ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन और आलवेदर रोड को निजी हाथों में न जाने दें – अखिल भारतीय किसान महासभा
उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों के बटवारे में टिहरी बांध, हरिद्वार का कुम्भ क्षेत्र, नानक सागर बांध, ढांसा तथा बेगुल बांध क्षेत्र का मालिकाना उत्तर प्रदेश को सौंपने के बाद अब ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल रूट और चारधाम को जोड़ने वाली आल वेदर रोड के कारपोरेट कंपनियों के हाथ जाने का खतरा बढ़ गया है।
मोदी सरकार ने रेलवे के निजीकरण योजना के क्रम में चार पर्वतीय रेल रूट कारपोरेट कंपनियों को देने की घोषणा की है। तय मानिए इन चार रूटों में निर्माधीन ऋषिकेश -कर्णप्रयाग रेल मार्ग भी शामिल होगा ही।
इसके साथ ही हजारों किलोमीटर सड़कों और पुलों को भी निजी क्षेत्र को देने की मोदी सरकार की घोषणा के बाद चारधाम रूट की आल वेदर रोड के भी निजी हाथों में जाने का खतरा बढ़ गया है, यह कहना है अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता पुरषोत्तम शर्मा के ।
अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार भाजपा की राज्य सरकार द्वारा “चारधाम देवस्थानम बोर्ड” का गठन भी चारधाम की व्यवस्था को कारपोरेट के हाथों स्थानांतरित करने की साजिश का ही एक हिस्सा थी, जिसे चारधाम के पुरोहितों और उत्तराखंडी समाज ने सफल नहीं होने दिया था। लेकिन मोदी सरकार ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन और आल वेदर रोड को निजी हाथों में देने में सफल हो गई, तो आने वाले समय में देवस्थानम प्रवंधन बोर्ड के वापस आने व उसके माध्यम से चारधाम पर भी कारपोरेट के नियंत्रण को रोक पाना कठिन होगा। साथ ही इस रूट पर महंगे किराए की रेल और हर 25 किमी पर टोल वसूली कर कारपोरेट कंपनियां पहाड़ की यात्रा को काफी महंगा बना देंगी।
कारपोरेट कंपनियां जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के जरिये उत्तराखण्ड की नदियों व नदी घाटियों को पहले ही कब्जा चुकी हैं। अब उनकी नजरें अति मुनाफा कमाने के लिए पर्यटन रूटों पर हैं। चारधाम के लिए ऋषिकेश कर्णप्रयाग, वैष्णोदेवी के लिए दिल्ली कटरा, शिमला, दार्जलिंग जैसे भीड़ भरे पर्वतीय रेलवे ट्रेक पर कारपोरेट कम्पनियों की नजरें हैं।
पुरुषोत्तम शर्मा के मुताबिक उत्तराखण्ड में पहले ही हेलीकाप्टर सेवा के नाम पर अति मुनाफा लूट रही कंपनियां बेलगाम किराया और बेलगाम उड़ानों से हिमालय और पहाड़ों के ईको सिस्टम को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं। अब लम्बी लड़ाई के बाद आ रही रेल और आल वेदर रोड भी अगर कारपोरेट कम्पनियों के हाथ चली गई, तो पहाड़ के आम लोगों के लिए रेल यात्रा उसके बाद भी एक सपना ही बनी रहेगी।
उत्तराखंड में देश की सबसे लंबी 15 किलोमीटर की रेल सुरंग ऋषिकेश और कर्णप्रयाग (Rishikesh
Karnprayag Rail Line Project) के बीच बना है. इस रेल लाइन का सपना जल्द साकार होने वाला है. इस प्रोजेक्ट के बाद ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच की यात्रा रेल से मात्र दो घंटे में पूरी की जा सकेगी. खास बात यह है कि इस रेल लाइन का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा सुरंग में है. इसमें अब 17 सुरंगों, 35 पुलों और 12 स्टेशनों का आधा काम हो चुका है.
अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार साम्प्रदायिक विभाजन की राजनीति की आड़ में संशाधनों की कारपोरेट लूट के जिस अभियान में आज मोदी सरकार जुटी है, उसके खिलाफ सड़क की लड़ाई मजबूत करना जरूरी है।