उड़नपरी पी टी उषा राज्य सभा में
वेद विलास उनियाल
पीटी उषा को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। भारत की उडनपरी ने उस समय देश को गौरव के क्षण दिए थे जब ट्रेक पर भारतीय महिलाओं के लिए विश्व स्तरीय स्पर्द्धा में उतरना एक सपना होता था। यह वह समय था जब लोग सम्मान में डायरी मे ंउनका पूरा नाम लिखा करते थे- पिलाबुल्लकंटि तेक्केपरमपिल उषा ।
1984 के लास एंजलिस ओलंपिक में सेंकड के सौवे भाग से पीछे रह जाने पर भले ही उनके हाथ से ओलंपिक का कांस्य रह गया हो लेकिन भारतीयों के लिए वह गौरव के अनमेोल क्षण लाईं थी। पीटी उषा जहां तक पहुंची वो उस समय भारतीय लडकियों के लिए कल्पना ही थी। जिस परिवेश से निकल कर उन्होंने खेलों में भारत का पचरम फहचाना वो अद्भुत है सम्मानीय है।
पीटी उषा के लिए लोगों के मन में गहरा सम्मान रहा है। इसके बाद 1986 के एशियाई खेल में उन्होंने चार चार स्वर्ण पदक बटोरे । 100 मीटर की रेस में वह दूसरे स्थान पर रही थीं।
एक मायने में पीटी उषा ने भारतीय लड़कियों को ट्रैक पर दौडने के लिए प्रेरित किया। वह लड़कियों के लिए प्रेरणा बनी। लड़कियों ने ट्रेक पर दौड़ती पीटी उषा की तस्वीरें अपने कमरों में लगाईं।
पीटी उषा देशज पृष्ठभूमि से आई और दुनिया में छा गई। उनके संस्कार और माटी से जुडे रहने की परंपरा है कि उन्होंने खेलों से संन्यास लेने के बाद देश के एथलीटों को आगे बढाने में अपना योगदान दिया। वे खेलों की बड़ी स्टार हैं लेकिन अपने पूरे जीवन में सादगी सरलता का उनका जीवन रहा है। उन्होंने अपने गांव में अपना घर बनाया ।
पीटी उषा को राज्यसभा में लाया जाना एक रस्म परंपरा का निर्वाह नहीं बल्कि उस आभा को महसूस करना है जिसने खेलों में भारतीय जीवन में उत्साह का संचार किया। गौर कीजिए यही वक्त था जब कपिल देव और उनके साथी भारतीय क्रिकेट को बदल रहे थे। पीटी उषा निश्चित राज्यसभा में खेलोों के लिए अपना योगदान देंगे। दक्षिण भारत की एक विलक्षण महिला के नाते उनकी उपस्थिति को महसूस किया जाएगा। पीटीउषा को अर्जुन अवार्ड सहित कई सम्मान मिल चुके हैं। अब एक नई भूमिका में वह देश को अपना योगदान देंगी।
खासकर ऐसे समय में उनके गुरु नांबियारजी की याद आना स्वभाविक है।
पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा, भारत के केरल राज्य की एथलीट हैं। वे आमतौर पर पी॰ टी॰ उषा के नाम से जानी जाती हैं, । “भारतीय ट्रैक और फ़ील्ड की रानी” मानी जानी वाली पी॰ टी॰ उषा भारतीय खेलकूद में १९७९ से हैं। वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं। उन्हें “पय्योली एक्स्प्रेस” नामक उपनाम दिया गया था।