डलर(लगभग 26 करोड़ भारतीय मुद्रा) की है,हम इम्पैट गुरु (Impact Guru) के द्वारा जनता के माध्यम से भी धन जुटाने का प्रयास कर रहे है लेकिन अभी तक मात्र लगभग 61 लाख ही इखट्टा हो पाये है।जिसे यूनुस के 6 साल पूरे होने के पहले प्रयोग किया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण है वरन आवश्यक भी है।उक्त के सम्बन्ध में एम्स(नई दिल्ली ) ने 13.02.2024 को एक पत्र जारी कर यूनुस का उपचार अपने यहाँ करने की इच्छा व्यक्त की है,चूकि उपचार का खर्च अत्यधिक होने के कारण बिना केन्द्रीय एवं राज्य सरकार की आर्थिक सहायता से यूनुस का उपचार किया जाना सम्भव नहीं है।
यदि केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकार की आर्थिक सहायता कोष से यूनुस का उपचार भारत में ही होता है,तो यह हमारे भारत देश का पहला बच्चा होगा जो इस जीन थेरेपी को अपने देश में पा पायेगा व भविष्य में अन्य कई इसी अनुवांशिक बिमारी से पीड़ित बच्चो के लिए एक आशा कि किरण बनेगा, तथा अपने देश में एक नई चिकित्सा पद्धति जीन थेरेपी का जरिया बनेगा।
देश में बच्चों को ईश्वर का रुप माना गया है।यूनुस एक खुशमिजाज बच्चा है जिसकी प्यारी सी मुस्कान किसी के भी जीवन को रोशन कर सकती है। आप सब से निवेदन है कि यूनुस को बचाने के लिए अपना योगदान देने के इच्छुक व्यक्ति अतिशीघ्र सम्पर्क करें।
इस संदर्भ में मै मानवीय संवेदनाओं के तहत कुछ पत्र भी संलग्न कर रहें है।

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