एक महीने में साट हज़ार से ज्यादा डिजिटल फ्रॉड्स के मामले प्रकाश में आये, यानी रोज २००० डिजिटल फ्रॉड्स
जैसे जैसे देश और जमाना तरक्की कर रहा है , दुनिया आपस में सिमट रही है , दूरियां डिजिटल दुनिया के चलते एक दूसरे के करीब आ रही है वैसे वैसे साइबर क्राइम का ग्राफ भी अप्रत्याशित तरीके से बढ़ रहा है. देश में अप्रत्याशित तरीके से बढ़ रही महंगाई , बेरोजगारी और पिछले दो वर्ष के कोविड के अत्यंत चुनौती पूर्ण दौर के चलते सम्भवता साइबर अपराधों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिली है . ऐसे कई समाचार रोज सुनने देखने को मिलते रहते हैं जिसका तहत कई साइबर अपराधी नए नए तरीके इजात कर लोगों के बैंक खाते खाली कर रहे हैं जिसके शिकार कई समझदार पड़े लिखे , महिलाएं और बुजुर्ग होते जा रहे हैं . देश के साइबर क्राइम से निपटने की हर कोशिश अभी तक नाकामयाब ही दिखाई दे रही है खासकर इसलिए भी क्योंकि इनकी संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है .
ये निःसन्देश पुलिस और साइबर एक्सपर्ट्स के लिए बहुत बड़ी चुनौती है जिसे हर हाल में सख्ती से निपटना न सिर्फ अवश्यम्भावी है बल्कि साइबर क्राइम से निपटने वाली एजेंसियों के लिए एक चुनौती भी.
चूँकि देश और दुनिया में मोबाइल्स , लेपटॉप्स और कम्प्यूटर्स का प्रचलन अप्रत्याशित गति से बढ़ रहा है ठीक उसी रफ़्तार से देश विदेश में हैकर्स , साइबर अपराधी भी कुकुरमुत्तों की तरह पैदा हो रहे हैं जो न सिर्फ हमारी बैंक प्रणाली के लिए चुनौती हैं बल्कि साइबर एक्सपर्ट्स , पुलिस एजेंसीज और आम जनता के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती हैं.
ये साइबर क्राइम्स किस कदर बढ़ रहे हैं इसका जीता जागता उदहारण अंग्रेजी में छपी एक रिपोर्ट से स्पष्ट होता है.
रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ एक महीने में ही सरकारी एजेंसीज ने डिजिटल पेमेंट फ्रॉड्स के ६१ हज़ार से अधिक शिकायति मामले दर्ज किये हैं जो अपने आप में एक हैरतंगेज़ खबर है.
इन ६१ हज़ार वित्तीय घपलेबाज़ी ( फ्रॉड्स) की शिकायतों में डिजिटल पेमेंट्स की भी शिकायतें हैं जिनका आंकड़ा सम्भवता और भी अधिक है.
इन शिकायतों में ३३७१२ मामलों में आधे से अधिक शिकायतें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस से मुत्तालिक हैं जबकि दस हज़ार आठ सौ अठानवे मामले डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स के फ्रॉड्स हैं जिनमे मोबाइल फ़ोन सिम कार्ड्स के स्वैपिंग के मामले भी हैं.
बाकी ७ हज़ार ०९९ मामले बैंक से जुड़े फ्रॉड्स के हैं , इसके अलावा ५ हज़ार ५०३ मामले वौइस् फिशिंग कॉल्स के फ्रॉड हैं जबकि ३ हज़ार १० मामले इ वॉलेट चोरी के और ७६९ मामले डीमेट अकॉउंट के फ्रॉड्स . इसके अलावा १८७ मामले ईमेल टेकओवर्स के हैं. अगर एक महीने में रजिस्टर्ड इन ६१ हज़ार डिजिटल पेमेंट फ्रॉड्स पर अपनी नज़र दौड़ाएं.
तो प्रतिदिन के हिसाब से औसतन २००० डिजिटल अपराध के मामले दिखाई देते जो की हैरतअंगेज़ तथ्य है और इनमे कितने मामले उसी रफ़्तार या देर से हल हुए तो नतीजे सिफर ही दिखाई देते हैं .
एच टी रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ एक दिन में जून ९ को ये डिजिटल पेमेंट्स से मुतालिक ३५०० फ्रॉड्स घटित हुए जो एक चौकाने वाली बात है यानी इन अपराधियों को लॉ इंफोर्सिंग एजेंसीज का कोई डर नहीं . ये सारे मामले वो हैं जो सर्कार के साइबर क्राइम पोर्टल में दर्ज़ होते हैं जबकि बहुत लोग छोटे फ्रॉड्स को दर्ज़ ही नहीं कराते.
इन साइबर क्राइम्स के ज्यादातर मामलों में सफ्फरर्स या शिकायतकर्ता को न्याय कम ही मिलता है और वह हिम्मत हार कर अंततः घर बैठ जाते हैं.
ऐसे कई मामले प्रकाश में आये हैं जब फेसबुक के मेसेंजर्स के जरिये कॉल्स से , डेबिट क्रेडिट कार्ड्स से, मोबाइल स्वैपिंग के दौरान कॉल के जरिये,किसी बहाने औ टी पी मांग कर या अनर्गल विडिओ चेट के जरिये लोगों को ब्लेकमैल कर लूटा गया.
हालांकि इस दिशा में सरकारी क्लेम्स बहुत बड़े बड़े हैं लेकिन सच तो यही है की साइबर अपराधी तेजी से वृहत्तर पैमाने पर अपराधों को रोज नए नए तरीकों से जनता को लूट रहे हैं और ओवेर लोडेड साइबर क्राइम अथॉरिटीज इस दिशा में अक्षम ही साबित हो रही है. क्या वजह है की ये अपराधी सरकारी एजेंसीज से दो हाथ आगे हैं ? ये बड़ा सवाल है.
गौर तालाब है की २०२२ में मात्र दो महीनों में २१२४८५ केस फाइनेंसियल फ्रॉड्स ( साइबर क्राइम्स) प्रकाश में आये जबकि २०१८ में ये अपराध २८४५६ थे और २०१९ में ३९४४९९ . ये मामले २०२० में ११५८२०८ थे .
हालांकि अगर आप आंकड़ों में जाएँ तो काफी ढुलमुल आंकड़े हैं लेकि अगर साइबर अपराधों के हल होने की बात करें तो नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के मुताबिक हर वर्ष के अंत में औसतन ६६% मामले इन्वेस्टीगेशन स्टेज में पेंडिंग रहते हैं . भारत में साइबर अपराध चार गुना यानि पिछले हर साल में ३०६% बढ़ गए हैं .
आंकड़ों में नज़र दौड़ाएं तो अलग अलग आकड़ें ही दिखाई देंगे और आप निश्चित नतीजों पर नहीं पहुँच सकोगे . लबोलवाब ये है की स्थिति गंभीर और नियंत्रण से परे है.